भारत की अंतरिक्ष छलांग: चंद्रयान-4 को मंजूरी, 2028 में लॉन्च… 2035 में होगा स्पेस स्टेशन

भारत अंतरिक्ष में तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है। इसरो की नई लॉन्चिंग, चंद्रयान मिशन, मानवयुक्त उड़ान और अंतरिक्ष स्टेशन जैसी योजनाएं इसे वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाती हैं। आने वाले वर्षों में भारत अंतरिक्ष तकनीक और आर्थिक रूप से दुनिया के अग्रणी देशों में अपनी जगह बनाने की दिशा में अग्रसर है।

Update: 2025-11-18 11:26 GMT
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भारत अंतरिक्ष में लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इस सफलता के पीछे इसरो के वैज्ञानिकों की मेहनत और तकनीकी क्षमता है। इसरो अब एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है। इस वित्तीय वर्ष में इसरो 7 और लॉन्चिंग करने की योजना बना रहा है। साथ ही, भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान गगनयान 2027 तक भेजे जाने की तैयारी में है।

इसरो का विस्तार और लॉन्चिंग प्लान

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि इसरो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग क्षमता में तेजी से विस्तार कर रहा है। इस वित्तीय वर्ष में सात लॉन्च मिशन होंगे, जिनमें कॉमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट, कई PSLV और GSLV मिशन शामिल हैं। खास बात यह है कि पहला PSLV पूरी तरह से भारतीय बनाया जाएगा।

चंद्रयान-4 और अंतरराष्ट्रीय सहयोग

नारायणन ने बताया कि सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है। यह मिशन चंद्रमा से सैंपल वापस लाने वाला एक जटिल प्रोजेक्ट होगा। इसरो का लक्ष्य है कि 2028 तक यह मिशन लॉन्च किया जाए। इसके अलावा जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिलकर लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम (LUPEX) पर भी काम चल रहा है। इसरो अगले तीन सालों में अंतरिक्ष यान उत्पादन क्षमता को तीन गुना बढ़ाने की योजना बना रहा है, ताकि बढ़ती मिशन मांगों को पूरा किया जा सके।

2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

इसरो 2035 तक अपना भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर काम कर रहा है। इसके पांच मॉड्यूल में से पहला 2028 तक कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा। इससे भारत तीसरा ऐसा देश बनेगा, जिसके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा।

गगनयान मिशन और मानवयुक्त उड़ान

भारत का पहला मानव-अंतरिक्ष मिशन गगनयान 2027 में होगा। नारायणन ने स्पष्ट किया कि केवल मानवरहित मिशनों की तिथि बदली है। मानवयुक्त मिशन का समय 2027 के लिए निर्धारित है। इसके पहले तीन मानवरहित परीक्षण मिशन होंगे। नारायणन ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो को निर्देश दिया है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजा जाए और 2040 तक सुरक्षित वापस लाया जाए। यह भारत को दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों में खड़ा करेगा।

वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान

वर्तमान में वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था लगभग 630 अरब अमेरिकी डॉलर की है। भारत की हिस्सेदारी वर्तमान में लगभग 2% है। इसरो का लक्ष्य है कि 2030 तक इसे 8% तक बढ़ाया जाए। भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य वर्तमान में 8.2 अरब अमेरिकी डॉलर है और 2033 तक इसे 44 अरब डॉलर तक पहुंचाने का अनुमान है।

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