सुप्रीम कोर्ट में SIR को लेकर सुनवाई जारी, वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट में बदलाव के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की। चुनाव आयोग से केरल चुनाव टालने पर कंपोजिट जवाब दाखिल करने को कहा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चुनाव आयोग द्वारा की जा रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी। एक दिन पहले मंगलवार को कोर्ट ने MDMK के संस्थापक और पूर्व राज्यसभा सांसद वैको की तमिलनाडु में SIR के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था। यह याचिका कांग्रेस, DMK, CPI(M) समेत कई राजनीतिक दलों की याचिकाओं के साथ ही सूचीबद्ध की गई है।
पहले भी सुनवाई कर चुकी है सुप्रीम कोर्ट
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने 11 नवंबर को SIR के दूसरे चरण पर आपत्तियों की सुनवाई की थी। DMK की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जबकि ADR की ओर से प्रशांत भूषण ने दलीलें दी थीं। चुनाव आयोग की इस शिकायत पर कि कई हाई कोर्ट में समानांतर सुनवाई चल रही है, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट्स से मामलों पर रोक लगाने का अनुरोध किया।
केरल में SIR रोकने की मांग
केरल सरकार और राजनीतिक दलों की SIR टालने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव चल रहे हैं, इसी कारण SIR रोकने की मांग की गई थी। EC ने बताया कि 99% एन्यूमरेशन फॉर्म केरल में वितरित किए जा चुके हैं। 70% फॉर्म डिजिटाइज़ हो चुके हैं और BLOs के लिए अलग टीम लगाई गई है, जो स्थानीय चुनावों से अलग है। कोर्ट ने EC और केरल चुनाव आयोग को सम्मिलित जवाब दाखिल करने को कहा है।
वहीं, तमिलनाडु सरकार ने तर्क दिया कि 22 दिनों में केवल 50% फॉर्म डिजिटाइज़ हुए हैं। केवल 8 दिन बाकी हैं। राज्य में चक्रवात की चेतावनी भी है, जो फॉर्म डिजिटाइज़ नहीं हुए, उनका क्या होगा? EC के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि फॉर्म जमा होते ही ज़िम्मेदारी EC की होती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई राजनीतिक दल फॉर्म वितरण में बाधा डाल रहे हैं।
सिब्बल ने कहा कि SIR की वर्तमान प्रक्रिया बहिष्कारी (exclusionary) है, जबकि संशोधन समावेशी (inclusionary) होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों अशिक्षित महिलाएं हैं। क्या उन्हें वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा? SIR के तहत दो महीने में यह प्रक्रिया पूरी करना असंभव है। सिब्बल ने कहा कि BLO यह तय नहीं कर सकता कि कोई व्यक्ति नागरिक है या नहीं, यह केवल केंद्र सरकार कर सकती है। CJI ने कहा कि अपील की प्रक्रिया उपलब्ध है, लेकिन सिब्बल ने तर्क दिया कि लाखों लोग अपील करने में सक्षम नहीं होते।
बिहार SIR का भी संदर्भ
CJI ने कहा कि बिहार में हुई SIR के दौरान उठी आशंकाओं के बावजूद चुनाव कराए गए और अधिकतर deletions पर लोगों ने आपत्ति नहीं की। SC ने कहा कि उसे ऐसे लोग मुश्किल से मिले, जिनका नाम गलत तरीके से हटाया गया हो।
वहीं, सिब्बल ने कहा कि धारा 16 के अनुसार केवल 3 कारणों से वोटर नाम हटाया जा सकता है:-
1. भारत का नागरिक नहीं होना
2. मानसिक रूप से अस्वस्थ होना (अदालत द्वारा घोषित)
3. चुनाव संबंधी अपराधों में अयोग्यता
धारा 19 यह कहता है कि 18 साल से ऊपर और क्षेत्र का निवासी हर व्यक्ति वोटर बनने का हकदार है।
अगली सुनवाई कब?
केरल SIR को लेकर अगली सुनवाई 2 दिसंबर रखी गई है। EC और SEC को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करना होगा। वहीं, तमिलनाडु SIR की अगली सुनवाई 4 दिसंबर होगी। EC को जवाब 1 दिसंबर तक दाखिल करना होगा। जबकि, राज्य का जवाब 3 दिसंबर तक जमा करना होगा। पश्चिम बंगाल सकी SIR सुनवाई 9 दिसंबर को रखी गई है।