देश के नाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन, कहा- टॉप 3 अर्थव्यवस्था बनने की तरफ भारत अग्रसर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि राजनीतिक लोकतंत्र तब तक कायम नहीं रह सकता, जब तक कि उसके मूल में सामाजिक लोकतंत्र न हो.

Update: 2024-08-14 14:58 GMT

President Draupadi Murmu Address: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में डॉ. बीआर आंबेडकर के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि 'राजनीतिक लोकतंत्र तब तक कायम नहीं रह सकता, जब तक कि उसके मूल में सामाजिक लोकतंत्र न हो. उन्होंने समावेश के साधन के रूप में सकारात्मक कार्रवाई को मजबूत करने का आह्वान किया और कहा कि ऐसी प्रवृत्तियां जो कथित सामाजिक पदानुक्रमों के आधार पर कलह को बढ़ावा देती हैं, उन्हें अस्वीकार किया जाना चाहिए.

78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक न्याय सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और समाज के अन्य हाशिए पर पड़े वर्गों के कल्याण के लिए कई अभूतपूर्व पहल की हैं. राष्ट्रपति ने अपने 20 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री सामाजिक उत्थान एवं रोजगार आधारित जनकल्याण (पीएम-सूरज, जो प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करता है), पीएम-जनमन (विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए) और सीवर या सेप्टिक टैंकों की मैनुअल सफाई को रोकने के लिए नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते योजना) जैसी सरकारी योजनाओं का उल्लेख किया.

इस वर्ष संविधान के 75वें वर्ष को चिह्नित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि नए स्वतंत्र राष्ट्र की यात्रा बाधाओं के बिना नहीं थी. न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के संवैधानिक आदर्शों पर दृढ़ रहते हुए हम भारत को वैश्विक मंच पर अपना सही स्थान पुनः प्राप्त करने में सक्षम बनाने के मिशन पर हैं.

उन्होंने अपने भाषण में हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस साल हमारे देश में आम चुनाव हुए, पात्र मतदाताओं की संख्या लगभग 97 करोड़ थी. यह एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड था, जिसने इसे मानव जाति द्वारा अब तक का सबसे बड़ा चुनावी अभ्यास बना दिया. जब इतनी बड़ी संख्या में लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं तो यह लोकतंत्र के विचार के लिए एक जोरदार वोट होता है. भारत द्वारा सफलतापूर्वक चुनाव आयोजित करने से दुनिया भर में लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूती मिलती है.

राष्ट्रपति ने उन दिनों को याद किया, जब देश विदेशी शासन के अधीन था और विभाजन की भयावहता को भी याद किया. उन्होंने कहा कि देशभक्त और बहादुर आत्माओं ने बहुत जोखिम उठाया और सर्वोच्च बलिदान दिया. उनके अथक परिश्रम की बदौलत भारत की आत्मा सदियों की सुस्ती से जाग उठी. उन्होंने महात्मा गांधी को भारत का "दिशा-सूचक" बताया और सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, आंबेडकर और भगत सिंह के योगदान का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि आदिवासियों में तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, लक्ष्मण नायक और फूलो-झानो जैसे कई लोग थे, जिनके बलिदान की अब सराहना हो रही है. देश ने अब बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया है.

समकालीन भारत के बारे में उन्होंने कहा कि कैसे 2021 से 2024 के बीच भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहा है, जिसकी औसत वृद्धि दर सालाना आठ प्रतिशत रही है. उन्होंने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का जिक्र करते हुए कहा कि जहां तक ​​उन लोगों का सवाल है जो गरीबी से जूझ रहे हैं, उन्हें न केवल मदद पहुंचाने के लिए, बल्कि इससे बाहर निकालने के लिए भी हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं. इस योजना के तहत करीब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जाता है. यह सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और हम जल्द ही शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है. यह केवल किसानों और श्रमिकों की अथक मेहनत, योजनाकारों और धन-सृजकों की दूरदर्शिता और दूरदर्शी नेतृत्व द्वारा ही संभव हुआ है.

राष्ट्रपति ने कहा कि किसानों ने यह सुनिश्चित किया है कि कृषि उत्पादन उम्मीदों से बेहतर रहे. उन्होंने भारत को कृषि में आत्मनिर्भर बनाने और हमारे लोगों को भोजन उपलब्ध कराने में बहुत बड़ा योगदान दिया है. भविष्य की प्रौद्योगिकी की संभावनाओं पर भी ध्यान देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा दिया है, जिससे स्टार्टअप के लिए एक आदर्श पारिस्थितिकी तंत्र तैयार हुआ है, जो उनके विकास को गति देगा.

उन्होंने कहा कि 'न्याय' शब्द में कई सामाजिक कारक शामिल हैं- लैंगिक न्याय और जलवायु न्याय. उन्होंने कहा कि सरकार ने महिलाओं के कल्याण और महिला सशक्तिकरण को समान महत्व दिया है. पिछले दशक में इस उद्देश्य के लिए बजट आवंटन तीन गुना से अधिक हो गया है. श्रम बल में उनकी भागीदारी बढ़ी है. इस मोर्चे पर सबसे उत्साहजनक विकास जन्म के समय लिंग अनुपात में उल्लेखनीय सुधार रहा है.

जलवायु परिवर्तन पर मुर्मू ने कहा कि भारत को ग्लोबल वार्मिंग के सबसे बुरे प्रभावों से ग्रह को बचाने के लिए मानवता की लड़ाई में सबसे आगे रहने पर गर्व है. उन्होंने कहा कि मैं यहां यह भी उल्लेख करना चाहूंगी कि इस वर्ष जुलाई से भारतीय न्याय संहिता को अपनाकर हमने औपनिवेशिक युग की एक और निशानी को हटा दिया है. नई संहिता केवल दंड पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अपराध के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में उन्मुख है.

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में अभूतपूर्व प्रगति की है. वह अगले वर्ष गगनयान मिशन के प्रक्षेपण का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं, जो भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान पर सवार होकर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की एक टीम को अंतरिक्ष में ले जाएगा.

उन्होंने खेल अवसंरचना के विकास को दी गई प्राथमिकता और इसके परिणाम दिखाने के तरीके पर भी ध्यान दिया. भारतीय दल ने हाल ही में संपन्न पेरिस ओलंपिक खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. क्रिकेट में भारत ने बड़ी संख्या में प्रशंसकों की खुशी के लिए टी-20 विश्व कप जीता. शतरंज में हमारे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने देश को गौरवान्वित किया है. इसे शतरंज में भारतीय युग की शुरुआत कहा जा रहा है. बैडमिंटन, टेनिस और अन्य खेलों में हमारे युवा विश्व मंच पर अपनी पहचान बना रहे हैं.

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