DRDO की यह कामयाबी बहुत बड़ी, जानें- क्या होता है हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट

भारत ने लांग रेंज हाइपरसोनिक मिसाइल को सफलता के साथ लांच किया है। यह कामयाब परीक्षण कई मायने में खास है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-17 04:38 GMT

DRDO Hypersonic Missile Test:  तारीख 16 नवंबर, जगह ओडिशा का डॉ अब्दुल कलाम आइलैंड। डीआरडीओ एक बड़े परीक्षण की तैयारी में था। वो परीक्षण हाइपरसोनिक मिसाइल से जुड़ी हुई थी। उस टेस्ट के कामयाब होने का मतलब भारत भी उन देशों के कतार में खड़ा हो जाता जहां उनका दबदबा है। जब मिसाइल ने लांच पैड से उड़ान भर अपने लक्ष्य को सफलता के साथ साधा तो भारत इतिहास रच चुका था। डीआरडीओ के खाते में एक और कामयाबी जुड़ गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल कामयाबी को एक्स के जरिए साझा भी किया।

डीआरडीओ की तरफ से टेस्ट की गई हाइपरसोनिक मिसाइल को भारतीय सशस्त्र बलों की सभी सेवाओं के लिए 1500 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए विभिन्न पेलोड ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है।मिसाइल को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स, हैदराबाद की लेबोरेट्री के साथ डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं में स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। उड़ान परीक्षण डीआरडीओ और सशस्त्र बलों के सीनियर वैज्ञानिकों की मौजूदगी में किया गया। 



हाइपरसोनिक मिसाइल

  • हाइपरसोनिक मिसाइल ऊपरी वायुमंडल में आवाज की गति से पांच गुना से ज्यादा रफ्तार। 
  • करीब  6,200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार।
  • अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल से धीमी है। हालांकि, हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन का आकार इसे लक्ष्य की ओर ले जा सकता है। 
  • आंशिक कक्षीय बमबारी प्रणाली (FOBS) - प्रतिक्रिया समय और पारंपरिक रक्षा तंत्र के विरोधियों पर भारी पड़ता है।
  • अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) बैलिस्टिक प्रक्षेप पथ पर परमाणु वारहेड ले जाती हैं जो अंतरिक्ष में यात्रा करती हैं लेकिन कभी कक्षा तक नहीं पहुंचती हैं।

रूस सबसे आगे

हाइपरसोनिक मिसाइल का बादशाह रूस है। अटलांटिक काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, रूस, भारत और चीन ने प्रदर्शन किया है। रूस ने सबसे पहले हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल किया था। जिरकॉन उनमें खास है। यह मिसाइल मैक 8 की रफ्तार से 1000 किमी तक हमला कर सकती है। भारत ने स्पष्ट तौर पर यह साफ नहीं किया है कि मारक क्षमता की दूरी कितनी है। लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह 1500 किमी से अधिक है। हाइपरसोनिक मिसाइल पर रूस ने 1980 के दशक से ही काम करना शुरू कर दिया था। रूस के पास जिरकान के अलावा किंझल और एवनगॉर्ड भी है। किंझल 2 हजार किमी तक मार करने में सक्षम है।

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