25 साल पहले वारदात चर्चा अब, IC814 का वाजपेयी सरकार से क्या था कनेक्शन

आईसी 814 वेब सीरीज में आतंकियों को भोला, शंकर नाम दिए जाने पर आपत्ति जताई गई है। हालांकि निर्देशक अनुभव सिन्हा का कहना है कि इस विषय पर काफी रिसर्च किया गया है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-02 07:11 GMT

IC 814 Controversy:  साल 2000 या उसके बाद पैदा लोगों को कंधार हाइजैक के बारे में जानकारी कम होगी। हालांकि 25 साल बाद आप वेब सीरीज के जरिए इसे देख सकते हैं। भारतीय एविएशन इतिहास में यह हाइजैक थोड़ा अलहदा था। 191 यात्रियों की रिहाई के बदले आतंकियों को छोड़ने का मुद्दा था। तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने यात्रियों के बदले आतंकियों को छोड़ने का फैसला किया। सरकार के फैसले को कुछ सेक्शन से सराहा तो कुछ ने आलोचना की। सरकार ने उस समय मानवीय पक्ष का हवाला दिया। अब जब 25 साल बाद वेबसीरीज आई तो एक बार फिर विवाद गहरा गया है हालांकि वजह अलग है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेटफ्लिक्स इंडिया के हेड को भारत सरकार ने कंटेंच और कुछ कैरेक्टर्स को लेकर तलब किया है।

यह वेबसीरीज 1999 में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन द्वारा इंडियन एयरलाइंस के विमान को हाईजैक करने की घटना पर आधारित है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से यह समन तब आया है जब सैकड़ों सोशल मीडिया यूजर्स ने वेबसीरीज के निर्माताओं पर जानबूझकर अपहरणकर्ताओं के नाम बदलकर भोला और शंकर रखने का आरोप लगाया है। वेबसीरीज का निर्देशन अनुभव सिन्हा ने किया है और यह 'फ्लाइट इनटू फियर: द कैप्टन स्टोरी' पुस्तक से प्रेरित है। 

एक नजर में क्या है विवाद

  • 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या आईसी 814 का अपहरण हुआ था
  • विमान में 191 यात्री सवार थे। काठमांडू से दिल्ली की उड़ान थी।
  • हरकल उल मुजाहिद्दीन के आतंकियों की करतूत
  • जम्मू के कोट भलवल से मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों को छुड़ाने की मांग थी
  • अपहरण कर्ता कंधार से पहले विमान को अमृतसर, लाहौर और दुबई ले गए
  • आतंकियों के निकनेम चीफ, डाक्टर, भोला और शंकर थे
  • सोशल मीडिया पर भोला और शंकर को लेकर विवाद
  • निर्देशक अनुभव सिन्हा पर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ का आरोप
  • अनुभव सिन्हा का दावा, गहन रिसर्च के बाद बनाई गई है वेब सीरीज

जम्मू की जेल में बंद थे आतंकी
वेब सीरीज में 24 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 814 के अपहरण को दिखाया गया है। 191 यात्रियों के साथ विमान नेपाल के काठमांडू से उड़ान भरकर दिल्ली जा रहा था। उड़ान भरने के तुरंत बाद, यात्रियों के रूप में मौजूद पांच अपहरणकर्ताओं ने विमान को अपने नियंत्रण में ले लिया। बाद में इसे अफगानिस्तान के कंधार ले जाने से पहले अमृतसर, लाहौर और दुबई में कई बार उतारा गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार को बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तीन खूंखार आतंकवादियों - मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को भारतीय जेलों से रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। रिपोर्टों के अनुसार, तालिबान अधिकारियों ने अपहरणकर्ताओं और रिहा किए गए आतंकवादियों को पाकिस्तान पहुँचने में मदद की।

6 जनवरी, 2000 को केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि अपहरणकर्ताओं के नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर थे। अपहृत स्थान के यात्रियों के लिए ये अपहरणकर्ता चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर के नाम से जाने जाते थे, ये अपहरणकर्ता हमेशा एक-दूसरे को इन्हीं नामों से संबोधित करते थे। अगर आप वेबसीरीज को देखें तो अंदाजा लगा सकते हैं कि उस समय भारत में सरकार और अलग अलग खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल की कितनी कमी थी।

काठमांडू एयरपोर्ट पर आईसी 814 जब टेकऑफ के लिए तैयार था उससे पहले ही यह जानकारी मिल चुकी थी कि कुछ संदिग्ध लोग हवाई जहाज में सवार हो चुके हैं जिनकी मंशा ठीक नहीं है। वहां पर खुफिया एजेंसी से जुड़ा एजेंट अपनी बात रखना चाहता है लेकिन उसकी अनसूनी की जाती है। कंधार हाइजैक कांड को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के माथे पर धब्बा बताया जाता है। हालांकि सरकार ने कहा था कि उस समय जो हालात बने हुए थे उसके मद्देनजर ही फैसला लिया गया था। 

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