प्राडा का फैशन या सांस्कृतिक चोरी? कोल्हापुरी चप्पल गरमाया विवाद
Prada Controversy: प्राडा ने जब Men's Spring/Summer 2026 कलेक्शन पेश किया, तब कोल्हापुरी चप्पल निर्माताओं ने कड़ा विरोध जताया.;
Kolhapuri Chappal: जब एक इटालियन फैशन ब्रांड ने पारंपरिक भारतीय पहचान को 'फैशन' में बदल दिया तो दिल्ली से मिलान तक कोल्हापुरी चप्पल की आवाज गूंज उठी. हुआ यूं कि इटली की लग्जरी फैशन कंपनी प्राडा (Prada) ने हाल ही में मिलान फैशन वीक 2026 में ऐसी चप्पलें पेश कीं, जिन्हें देखकर भारत के कोल्हापुर के कारीगर चौंक उठे. ये डिजाइन हूबहू उन कोल्हापुरी चप्पलों जैसी थी, जो पीढ़ियों से महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान रही हैं और जिन्हें भारत सरकार ने GI टैग भी दे रखा है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उठा कि क्या एक ग्लोबल ब्रांड हमारी परंपरा को बिना श्रेय दिए महज़ एक फैशन ट्रेंड बना सकता है? अब इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है. कारीगरों से लेकर नेता तक, सभी ने इसे "सांस्कृतिक चोरी" करार दिया है. बात अब अदालत तक जा पहुंची है.
प्राडा ने जब Men's Spring/Summer 2026 कलेक्शन पेश किया, तब कोल्हापुरी चप्पल निर्माताओं ने कड़ा विरोध जताया. उनका आरोप है कि इस कलेक्शन में शामिल सैंडल पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पल की हूबहू नकल है. इस मामले में कोल्हापुर जिले के चप्पल उद्योग से जुड़े एक प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और औपचारिक विरोध दर्ज कराया.
बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा राज्यसभा सांसद धनंजय महाडिक का कहना है कि इस मुद्दे पर बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की जा रही है. हमारे वकीलों की टीम इस पर काम कर रही है. यह हमारे कारीगरों के अधिकारों की रक्षा और उनकी आजीविका बचाने का मामला है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर प्राडा पर तंज कसते हुए लिखा कि प्राडा की नई ₹1 लाख की चप्पल महाराष्ट्र की GI टैग वाली #KolhapuriChappal की नकल है, बिना किसी क्रेडिट के. ये सिर्फ नकल नहीं, सांस्कृतिक चोरी है! अगर प्राडा हमारी विरासत का सम्मान नहीं करता तो महाराष्ट्र सरकार को #ChappalChor के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
स्थानीय कारीगरों में आक्रोश
गुरुवार को कोल्हापुर जिला फुटवियर एसोसिएशन ने इस कथित डिजाइन चुराने की घटना पर एक बैठक बुलाई. एसोसिएशन का कहना है कि इसमें 250 से अधिक निर्माता और दुकानदार शामिल हुए और सभी ने प्राडा के खिलाफ आपराधिक याचिका दायर करने का निर्णय लिया. कोल्हापुर में 20,000 से ज्यादा कारीगर ऐसे हैं, जो ये चप्पल बनाते हैं. अगर प्राडा इसे ₹400–₹500 में हमसे खरीदकर ₹1.2 लाख में बेचेगा और हमें क्रेडिट भी नहीं देगा तो ये साफ तौर पर शोषण है. GI टैग के बावजूद प्राडा ने न कोल्हापुरी चप्पल का नाम लिया, न किसी प्रकार की मान्यता दी.