सरकार ने कबाड़ से कमा लिए 4100 करोड़ रुपये, सरकारी दफ्तरों के कबाड़ की नीलामी से आया राजस्व
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कबाड़ बेचकर अर्जित ₹4,088 करोड़ रुपये की आय किसी बड़े अंतरिक्ष मिशन या कई चंद्रयान अभियानों के बजट को पूरा कर सकती है। साथ ही, इस अभियान के दौरान जितनी जगह खाली कराई गई है, वह इतनी विशाल है कि उसमें कोई बड़ा मॉल या अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण ढांचा बनाया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि विभिन्न केंद्रीय सरकारी कार्यालयों में जमा कबाड़, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक सामान भी शामिल हैं, को नीलाम कर सरकार ने पिछले पांच वर्षों में करीब ₹4100 करोड़ रुपये की कमाई की है। उन्होंने कहा कि इस कबाड़ बिक्री से अर्जित ₹4,088 करोड़ रुपये से किसी बड़े अंतरिक्ष मिशन या कई चंद्रयान मिशनों का बजट पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा, जितनी जगह इस सफाई अभियान से खाली हुई है, उतनी में कोई बड़ा मॉल या अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण ढांचा बनाया जा सकता है।
₹4088 करोड़ की आय और करोड़ों वर्गफुट जगह खाली हुई
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि विशेष स्वच्छता अभियान 4.0 के अंत तक करीब ₹3,300 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी, जिसके साथ इस वर्ष 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2025 तक चले स्वच्छता अभियान 5.0 से ₹788.53 करोड़ रुपये और जुड़े। इस तरह अब तक कुल ₹4088.53 करोड़ रुपये की आय हो चुकी है।
उन्होंने कहा, “साल 2021 से अब तक पांच वार्षिक विशेष स्वच्छता अभियानों के दौरान, जो हर साल एक महीने चले, अलग-अलग केंद्रीय सरकारी कार्यालयों से कबाड़ (इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ सहित) की नीलामी कर ₹4088.53 करोड़ रुपये की आय हुई है।”
मोदी के आह्वान से शुरू हुई पहल
मंत्री ने याद किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में लाल किले की प्राचीर से स्वच्छता अभियान की अपील की थी। इस आह्वान ने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया और पहले ही वर्ष में चार लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ।
सिंह ने बताया कि इसके बाद सरकारी कार्यालयों से पुराने फाइलों, टूटे फर्नीचर और बेकार पड़े सामान को हटाने का अभियान शुरू किया गया।
उन्होंने कहा कि हर वर्ष इस अभियान में नए आयाम जोड़े गए। 2021 में प्रधानमंत्री के सुझाव पर यह तय हुआ कि सामान्य स्वच्छता अभियान के साथ-साथ हर वर्ष 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) से 31 अक्टूबर तक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा, जिसमें सभी मंत्रालयों और विभागों को भाग लेकर अपनी प्रगति की रिपोर्ट देनी होगी।
ई-कचरा भी बना आमदनी का जरिया
सिंह ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में दफ्तरों में पारंपरिक कबाड़ के अलावा इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी बड़ी मात्रा में जमा था, जिसे नीलाम कर न सिर्फ राजस्व बढ़ाया गया बल्कि उसे रीसायक्लिंग के जरिए “कचरे से संपदा” में भी बदला जा सका।
इस अभियान का एक और बड़ा नतीजा यह रहा कि करीब 231.75 लाख वर्गफुट जगह कचरे, पुराने फर्नीचर और कबाड़ से खाली कराई गई, जिसे अब उत्पादक उपयोग में लाया जा सकेगा।
सिंह ने बताया कि कबाड़ की बिक्री से अर्जित ₹4,088 करोड़ रुपये किसी बड़े अंतरिक्ष मिशन या कई चंद्रयान अभियानों का बजट कवर कर सकते हैं। खाली कराई गई जगह भी इतनी है कि उसमें कोई विशाल मॉल या अन्य आर्थिक गतिविधियों का ढांचा बनाया जा सकता है।
विज्ञान मंत्रालय की ‘वेस्ट टू वेल्थ’ पहल से जुड़ा अभियान
उन्होंने बताया कि इस वर्ष का स्वच्छता अभियान 5.0 उस समय चलाया गया जब विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा बड़े पैमाने पर “वेस्ट टू वेल्थ” गतिविधियां चलाई जा रही हैं।
इसमें उदाहरणस्वरूप, सीएसआईआर-एनआईआईएसटी तिरुवनंतपुरम द्वारा विकसित तकनीक से अस्पताल के कचरे का पुनर्चक्रण किया गया है जो एम्स नई दिल्ली में लागू है; सीएसआईआर-आईआईपी देहरादून द्वारा इस्तेमाल किए गए तेल का रीसायक्लिंग किया गया है; और सीएसआईआर-सीआरआरआई नई दिल्ली द्वारा विकसित तकनीक से स्टील स्लज का उपयोग सड़क निर्माण में किया जा रहा है।