अब हमें नहीं चाहिए आरक्षण-कोटा, आखिर ऐसा करने वाले कौन हैं ये लोग?

महाराष्ट्र से एक अलग खबर सामने आई है. यहाँ डॉक्टरों के एक समूह ने अपना ओबीसी आरक्षण लौटाने का निर्णय लिया है.

Update: 2024-06-25 06:01 GMT

Quit Reservation: देश में आरक्षण को लेकर राजनीती होती रही है. बिहार में अभी पटना हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण की बढ़ी हुई सीमा को निरस्त किया है, जिसके बाद वहां राजनितिक माहौल तैयार करने का काम शुरू हो चुका है. उधर महाराष्ट्र में इन दिनों मराठा आरक्षण की मांग जोरों पर है, राज्य में ये मुद्दा राजनीती का बड़ा केंद्र बना हुआ है. इस बीच महाराष्ट्र से ही इसके विपरीत एक अलग खबर सामने आई है. यहाँ डॉक्टरों के एक समूह ने अपना ओबीसी आरक्षण लौटाने का निर्णय लिया है. इनमें से एक हैं 40 वर्षीय डॉ राहुल घुले, जिन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए आरक्षण वापस करने और अपना व परिवार का जाति प्रमाण पत्र लौटाने की इक्छा जताई है.

कौन हैं डॉ घुले

डॉ राहुल घुले घुमंतू वंजारी जाति से आते हैं, जिन्हें महाराष्ट्र में ओबीसी का दर्जा प्राप्त है. वो पेशे से डॉक्टर हैं. उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं और अनेस्थिसिया स्पेशलिस्ट हैं. डॉ घुले राज्य में सिर्फ 1 रूपये फीस पर क्लिनिक चलाने के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने पत्र लिखते हुए ये कहा है कि जो लोग आरक्षण की मदद से अच्छी स्थिति में आ चुके हैं, आर्थिक स्थिति बेहतर कर चुके हैं, उन्हें अब इसे दूसरों की भलाई के लिए छोड़ देना चाहिए, ताकि वे भी इसके लाभ से सामाजिक और आर्थिक स्तर बेहतर कर सकें. उन्होंने लिखा कि वो और उनका परिवार अब आरक्षण को दूसरों के लिए छोड़ रहे हैं और अपना जाति प्रमाण पत्र भी वापस लौटना चाहते हैं.

डॉ घुले के पिता शिक्षक रहे हैं. डॉ घुले ने ओबीसी-एनटी कोटे से वर्ष 2003 में मुम्बई के जीएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया था. एमबीबीएस करने के बाद उन्होंने मुंबई में प्रैक्टिस शुरू की. 2017 में उन्होंने मुंबई से सटे ठाणे जिले में महज 1 रूपये फीस वाला क्लिनिक शुरू किया. ऐसे ही क्लिनिक वो उत्तर प्रदेश में भी चलाते हैं.

15 अन्य डॉक्टर भी छोड़ना चाहते हैं ओबीसी कोटा

डॉ राहुल घुले ने बताया कि उन्होंने 2008 में राज्य में ओबीसी मेडिकोस असोसिएशन का गठन किया था. उनकी असोसिएशन में ही 15 अन्य डॉ ऐसे हैं, जो आरक्षण कोटा छोड़ना चाहते हैं.

8 लाख या उससे ज्यादा की सालाना आमदनी पर ख़त्म हो जाती है कोटे की सुविधा

डॉ राहुल घुले ने ये भी बताया कि ओबीसी आरक्षण में ये भी नियम है कि अगर किसी परिवार की सालाना आय 8 लाख रूपये या उससे ज्यादा होती है और ऐसा लगातार 3 सालों तक रहता है, तो ऐसा परिवार क्रीमी लेयर में आता है और उसे कोटे की सुविधा नहीं मिलती है. इसलिय वो आरक्षण लौटा रहे हैं, ताकि दूसरों को लाभ मिल सकें.

आरक्षण छोड़ा समाज जोड़ो अभियान

डॉक्टर घुले ने ये भी कहा कि वो और उनके साथी इस कदम से एक सामाजिक सन्देश भी देना चाहते हैं, ताकि प्रदेश में जो दरार पैदा हो रही है वो दूर हो सके. ख़ास तौर से इन दिनों जब महाराष्ट्र में मराठा-ओबीसी अनादोलन से समाज में दरार पैदा हो गयी है. जिन लोगों के पास आरक्षण है और वे क्रीमी लेयर में आते हैं, तो उन्हें स्वत: ही इसे छोड़ देना चाहिए ताकि गरीब वर्ग जिसे इसकी ज्यादा जरुरत है, उसे लाभ मिल सके. इस कदम से निश्चित तौर पर समाज में बन रहा विवाद भी खत्म होगा. इसलिए मैंने अपने इस कदम से अब आरक्षण छोड़ा, समाज जोड़ो अभियान की शुरुआत भी की है.

डॉ घुले के साथ इन्होने भी लिया आरक्षण छोड़ने का निर्णय

डॉ घुले की तरह ही उनके साथी डॉक्टर वैभव मलवे और डॉ अनिल चौधरी ने भी आरक्षण छोड़ने का निर्णय लिया है. डॉ मलवे कल्याण में रहते हैं, जो सुनार जाति से आते हैं. वहीं डॉ अनिल चौधरी तेली जाति से. डॉ. मलवे का कहना है कि हमारी जाति तो जीवन भर यही रहेगी. हमें कोटे का लाभ मिला और अब हमारी और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर हो चुकी है, इसलिए हमें दूसरों के लिए कोटा छोड़ना चाहिए. 

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