डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन: भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान
1994-2003 तक अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान इसरो ने कई प्रक्षेपण वाहनों के संचालन और अंतरिक्ष वैज्ञानिक मिशनों के प्रक्षेपण सहित नए मानक स्थापित किए।;
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का 25 अप्रैल 2025 को बेंगलुरु में निधन हो गया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया.
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
कस्तूरीरंगन का जन्म 24 अक्टूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम में हुआ। उनकी मां का निधन बचपन में ही हो गया था और वे अपने छोटे भाई के साथ दादी-दादी के पास पले-बढ़े। बचपन से ही उन्हें तारों और ब्रह्मांड में रुचि थी। उन्होंने मुंबई के रामनारायण रुइया कॉलेज से विज्ञान में ऑनर्स और मुंबई विश्वविद्यालय से भौतिकी में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी में एक्सपेरिमेंटल हाई एनर्जी एस्ट्रोनॉमी में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की।
ISRO में योगदान
कस्तूरीरंगन ने 1970 में ISRO जॉइन किया, जब यह संगठन अभी नया था। उन्होंने रोहिणी उपग्रह, आर्यभट्ट और भारतीय रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स जैसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में ISRO ने PSLV और GSLV जैसे लॉन्च व्हीकल्स विकसित किए और अंतरिक्ष में भारत की स्थिति को मजबूत किया।
शिक्षा नीति में योगदान
कस्तूरीरंगन ने 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिसमें विज्ञान, गणित, साहित्य, और मानविकी को समान महत्व दिया गया।
पुरस्कार और सम्मान
कस्तूरीरंगन को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, पद्मश्री, पद्मभूषण, और पद्मविभूषण शामिल हैं।