India Russia Space Cooperation: RD-191 रॉकेट इंजन देने को तैयार है रूस! जानें फायदे

RD-191 rocket engine: रूस का थ्रॉटलेबल RD-191 इंजन LVM3 को भारी पेलोड ले जाने के लिए पर्याप्त शक्ति देगा। रूसी इंजन और उन्नत इसरो इंजन के संयोजन से LVM3 GEO तक 7 टन पेलोड ले जाने में सक्षम हो सकता है।

Update: 2025-12-04 14:46 GMT
Click the Play button to listen to article

India Russia space cooperation: रूस भारत के साथ अपने अंतरिक्ष संबंधों को और मजबूत करने के लिए तैयार है। इसके तहत रूस भारत को अपना सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन RD-191 सप्लाई करने और इसकी निर्माण तकनीक शेयर करने पर विचार कर रहा है। यह कदम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आज से शुरू हो रही दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान इस सौदे की घोषणा हो सकती है।

रूस की योजना और सहयोग

रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के महानिदेशक दिमित्री बकनोव ने बताया कि भारत के साथ रॉकेट इंजन का सौदा लगभग तय है। उन्होंने मानव अंतरिक्ष उड़ान और अंतरिक्ष स्टेशन के विकास में सहयोग की भी संभावना जताई। हालांकि, उन्होंने इंजन के प्रकार का खुलासा नहीं किया, लेकिन यह सेमी-क्रायोजेनिक इंजन हो सकता है।

भारत-रूस के पहले के अंतरिक्ष सौदे

दोनों देशों के बीच रॉकेट इंजन सौदे पर पिछले कई सालों से बातचीत चल रही है। यह रूस और भारत के बीच दूसरा बड़ा अंतरिक्ष सौदा होगा। इससे पहले ब्रहमोस मिसाइल का संयुक्त उद्यम सफलतापूर्वक चल रहा है। पहली बार भारत ने इसरो के GSLV रॉकेट के शुरुआती चरण के लिए सात क्रायोजेनिक इंजन खरीदे थे, लेकिन बाद में अमेरिकी भू-राजनीतिक दबाव के कारण रूस ने सप्लाई रोक दी और तकनीक हस्तांतरण नहीं किया गया।

भारत के लक्ष्य और एलवीएम3 रॉकेट

भारत अपने मौजूदा भारी-लिफ्ट रॉकेट LVM3 (Launch Vehicle Mark-3) में RD-191 सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल करना चाहता है। वर्तमान में LVM3 की पेलोड क्षमता भूस्थिर कक्षा (GEO) के लिए केवल 4 टन है। इसरो इसे 5 टन तक बढ़ाने पर काम कर रहा है। इसके लिए LVM3 के दूसरे चरण के तरल इंजन को सेमी-क्रायोजेनिक इंजन से बदलना होगा। इस बदलाव से न केवल पेलोड क्षमता बढ़ेगी, बल्कि भारत वाणिज्यिक उपग्रह लॉन्चिंग के अवसर भी बढ़ा सकेगा।

इसरो के अपने इंजन विकास की स्थिति

इसरो पिछले कई वर्षों से SE/SCE 2000 सेमी-क्रायोजेनिक इंजन विकसित कर रहा है, लेकिन इसकी प्रगति धीमी रही है। इस कारण भारत को चार टन से अधिक वजन वाले संचार उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने के लिए विदेशी एजेंसियों को भारी भुगतान करना पड़ता है।

RD-191 इंजन का महत्व

रूस का थ्रॉटलेबल RD-191 इंजन LVM3 को भारी पेलोड ले जाने के लिए पर्याप्त शक्ति देगा। रूसी इंजन और उन्नत इसरो इंजन के संयोजन से LVM3 GEO तक 7 टन पेलोड ले जाने में सक्षम हो सकता है।

भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएं

भारत की बड़ी योजनाओं में शामिल हैं:-

* इंसान को चंद्रमा पर भेजना

* अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाना

इसके लिए वास्तव में शक्तिशाली भारी-लिफ्ट रॉकेट की जरूरत होगी। RD-191 इंजन इस दिशा में भारत के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

Tags:    

Similar News