EXCLUSIVE: अब आगे की लड़ाई मानवरहित होगी, इनसाइड स्टोरी

पूर्व DRDO प्रमुख डॉ. डब्ल्यू. सेल्वमूर्ति ने खुलासा किया कि भारत एआई आधारित मानवरहित युद्धक्षेत्रों और हथियारबंद अंतरिक्ष के लिए तैयारी कर रहा है;

Update: 2025-05-16 13:23 GMT
बेंगलुरु में CAIR और पुणे में R&DE जैसी रोबोटिक्स प्रयोगशालाएँ भारत के मानव जैसे युद्ध के मैदान के रोबोट विकसित कर रही हैं। ये रोबोट युद्ध के हथियारों का पता लगा सकते हैं, गश्त कर सकते हैं और यहाँ तक कि उन्हें ले भी जा सकते हैं। सेल्वामूर्ति ने कहा, "ये रोबोट अंततः उच्च-ऊंचाई वाली चौकियों और परमाणु क्षेत्रों जैसे जोखिम भरे क्षेत्रों में सैनिकों की जगह ले लेंगे।"

पूर्व DRDO प्रमुख डॉ. डब्ल्यू. सेल्वमूर्ति ने कहा है कि भविष्य के युद्ध मानव बनाम मानव नहीं होंगे, बल्कि तकनीक आधारित होंगे, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियां निर्णायक भूमिका निभाएँगी। उनका मानना है कि युद्धक्षेत्र अब दूरस्थ, मानव रहित और स्वचालित हो जाएगा।

AI और रोबोटिक्स का युग

डॉ. सेल्वमूर्ति के अनुसार, “भविष्य के युद्ध मैन-टू-मैन नहीं होंगे। ड्रोन, स्वायत्त वाहन और मानव रहित ग्राउंड प्लेटफॉर्म पहले ही विकसित किए जा रहे हैं। युद्ध की दिशा AI और रोबोटिक्स तय करेंगे।” खासकर, सियाचिन जैसे दुर्गम क्षेत्रों या रासायनिक हमलों वाले क्षेत्रों में सैनिकों की जगह ह्यूमनॉइड रोबोट तैनात किए जाएंगे, जो निगरानी, पेट्रोलिंग और हथियार संचालन में सक्षम होंगे।


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AI सैनिकों की जगह नहीं लेगा, बल्कि उन्हें बेहतर बनाएगा

हालाँकि, सेल्वमूर्ति यह स्पष्ट करते हैं कि AI, सैनिकों की जगह नहीं लेगा बल्कि उनकी क्षमताओं को बढ़ाएगा। “AI मानवीय बुद्धि का स्थान नहीं लेगा, बल्कि उसे मजबूत करेगा।AI-सक्षम उपकरणों से सैनिकों को रीयल-टाइम युद्ध की स्थिति की जानकारी मिलेगी, जिसमें अपने और दुश्मन की पोज़िशन और अपडेट्स स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे।

प्रमुख तकनीकों में भारत का निवेश

भारत भविष्य के युद्धों को ध्यान में रखते हुए कई उन्नत तकनीकों में निवेश कर रहा है क्वांटम संचार और एन्क्रिप्शन – साइबर सुरक्षा के लिए,ब्लॉकचेन तकनीक – लॉजिस्टिक्स को सुरक्षित बनाने हेतु,हाई-पावर लेज़र और माइक्रोवेव – दुश्मन के उपग्रहों को निष्क्रिय करने के लिए

CBRN युद्ध की आशंका और तैयारी

रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर (CBRN) युद्ध भी एक बड़ी चिंता है। सेल्वमूर्ति कहते हैं, “हम इन सभी के लिए रक्षा रणनीतियाँ विकसित कर रहे हैं।”

भारतीय ह्यूमनॉइड रोबोट परियोजना

बेंगलुरु स्थित CAIR और पुणे स्थित R&DE जैसी DRDO प्रयोगशालाओं में ह्यूमनॉइड युद्ध रोबोट विकसित किए जा रहे हैं। ये रोबोट निगरानी कर सकते हैं, खतरे की पहचान कर सकते हैं, और हथियारों का संचालन भी कर सकते हैं।डॉ. सेल्वमूर्ति ने कहा, “ये रोबोट अंततः सैनिकों की जगह उन क्षेत्रों में तैनात होंगे जहां मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है – जैसे ऊँचाई वाले पोस्ट या परमाणु क्षेत्रों में। उद्देश्य हमारे जवानों को खतरनाक स्थितियों से बचाना है।”

ड्रोन रक्षा में भारत की बढ़त

भारत ने हाल ही में पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे तुर्की निर्मित ड्रोन को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया। DRDO ने सॉफ्ट किल (जैमिंग) और हार्ड किल (गोलीबारी द्वारा ड्रोन गिराना) दोनों प्रकार की तकनीकों का सफल प्रदर्शन किया है।सेल्वमूर्ति कहते हैं, “हम ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं जिसे दुश्मन अनुमान नहीं लगा सकें।”

अंतरिक्ष युद्ध में भारत की क्षमता

भारत की अंतरिक्ष क्षमताएँ तेजी से बढ़ रही हैं जैसे उपग्रह निगरानी, सुरक्षित संचार और लंबी दूरी की मिसाइल क्षमताएँ। DRDO ने पहले ही एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (ASAT) का परीक्षण किया है, और अब लेज़र व माइक्रोवेव हथियारों पर काम चल रहा है जो दुश्मन के उपग्रहों को निष्क्रिय कर सकें।हालाँकि, डॉ. सेल्वमूर्ति स्पष्ट करते हैं, “भारत अंतरिक्ष के सैन्यीकरण का पक्षधर नहीं है, लेकिन यदि ज़रूरत पड़ी तो हमारे पास वह क्षमता मौजूद है।”

भारत का रक्षा क्षेत्र एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहा है जहाँ तकनीक, विशेषकर AI और रोबोटिक्स, युद्ध की दिशा और स्वरूप को पूरी तरह बदल देगा। डॉ. सेल्वमूर्ति का यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि आने वाले दशक में भारत न केवल आत्मनिर्भर होगा, बल्कि तकनीकी रूप से अपने विरोधियों से आगे भी निकल सकता है।

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