समुद्र की गहराइयों में अब भारतीय ताकत, INS निस्तार से नौसेना और मजबूत

INS निस्तार सिर्फ एक जहाज नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली का प्रतीक है. यह न केवल नौसेना की क्षमताएं बढ़ाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक समुद्री ताकतों की सूची में और ऊपर ले जाएगा.;

Update: 2025-07-18 11:24 GMT

Indian Navy: भारतीय नौसेना की ताकत अब और बढ़ गई है. आज देश का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल (INS Nistar) नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया. इसे विशाखापत्तनम नेवल डॉकयार्ड में एक खास समारोह के दौरान शामिल किया गया, जहां केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ भी मौजूद रहे.

यह भारत में ही डिजाइन और निर्मित किया गया है. इसका निर्माण हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है और इसे 8 जुलाई को नौसेना को सौंपा गया था. यह एक डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) है, जो गहरे समुद्र में बचाव, मरम्मत और खोजबीन जैसे कार्यों के लिए इस्तेमाल होता है.

खासियत

- लंबाई: 118 मीटर

- वजन: 10,000 टन

- डुबकी क्षमता: 300 मीटर तक समुद्र की गहराई में जा सकता है.

यह जहाज डीएसआरवी (डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल) के लिए मदर शिप के रूप में काम करता है. आपात स्थिति में 1000 मीटर तक जवानों को उतारा जा सकता है. 80% से ज्यादा उपकरण स्वदेशी हैं. इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.

कैसे बना INS निस्तार?

इस प्रोजेक्ट में 120 MSME कंपनियों ने मिलकर काम किया. इसका निर्माण भारतीय शिपिंग रजिस्टर के नियमों के तहत हुआ. यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसको लेकर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि भारत अब आयातक नहीं, हथियार निर्यातक बन रहा है. हमने ₹23,622 करोड़ के हथियार निर्यात किए हैं और लक्ष्य ₹50,000 करोड़ है. नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि INS निस्तार से हमारी गहराई में काम करने की क्षमता और बढ़ेगी. पुराने जहाज मरते नहीं, वो नए रूप में लौटते हैं.

क्यों खास है INS निस्तार?

भारत को ऐसा पहला डाइविंग सपोर्ट जहाज 1969 में सोवियत संघ से मिला था, जिसे अब रिटायर कर दिया गया है. INS निस्तार पूरी तरह से भारत में बना है. इस तरह के जहाज कुछ चुने हुए देशों के पास ही होते हैं. ‘निस्तार’ संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है मुक्ति या बचाव.

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