आतंकवाद के खिलाफ भारत की मुहिम, क्यों चुने गए 33 खास देश?
पहलगाम हमले के बाद भारत 33 देशों में सांसदों के प्रतिनिधिमंडल भेज रहा है। सांसद, आतंकवाद पर देश की एकजुट नीति और ऑपरेशन सिंदूर का पक्ष वैश्विक मंचों पर रखेंगे।;
Operation Sindoor: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने साफ कर दिया था कि उचित समय और उचित जगह पर बदला लिया जाएगा। 22 अप्रैल की आतंकियों की कायराना हरकत का बदला भारत ने 6 और 7 मई की रात लिया और उस अभियान को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया। इस ऑपरेशन के जरिए पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया। लेकिन पाकिस्तान की फौज भी कूद पड़ी। पाकिस्तानी फौज का मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसके एयरबेस को तबाह कर दिया। अब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने राष्ट्रीय दृष्टिकोण को वैश्विक मंचों पर रखने के लिए आज से एक व्यापक कूटनीतिक पहल शुरू की है। इस पहल के तहत सात प्रतिनिधिमंडल, जिनमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद शामिल हैं, 33 देशों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का दौरा करेंगे। इनका उद्देश्य भारत की आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और निर्णायक रुख को सामने रखना है।
विदेश सचिव ने दी ब्रीफिंग
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को इन सातों प्रतिनिधिमंडलों को विस्तार से ब्रीफ किया। रविवार तक ये सभी टीमें अपने-अपने गंतव्यों के लिए रवाना हो जाएंगी।
किन आधारों पर चुने गए देश?
बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी के अनुसार, ब्रीफिंग के दौरान विक्रम मिस्री ने बताया कि चुने गए 33 देशों में से लगभग 15 देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वर्तमान सदस्य हैं जिनमें पांच स्थायी और दस अस्थायी सदस्य होते हैं। इसके अलावा, उन पांच देशों को भी शामिल किया गया है जो निकट भविष्य में सुरक्षा परिषद के सदस्य बनने वाले हैं। साथ ही ऐसे प्रभावशाली देशों को भी चुना गया है, जिनकी वैश्विक मंचों पर आवाज़ मायने रखती है।
पहला दल आज रवाना
अपराजिता सारंगी खुद उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं जिसकी अगुवाई जेडीयू के सांसद संजय कुमार झा कर रहे हैं। यह दल इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर की यात्रा करेगा। यह पहला प्रतिनिधिमंडल है जो आज जापान के लिए रवाना हुआ।
पाकिस्तान की भूमिका और भारत का संदेश
सारंगी ने बताया कि पाकिस्तान वर्तमान में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और आने वाले 17 महीनों तक बना रहेगा। ऐसे में पाकिस्तान भारत-विरोधी दावे और झूठी बातें फैलाने की कोशिश करेगा। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने सही निर्णय लिया कि विभिन्न दलों के सांसद एकजुट होकर इन देशों में जाएं और भारत की स्थिति को वहां की सरकारों और नागरिक समाज के सामने रखें। हमें पाकिस्तान की आतंकवाद पोषित नीति की निंदा करनी चाहिए।”उन्होंने आगे कहा कि प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य दुनिया को यह संदेश देना है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद की कूटनीतिक पहल
यह पूरी पहल ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू की गई है, जिसके तहत भारतीय सेना ने अप्रैल 22 के पाहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान-ऑक्यूपाइड कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे।
प्रमुख प्रतिनिधिमंडल और उनके नेता
सात प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व कांग्रेस के शशि थरूर, भाजपा के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय कुमार झा, एनसीपी की सुप्रिया सुले, शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे और डीएमके की कनिमोझी कर रहे हैं।
संजय झा के नेतृत्व वाला दल, जिसमें बीजेपी की अपराजिता सारंगी, बृजलाल, प्रसन बरूआ, हेमांग जोशी और सीपीएम के जॉन ब्रिटास शामिल हैं, आज सुबह 11:30 बजे जापान के लिए रवाना हुआ। टीएमसी के सांसद अभिषेक बनर्जी भी इस टीम का हिस्सा हैं, क्योंकि यूसुफ पठान ने नाम वापस ले लिया।श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व वाला अगला प्रतिनिधिमंडल बंसुरी स्वराज, सस्मित पात्रा और अन्य सांसदों के साथ रवाना होगा।
किनसे होंगी मुलाकातें?
अपने-अपने दौरे के दौरान ये प्रतिनिधिमंडल विदेशों में प्रधानमंत्रियों, विदेश मंत्रियों, सांसदों, विपक्षी नेताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और प्रवासी भारतीयों से मुलाकात करेंगे। इन बैठकों का मकसद भारत की आतंकवाद विरोधी नीति और एकजुटता को स्पष्ट रूप से सामने रखना है।