अनेकता में एकता की परम्परा है भारत की हमारे देश की : अमर्त्य सेन
नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा कि समुदायों के बीच सदियों पुराने सौहार्द को ‘धार्मिक सहिष्णुता’ शब्द से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए
Hindu Muslim Unity: नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशाष्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि ऐतिहासिक रूप से भारत में हिंदू और मुसलमान मिलजुल कर काम करते और रहते आए हैं, तथा वर्तमान समय में भी यही भावना प्रदर्शित होनी चाहिए.
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने शनिवार (13 जुलाई) को अलीपुर जेल संग्रहालय में वंचित युवाओं में पुस्तक पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में ये बात कही. उन्होंने कहा, "हमारे देश के इतिहास के अनुसार, हिंदू और मुसलमान सदियों से पूर्ण समन्वय और तालमेल के साथ सद्भाव में काम करते रहे हैं. ये 'जुक्तोसाधना' है, जैसा कि क्षितिमोहन सेन ने अपनी पुस्तक में रेखांकित किया है. हमें अपने वर्तमान समय में 'जुक्तोसाधना' के इस विचार पर जोर देने की आवश्यकता है."
इस संदर्भ में उन्होंने "धार्मिक सहिष्णुता" शब्द पर चिंता जताते हुए कहा कि केवल इसी पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए.
'धार्मिक सहिष्णुता पर ही एकमात्र जोर नहीं होना चाहिए'
उन्होंने कहा, "ये केवल दूसरे समुदाय को रहने देने और किसी की पिटाई न करने जैसा नहीं है. शायद वर्तमान स्थिति में ये एक आवश्यकता बन गई है, क्योंकि लोगों को पीटा जा रहा है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है मिलकर काम करना." अपने उदार विचारों के लिए जाने जाने वाले सेन ने कहा कि बच्चों को सहिष्णुता के मूल्यों को विकसित करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे किसी भी "विभाजनकारी विषाक्तता" से प्रभावित नहीं होते हैं और वे मित्र के रूप में विकसित होते हैं, क्योंकि उन्हें "बुरी शिक्षा" नहीं दी जाती है, जो उनके दिमाग में जहर घोल सकती है.
संगीत नहीं करता धर्म के आधार पर भेद भाव
संगीत का उदाहरण देते हुए, जो धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता, सेन ने कहा कि 'जुक्तोसाधना' राजनीति, सामाजिक कार्य और कला में अभिव्यक्त होती है. उन्होंने कहा, "क्या आप उस्ताद अली अकबर खान और पंडित रविशंकर के बीच उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर अंतर कर सकते हैं? शास्त्रीय संगीत की अपनी शैली के आधार पर उनमें अंतर किया जा सकता है."
इतिहास से सबक
भारत के बहुलवादी चरित्र को नष्ट करने के किसी भी प्रयास के प्रति आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि मुमताज के पुत्र दारा शिकोह उन कुछ लोगों में से एक थे, जिन्होंने उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया था. सेन ने कहा, "इससे पता चलता है कि वो हिंदू धर्मग्रंथों और संस्कृत भाषा के अच्छे जानकार थे, और अब दो विचारधाराएं हैं जो हमारे गौरव और धरोहर ''ताजमहल'' के खिलाफ कुछ टिप्पणियां कर रही हैं, जो एक शानदार ऐतिहासिक इमारत है और मुमताज बेगम की याद में बनाई गई है."
उन्होंने कहा, "जहां एक विचारधारा ताजमहल के इतने सुंदर दिखने और इसकी इतनी भव्यता के खिलाफ है, वहीं दूसरी विचारधारा ये चाहती है कि स्मारक का नाम बदल दिया जाए ताकि ये किसी मुस्लिम शासक से जुड़ा न हो."
(एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के साथ)