दिल्ली का रास्ता इंडी गठबंधन को लग रहा आसान, क्या ये 8 राज्य हैं वजह ?
आम चुनाव 2024 के नतीजों का ऐलान 4 जून को होगा. हालांकि उससे पहले ही सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अपनी वापसी के दावे कर रहे हैं.
LokSabha Elections 2024: आम चुनाव 2024 है, हर एक राजनीतिक दल को खुद के लिए दिल्ली पहुंचने के लिए राह आसान लग रही है. जबकि दूसरे दलों के लिए मुश्किल से भरा हुआ सफर. 2024 का चुनाव एनडीए के लिए जहां मायने रखता है तो विपक्ष के लिए भी उतना ही अहम. एनडीए इतिहास लिखने का दावा कर रहा है तो इंडी गठबंधन को लगता है कि दिन में किसी को सपना देखने से कौन रोक सकता है. अब सवाल यही है कि एनडीए के बातों में कितना दम है. अगर आप नरेंद्र मोदी के नारे को देखें तो वो बार बार कहते हैं कि इस दफा 400 और 370 के पार. जब वो 400 के साथ 370 का जिक्र करते हैं तो उसका अपना सांकेतिक महत्व है. पहला तो ये कि अगर एनडीए को 400 सीट मिले तो उनके लिए बड़े फैसले लेना आसान हो जाएगा. दूसरा 370 के जरिए वो बताने की कोशिश करते हैं कि देखिए हम जो कहते हैं उसे करके दिखाते भी हैं.
इंडी गठबंधन का दावा
अब बीजेपी की इस दावे का इंडी ब्लॉक खिल्ली उड़ाता है. इसके नेता कहते हैं कि इस दफा एनडीए- बीजेपी 150 के नीचे. इंडी गठबंधन के नेताओं के उत्साह की वजह क्या है. जानकार कहते हैं कि इसके लिए 2019 में आठ राज्यों के नतीजों को देखना होगा. अगर 2019 के नतीजों को देखें तो गुजरात, राजस्थान,हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड,हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा और चंडीगढ़ की सभी शत प्रतिशत सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा. इन सभी राज्यों में कुल 80 सीटें आती हैं और हर सीट पर बीजेपी का कब्जा था. इसका अर्थ यह है कि विपक्ष के नेता यह मानकर चल रहे हैं कि बीजेपी अब अपना बेहतर प्रदर्शन कर चुकी है और उनके पास खोने के सिवाए दूसरा विकल्प ही क्या है.
तीन राज्यों में बीजेपी की लग सकती है हैट्रिक लेकिन
अगर बीजेपी, गुजरात, राजस्थान, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी एक बार जीत हासिल करने में कामयाब होती है तो हैट्रिक बन जाएगा. इन राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला सीधा होता है. और यह देखा गया है कि सीधे मुकाबले में बीजेपी कांग्रेस को मात देती रही है. लेकिन इस दफा कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर गठबंधन बनाने की कोशिश की है. जैसे दिल्ली में आप के साथ गठबंधन है. हरियाणा और चंडीगढ़ में भी आप और कांग्रेस गठबंधन मे हैं. इस तरह के समीकरण के जरिए ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस की तरफ से बीजेपी को घेरने की पूरी कोशिश की गई है. लेकिन तथ्य यह भी है कि बीजेपी के वोट प्रतिशत को अपने पाले में कर पाना आसान नहीं है.
इंडी गठबंधन की कोशिश में कितना दम
सवाल यह है कि अगर विपक्ष इन राज्यों को सभी 80 सीटों को जीत ले जोकि हिमालय की चढ़ाई के बराबर है तो भी क्या वो सरकार बनाने में कामयाब होंगे. अब इस सवाल को दो तरह से समझते हैं. अगर बीजेपी के लक्ष्य 370 में इन 80 सीटों की कमी कर दें तो भी बीजेपी के पास अकेल 290 सीट आएगी. इसका अर्थ यह है कि अंकगणित के हिसाब से बीजेपी को हरा पाना आसान नहीं होगा.
अब बीजेपी की मौजूदा सीट संख्या पर देखें तो बीजेपी के कुल 324 सांसद रहे हैं इस हिसाब से अगर 80 सीट कम करें तो उस केस में 244 का आंकड़ा आएगा. इस हिसाब से बीजेपी अकेले दम पर सरकार नहीं बना पाएगी. लेकिन एनडीए के घटक दलों की मदद से सरकार बना सकती है. अब राजनीति सिर्फ अंकगणित नहीं बल्कि केमिस्ट्री भी है. अगर मौजूदा समय की बात करें तो इसमें दो मत नहीं कि जमीन पर बीजेपी का आधार प्रभावी है उसके मुकाबले विपक्ष कमजोर है. लिहाजा इंडी गठबंधन सपने देख सकता है.लेकिन सियासत में कुछ भी संभव या असंभव नहीं है.