अगले महीने भारत आ रहे पुतिन, अमेरिका और चीन की टिकी निगाहें

India Russia relations: यह यात्रा सिर्फ प्रतीक नहीं, असली साझेदारी का विस्तार है। पुतिन की यह यात्रा भारत और रूस के बीच बड़े रक्षा समझौतों, ऊर्जा सहयोग, व्यापारिक साझेदारी को नई दिशा दे सकती है।

Update: 2025-11-18 10:09 GMT
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Vladimir Putin India visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले महीने भारत आने वाले हैं और यह यात्रा मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत-रूस 23वें वार्षिक सम्मेलन से पहले दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिविधियां भी तेज हो गई हैं।

दोनों देशों के शीर्ष अधिकारी सक्रिय

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर मॉस्को में मौजूद हैं और अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात कर चुके हैं। इसी समय पुतिन के खास सलाहकार और रूस के पूर्व सुरक्षा प्रमुख निकोलाई पेत्रुशेव दिल्ली में भारतीय अधिकारियों से लगातार बातचीत कर रहे हैं। निकोलाई ने एनएसए अजीत डोभाल, वाइस एडमिरल बिस्वजीत दासगुप्ता और केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल से मुलाकात की है। इन मुलाकातों का मकसद है—पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी बैठक से पहले मजबूत आधार तैयार करना।

भारत का स्पष्ट संदेश

इस यात्रा का सबसे बड़ा संकेत यह है कि भारत अमेरिका और पश्चिमी देशों से अच्छे संबंध रखते हुए भी रूस के साथ अपनी पुरानी साझेदारी जारी रखेगा। भारत यह बताना चाहता है कि उसकी विदेश नीति पूरी तरह स्वतंत्र है। रूस उसके लिए विश्वसनीय और दीर्घकालिक साझेदार है। भारत किसी एक ब्लॉक में बंधकर नहीं चलेगा। दूसरी ओर रूस भी भारत के साथ रिश्तों को मजबूत कर पश्चिमी देशों से दूरी के प्रभाव को कम करना चाहता है। भारत रूस के लिए ग्लोबल साउथ का मार्ग है, जहां उसके लिए नए अवसर मौजूद हैं।

तेल, क्रिटिकल मिनरल्स और रक्षा सौदे

1. सस्ता रूसी तेल—भारत के लिए बड़ी जीत

रूस से मिलने वाला किफायती तेल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है। ये बातचीत इसी ऊर्जा सहयोग को और स्थायी बनाने का मौका है।

2. क्रिटिकल मिनरल्स में सहयोग

भारत और रूस लिथियम, कोबाल्ट, निकेल जैसे महत्वपूर्ण खनिजों पर मिलकर काम कर रहे हैं। ये खनिज आवश्यक हैं:-

* स्वच्छ ऊर्जा

* इलेक्ट्रिक वाहनों

* हाई-टेक उद्योगों

3. रक्षा क्षेत्र में बड़ी डील की उम्मीद

पुतिन की यात्रा के दौरान सबसे बड़ा संभावित समझौता हो सकता है। पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट – SU-57। भारत चाहे तो रूस के साथ मिलकर इसका उत्पादन भी कर सकता है। इससे मेक-इन-इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।

आर्कटिक क्षेत्र और डॉलर पर निर्भरता कम करने पर भी बात

भारत और रूस डॉलर के विकल्प पर भी चर्चा कर रहे हैं। क्योंकि अमेरिका द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ कई देशों को चिंतित कर रहे हैं। इसके अलावा दोनों देश आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग के भी विकल्प तलाश रहे हैं, जहां रूस की अहम मौजूदगी है और भारत के लिए नए अवसर हैं।

चीन और ग्लोबल साउथ को भी संदेश

पुतिन की भारत यात्रा दुनिया को यह बताती है कि भारत अपने हितों पर कोई दबाव स्वीकार नहीं करता, चाहे अमेरिका ही क्यों न हो। भारत केवल अमेरिकी साझेदारी पर निर्भर नहीं है। वह चीन, रूस और अन्य वैश्विक शक्तियों के बीच संतुलन बनाकर चलने में सक्षम है। ग्लोबल साउथ के देशों के लिए भारत की रणनीति आर्थिक, रक्षा और तकनीकी हितों पर आधारित पूरी तरह स्पष्ट है।

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