अगर विपक्ष ने उतारा लोकसभा स्पीकर के लिए उम्मीदवार, जानें- कैसे होगा चुनाव
लोकसभा स्पीकर के लिए क्या एनडीए के दल सर्वसम्मति बनाकर उम्मीदवार का चयन कर सकेंगे या इसके लिए चुनाव होगा. अगर चुनाव होता है तो किस तरह की तस्वीर बनेगी उसके बारे में बताएंगे
Lok Sabha Speaker Election: 2014 और 2019 में भी एनडीए की सरकार बनी थी और अब एक बार फिर 2024 में बनी है.हालांकि इन तीनों सरकारों में फर्क यह है कि 2014 और 2019 में बीजेपी के लिए घटक दलों की जरूरत नाम मात्र की थी. लेकिन इस दफा तस्वीर बदली हुई है. नरेंद्र मोदी की सरकार दो घटक दलों के मदद पर टिकी हुई है. ऐसे में लोकसभा स्पीकर के चयन का मुद्दा अहम हो गया है. पिछले 10 वर्षों में बीजेपी अपने संख्या बल के आधार पर अध्यक्ष बनाने में कामयाब रही. बड़ी बात यह कि पिछले 10 वर्षों में लोकसभा में डिप्टी स्पीकर कोई नहीं था. आमतौर पर लोकसभा अध्यक्ष सत्ता और डिप्टी स्पीकर विपक्ष की तरफ से होता रहा है. लेकिन अब विपक्षी दल भी इस रेस में कूद पड़े है.
24 जून से संसद का सत्र
संसद का सत्र 24 जून से शुरू होने वाला है, 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा. लेकिन सवाल यह है कि लोकसभा को बिना चुनाव ही अध्यक्ष मिलेगा या चुनावी प्रक्रिया से गुजरना होगा. दरअसल विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर की मांग की है. विपक्ष के मुताबिक परंपरा के मुताबिक यह पद उसे मिलना चाहिए. यही नहीं विपक्ष का यह भी कहना है कि अगर सत्ता पक्ष उनकी मांग स्वीकार करे तो वे स्पीकर के लिए उम्मीदवार नहीं उतारेंगे. लेकिन जिस तरह की स्थिति बनी हुई है उसमें चुनाव की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता है.खास बात यह है कि अगर चुनाव होता है तो यह पहली बार होगा.
ऐसे होता है स्पीकर का चुनाव
सबसे पहले तो चुने गए सदस्यों को प्रोटेम स्पीकर शपथ दिलाएंगे. प्रोटेम स्पीकर लोकसभा की सीनियर सदस्य होता है और उसकी देखरेख में ही स्पीकर का चुना होगा. आम चुनाव के बाद परंपरा के मुताबिक सत्ता और विपक्ष स्पीकर के नाम घोषित करते थे. पीएम और संसदीय कार्यमंत्री उस नाम का प्रस्ताव करते थे. आमतौर पर स्पीकर सत्ता पक्ष का होता था और उसे लेकर विपक्ष ऐतराज भी नहीं करता था.अगर उम्मीदवार एक से अधिक हैं तो उतनी दफा प्रस्ताव रखा जाता है और जरूरत के हिसाब से वोटिंग होती है. जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक मत मिलते हैं उसे स्पीकर चुन लिया जाता है. स्पीकर के चुनाव की तारीख राष्ट्रपति की तरफ से तय किया जाता है.
स्पीकर-डिप्टी स्पीकर से संबंधित रोचक तथ्य
- 1919 में ब्रिटिश सरकार इंडियन गवर्नमेंट एक्ट लागू किया गया था. इसके तहत ही लोकसभा और राज्यसभा गठित की गई
- अनुच्छेद 93 के तहत लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होता है.
- जी वी मावलंकर और एम ए आयंगर पहले स्पीकर और डिप्टी स्पीकर थे.
- लोकसभा के चार सदस्य दो बार स्पीकर के लिए चुने गए.
- एम एस अयंगर, जी एस ढिल्लो, बलराम जाखड़ और जीएमसी बालयोगी दो दफा चुने गए.
डिप्टी स्पीकर का चुनाव
डिप्टी स्पीकर के चुनावी तारीख का ऐलान स्पीकर करते हैं. जितने उम्मीदवार होंगे उतनी दफा प्रस्ताव रखा जाएगा. फिर स्पीकर चुनाव की तरफ वोटिंग करायी जाती है. स्पीकर की तरह लोकसभा स्पीकर का कार्यकाल भी पांच साल के लिए होता है.