भारत का 'शूट एंड स्कूट' हथियार, इंडियन आर्मी का गेम-चेंजर माउंटेड गन सिस्टम

DRDO द्वारा विकसित स्वदेशी माउंटेड गन सिस्टम से भारतीय सेना की ताकत बढ़ी। यह 45 किमी की रेंज, तेज़ तैनाती और शूट एंड स्कूट क्षमता से लैस है।;

Update: 2025-07-08 09:13 GMT

Mounted Gun System:  गोला दागो और तुरंत जगह बदलो, धुनिक युद्ध की यही रणनीति अब भारतीय सेना की ताकत बनने जा रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित किया है माउंटेड गन सिस्टम (MGS), जो सेना की फायरिंग क्षमता, गतिशीलता और युद्धक चतुराई को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

क्या है माउंटेड गन सिस्टम (MGS)?

माउंटेड गन सिस्टम एक मोबाइल आर्टिलरी सिस्टम है, जिसमें 155 मिमी/52 कैलिबर की एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन (ATAGS) को एक बख्तरबंद 8x8 हाई मोबिलिटी व्हीकल (HMV) पर माउंट किया गया है। यह पूरी तरह से ‘शूट एंड स्कूट’ सिद्धांत पर आधारित है यानी दुश्मन को निशाना बनाते ही त्वरित रूप से जगह बदलने की क्षमता।

इसे अहमदनगर स्थित व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (VRDE) और आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है। इसकी डिज़ाइन और उत्पादन में भारत फोर्ज, BEML, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और AWEIL जैसे सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की कंपनियों की अहम भागीदारी है।

MGS की प्रमुख क्षमता

शूट एंड स्कूट क्षमता

80 सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार

85 सेकंड में जगह बदलने की क्षमता

दुश्मन के जवाबी हमले से पहले ही पोजिशन बदल लेता है

फायरिंग रेंज और सटीकता

अधिकतम रेंज: 45 किलोमीटर

एक मिनट में 6 राउंड फायरिंग क्षमता

50 वर्ग मीटर के क्षेत्र को पूर्णतः ध्वस्त करने में सक्षम

पिनपॉइंट एक्यूरेसी से एयरबेस, रडार और कमांड सेंटर जैसे टारगेट्स पर हमला

बख्तरबंद सुरक्षा

बुलेटप्रूफ केबिन, जो सात सदस्यीय क्रू को सुरक्षित रखता है

भविष्य में कंपोजिट आर्मर से और भी हल्का और मजबूत किया जाएगा

मोबिलिटी और डिजाइन

सभी प्रकार के इलाकों (रेगिस्तान, पहाड़ी, हिमालय) में संचालन योग्य है। मैदानी इलाकों में गति: 90 किमी/घंटा, कठिन इलाकों में: 60 किमी/घंटा। कुल वजन: 30 टन (15 टन गन + 15 टन वाहन), 40 टन तक के पुलों पर आसानी से संचालित है। C-17 विमान या रेलवे से परिवहन योग्य है।

 इंटीग्रेटेड फायर कंट्रोल सिस्टम (FCS) जो ACCCS से लैस, 24 राउंड तक स्वचालित गोला-बारूद हैंडलिंग सिस्टम,बाय-मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम (BMCS) के साथ

भारतीय सेना के लिए क्यों है यह गेम-चेंजर?

आधुनिक युद्ध में गतिशीलता सर्वोपरि है। MGS दुश्मन पर हमला कर तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकता है। हर भौगोलिक क्षेत्र में यह कारगर है यानी सियाचिन से लेकर अरुणाचल और थार तक सभी इलाकों में प्रभावी।  80% से अधिक पुर्जे भारत में बने, आत्मनिर्भर भारत की बड़ी सफलता है। आर्मेनिया को 2023 में 6 यूनिट्स का निर्यात किया गया; वैश्विक मांग बढ़ रही है।सीज़र और ATMOS को टक्कर: फ्रांस और इज़राइल के माउंटेड गन सिस्टम्स से तकनीकी रूप से समकक्ष है। 

अब तक की प्रगति और अगला कदम

सितंबर 2023 में पोखरण रेंज में सफल फायरिंग परीक्षण

600 किलोमीटर की ट्रायल रन में भी सफल

रेगिस्तानी और पहाड़ी इलाकों में गतिशीलता परीक्षण पूरे

आर्मर्ड केबिन फायरिंग टेस्ट भी सफल

यूज़र ट्रायल्स 2026 तक पूरे होने की उम्मीद

उद्योग साझेदारी और उत्पादन योजना

DRDO ने 7 जून 2025 को भारत फोर्ज को तकनीक हस्तांतरित की

मार्च 2025 में रक्षा मंत्रालय ने 6,900 करोड़ रुपए की लागत से 307 यूनिट्स का ऑर्डर दिया

भारतीय सेना को 814 MGS यूनिट्स की जरूरत, उत्पादन चरण में प्रवेश

वैश्विक रक्षा बाज़ार में भारत की बढ़त

रूस-यूक्रेन युद्ध ने माउंटेड गन सिस्टम्स की आवश्यकता को स्पष्ट कर दिया है। भारत का MGS इस क्षेत्र में एक नई शक्ति के रूप में उभर रहा है। यह रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने और भारत को सुरक्षा तकनीक के वैश्विक केंद्र में बदलने की दिशा में बड़ा कदम है।DRDO का माउंटेड गन सिस्टम भारतीय सेना के लिए केवल एक तकनीकी उपकरण नहीं, बल्कि रणनीतिक क्षमता, आत्मनिर्भरता और वैश्विक शक्ति का प्रतीक है। आने वाले समय में यह युद्ध की तस्वीर बदलने वाला साबित हो सकता है।

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