रूस-भारत संबंधों पर पुतिन का इंटरव्यू: यूक्रेन; तेल आयात और ग्लोबल साउथ पर जोर
पुतिन ने मोदी के साथ अपने मजबूत संबंधों को भी उजागर किया। उन्होंने चीन में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान कार में हुई अनौपचारिक बातचीत का जिक्र किया और बताया कि यह पूरी तरह से उनका विचार था।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इंडिया टुडे चैनल के साथ 110 मिनट का विशेष इंटरव्यू किया, जो लगभग चार साल में रूस के मीडिया के बाहर पहली विस्तार बातचीत मानी जा रही है। इस इंटरव्यू में पुतिन ने भारत के साथ संबंध, यूक्रेन युद्ध और वैश्विक राजनीति पर अपनी स्थिति दोहराई।
ग्लोबल साउथ को महत्व
पुतिन ने भारत के चैनल को इतना विस्तार से इंटरव्यू दिया, जबकि आमतौर पर पश्चिमी मीडिया को प्राथमिकता दी जाती है। यह इस बात का संकेत है कि वे ग्लोबल साउथ को कितना महत्व देते हैं। पुतिन ने कहा कि तेल आयात से संबंधित मुद्दे ने उनके और प्रधानमंत्री मोदी के रिश्तों को प्रभावित नहीं किया। उन्होंने मोदी की प्रशंसा की और स्पष्ट किया कि रूस का भारत के साथ रिश्ता किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं है।
तेल आयात और अमेरिका की आलोचना
भारत के रूस से तेल आयात में कमी पर पुतिन ने कहा कि यह मुद्दा उनके लिए गैर-जरूरी है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर तेल आयात पर लगाए गए टैरिफ की निंदा की और इसे पाखंडपूर्ण करार दिया। पुतिन ने कहा कि अमेरिका स्वयं रूस से परमाणु ईंधन खरीदता है, जबकि भारत पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश करता है। उन्होंने अमेरिका को चुनौती देते हुए कहा कि इस मुद्दे की पूरी तरह से जांच होनी चाहिए और हम इसे राष्ट्रपति ट्रंप के साथ भी चर्चा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम “अन्यायपूर्ण और असंगत” था।
मोदी की तारीफ और दोस्ताना पल
पुतिन ने मोदी के साथ अपने मजबूत संबंधों को भी उजागर किया। उन्होंने चीन में तियानजिन शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान कार में हुई अनौपचारिक बातचीत का जिक्र किया और बताया कि यह पूरी तरह से उनका विचार था।
यूक्रेन युद्ध पर पुतिन का रुख
यूक्रेन में चल रही शांति वार्ता पर पुतिन ने दोहराया कि रूस ने युद्ध शुरू नहीं किया। उन्होंने कहा कि डोनबास क्षेत्र, जो अब रूस के कब्जे में है, उसे कीव को नहीं लौटाया जाएगा। पुतिन ने आरोप लगाया कि पश्चिम ने सोवियत संघ के विघटन के समय किए गए वादों का उल्लंघन किया और NATO ने रूस की सीमाओं की ओर कदम बढ़ाए। उन्होंने कहा कि रूस डोनबास के नागरिकों के उत्पीड़न का बदला लेगा और क्षेत्र को पूरी तरह मुक्त करेगा। पुतिन ने NATO की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाया और इसे रूस और यूरोप के लिए खतरा बताया। पुतिन ने भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और ग्लोबल साउथ के उदय को उजागर किया। उन्होंने यूरोप, विशेषकर यूके और जर्मनी में बढ़ती मंदी का जिक्र किया और कहा कि G7 देशों को अपने नाम पर गौर करना चाहिए।
ट्रंप की भूमिका की सराहना
यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में ट्रंप की भूमिका पर पुतिन ने सकारात्मक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ट्रंप शांति लाने के लिए ईमानदार हैं और जीवन बचाने के इच्छुक हैं। पुतिन ने रूस को युद्ध में आक्रामक बताने वाले दृष्टिकोण पर असंतोष जताया और कहा कि पश्चिम ने यूक्रेन को संघर्ष की ओर धकेला। उन्होंने कहा कि NATO रूस के खिलाफ एक सैन्य गठबंधन के रूप में काम कर रहा है और यूक्रेन को तटस्थ रहना चाहिए।
अफगानिस्तान और तालिबान पर दृष्टिकोण
पुतिन ने भारत में तालिबान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस विवाद पर कहा कि विरोध करने से सकारात्मक बदलाव आता है। उन्होंने जोर दिया कि तालिबान के साथ बातचीत करना आवश्यक है, ताकि वे महिलाओं के अधिकारों के प्रति अपने रवैये में बदलाव लाएं।