इंडिगो की गड़बड़ी से एयरफेयर बेकाबू, यात्रियों की जेब पर सबसे बड़ा बोझ
देश में इंडिगो संकट के चलते उड़ानें रद्द हुईं और एयरफेयर 3–4 गुना तक बढ़ गए। कई रूटों पर टिकट 90,000 तक पहुँचीं। DGCA ने इंडिगो को अस्थायी छूट दी है।
Indigo Flight Crisis News: देश में हवाई यात्रियों के लिए शुक्रवार का दिन किसी झटके से कम नहीं रहा। एयरलाइनों की वेबसाइट्स के अनुसार, कई लोकप्रिय रूटों पर एकतरफ़ा इकॉनॉमी टिकटों की कीमतें ऐसी ऊँचाई पर पहुंच गईं, जो पहले कभी नहीं देखी गई थीं।कोलकाता–मुंबई के लिए स्पाइसजेट की एक-स्टॉप इकॉनॉमी टिकट 6 दिसंबर के लिए 90,000 रुपए तक पहुंच गई, जबकि एयर इंडिया की मुंबई–भुवनेश्वर टिकट 84,485 रुपए तक बिकती दिखी। इसी तरह, बैंगलूरू–दिल्ली मार्ग पर किराया बढ़कर 88,000 रुपए तक चला गया।
इंडिगो जो देश के घरेलू हवाई यातायात का लगभग दो-तिहाई हिस्सा संभालती है की उड़ानों में भारी कैंसिलेशन और देरी के बाद यह संकट और गहरा गया। DGCA ने इंडिगो को फ्लाइट ड्यूटी नॉर्म्स में ढील दी है और कहा है कि अगले 10 दिनों में स्थिति सामान्य हो सकती है।
इस बीच, हजारों यात्री चार दिनों से लगातार देरी और रद्द उड़ानों के कारण हवाई अड्डों पर घंटों फंसे रहे। कई लोग अपने सामान की तलाश में भटकते रहे और सोशल मीडिया पर नाराज़गी जताते दिखे।
एयरफेयर 3 से 4 गुना तक बढ़े
एक ट्रैवल इंडस्ट्री एक्सपर्ट के अनुसार, घरेलू किराए इतने बढ़ गए कि कुछ रूटों पर किराया सामान्य से 4 गुना तक हो गया। दिल्ली–मुंबई जैसे व्यस्त रूट पर किराया 48,972 रुपए तक देखा गया, जबकि दिल्ली–बैंगलूरू पर एयरलाइंस 80,000–88,000 रुपए तक वसूल रही थीं।
एक अधिकारी ने कहा “आज स्थिति ऐसी है कि टिकट बुक करते समय अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता कि किराया कितना होगा। यह सामान्य से दो, तीन या छह गुना तक भी हो सकता है। इंडिगो के 2,300 दैनिक उड़ानों के नेटवर्क में पायलटों की कमी और नए ड्यूटी नॉर्म्स का उचित प्लानिंग न होने के कारण चार दिन से रोज़ सैकड़ों फ्लाइटें रद्द करनी पड़ीं।
‘यह तो ब्लैक मार्केटिंग है’
ट्रैवल एजेंट्स’ एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष अजय प्रकाश ने बढ़े हुए किरायों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा “अगर 10,000 रुपये की टिकट 60,000 रुपये में बेची जा रही है तो यह ब्लैक मार्केटिंग है। यह सिर्फ मुनाफाखोरी है। इस पर तुरंत नियंत्रण की ज़रूरत है।” उन्होंने कहा कि जिस मार्केट में एक एयरलाइन का 64–65% हिस्सा हो, वह लगभग एकाधिकार जैसा होता है—ऐसे में किराया नियंत्रण आवश्यक है।
दिल्ली के अनुभवी टूर ऑपरेटर सुभाष गोयल ने कहा कि कोविड के समय की तरह सरकार को फिर से किराया कैपिंग लागू करनी चाहिए।इंडिगो को DGCA से राहत—नियमों में अस्थायी छूट
DGCA ने इंडिगो की बिगड़ी स्थिति संभालने के लिए कई छूटें दी हैं।
मुख्य बिंदु—
ड्यूटी टाइम नॉर्म्स (FDTL) में छूट देकर अधिक पायलटों की तैनाती की अनुमति
फरवरी 2026 तक पायलटों को प्रशिक्षण और निरीक्षण से हटाकर उड़ान ड्यूटी में लगाया जा सकेगा
DGCA के 12 FOIs (निरीक्षक) को भी एक सप्ताह के लिए उड़ान ड्यूटी पर लगाया गया
DGCA की टीमें ऑपरेशनल कंट्रोल सेंटर में तैनात, रियल-टाइम मॉनिटरिंग जारी
DGCA ने स्पष्ट किया कि यह छूट केवल “ओपरेशनल स्थिरीकरण” के लिए है और इससे सुरक्षा मानकों में कोई समझौता नहीं होगा। एजेंसी हर 15 दिन में स्थिति की समीक्षा करेगी।
विवाद क्यों?
नई FDTL नीति के दूसरे चरण को लागू करने में इंडिगो की कमी–ज्यादा तैयारी को ही उड़ान व्यवधानों का मुख्य कारण माना जा रहा है।
अस्थायी छूटों के तहत—
पायलटों के लिए नाइट लैंडिंग की सीमा हटेगी
रात का समय अस्थायी रूप से 12 बजे रात से 5 बजे तक माना जाएगा
प्रति दिन 6 लैंडिंग तक की अनुमति जारी रहेगीइन कदमों के बाद उम्मीद है कि इंडिगो के पास संचालन के लिए अधिक पायलट उपलब्ध होंगे।
इंडिगो की बड़ी परिचालन समस्या और उसके बाद टिकटों में भारी उछाल ने देश के हवाई यात्रियों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।सरकार और DGCA ने राहत के कदम उठाए हैं, लेकिन जब तक एयरलाइंस पूरी क्षमता में नहीं लौटतीं, तब तक किरायों का असामान्य स्तर यात्रियों को परेशान करता रहेगा।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)