भारत के अंतरिक्ष अभियान की नई शुरुआत है Axiom 4 मिशन: प्रो. वेंकटेश्वरन

भारत का अंतरिक्ष भविष्य उज्ज्वल हुआ। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आईएसएस मिशन में शामिल हुए। यह वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग और महत्वाकांक्षा में एक बड़ी उपलब्धि है।;

Update: 2025-06-25 17:12 GMT

एक ऐतिहासिक पल में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बनने जा रहे हैं। स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से 25 जून को लॉन्च किया गया Axiom 4 मिशन भारत का अंतरिक्ष में डेब्यू भी साबित होता है।

द फेडरल के अभिजीत सिंह से खास बातचीत में प्रोफेसर टीवी वेंकटेश्वरन ने इस मिशन के महत्व, चुनौतियों और भारत की वैश्विक अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के भविष्य की दिशा पर विस्तार से चर्चा की।


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उपलब्धि का महत्व

टीवी वेंकटेश्वरन ने कहा कि सात बार देर होते रहने के बावजूद आखिरकार रॉकेट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचा और ISS तक डॉकिंग अगले 24–30 घंटों में होगी। यह पहला मौका है, जब 40 वर्षों के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में पहुंचा है। चंद्रयान और राकेट कार्यक्रमों के बाद यह भारत के लिए एक नई छलांग है, जो समय के साथ सार्थक होगी।

भारत की नई पहचान

उन्होंने कहा कि अब तक सीमित परियोजनाओं में भाग लेने के बाद भारत की वैश्विक भागीदारी को यह Axiom 4 मिशन नई उड़ान देगा। भारत पहले ही ITER जैसे प्रमुख अनुसंधान अभियानों में शामिल है। लेकिन अंतरिक्ष क्षेत्र में यह कदम भारत को बड़ी उड़ान हासिल करने का वरदान देता है।

मिशन की आर्थिक योजना

Axiom 4 के लिए भारत ने नियमों के अनुरूप लगभग $60 मिलियन की एक तय राशि चुकाई है। देरी होने पर लागत नहीं बढ़ेगी। क्योंकि वह राशि निश्चित है और अतिरिक्त खर्च को स्पेसएक्स या Axiom संभालेगी।

मिशन के दो मुख्य उद्देश्य

मानव अंतरिक्ष उड़ान में अभ्यास— शुभांशु शुक्ला और बैकअप बालाकृष्णन अय्यर को प्रशिक्षित किया गया, जिससे भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को मजबूती मिलेगी।

वैज्ञानिक अनुसंधान— माइक्रोग्रैविटी के अंतर्गत नए प्रयोग और अनुसंधान किए जा सकेंगे, जिन्हें धरती पर संभव नहीं बनाया जा सकता था।

शुभांशु शुक्ला का मिशन में रोल

लॉन्च (पहले 15 मिनट) के दौरान उनका रोल सीमित है, क्योंकि रॉकेट ऑटोमैटिक है। डॉकिंग, कैप्सूल से अलगाव, वापसी और रिज़ेंसिन (पृथ्वी में वापस आना) के दौरान उनका नियंत्रण निर्णायक होगा।

भविष्य की संभावनाएं

ISS में सक्रिय भागीदारी से भारत अंतरिक्ष में लंबी अवधि के सहयोगों का हिस्सा बन सकता है। चाहे अपने स्टेशन की योजना हो या अंतरराष्ट्रीय स्टेशनों में सहभागिता, इस अनुभव से आगे का रास्ता साफ़ होगा। विशेषज्ञ टीवी वेंकटेश्वरन का कहना है कि आशा के साथ आगे बढ़ो… सपनों के साथ आगे बढ़ो। वह कहते हैं कि नवयुवकों में नयी सोच पैदा होगी और जो 1981 में रिकॉर्ड करना मुश्किल था, वह आज भारत के लिए वास्तविकता बन गया है।

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