अब IPC, CrPC हो जाएंगे इतिहास, नए कलेवर वाले दंड व्यवस्था में क्या है खास

एक जुलाई से भारतीय दंड विधान को नए कलेवर में लागू किया जाएगा. इसमें क्या कुछ बदलाव किए गए हैं उसे समझने की कोशिश करेंगे,

By :  Lalit Rai
Update: 2024-06-28 13:02 GMT

IPC, CrPC Change:  भारत पर ब्रिटिश राज जब था तब एक दंड विधान के दायरे में सभी नागरिकों को लाया गया. कुछ मामलों में भारतीय समाज को अपने तौर तरीकों को जारी रखने की इजाजत मिली. लेकिन इंडियन पीनल कोड,कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर और इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत व्यवस्था चलती रही. आजादी के बाद से इस बात को शिद्दत के साथ महसूस की गई कि इस दंड विधान का मकसद अंग्रेजी शासन की पकड़ को मजबूत करना था.लेकिन अब इसमें बदलाव की जरूरत है.

एनडीए 2.O सरकार में संसद ने 21 दिसंबर को आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट में संशोधन पर मुहर लगा दी और 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति ने नए कलेवर वाले विधान दंड को अंतिम मंजूरी दे दी. अब इसे एक जुलाई से लागू किया जाना है.आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, इंडियन एविडेंस एक्ट को  भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नाम से जाना जाएगा.

भारतीय न्याय संहिता (पहले आईपीसी)
भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं जबकि IPC में कुल 511 धाराएं हैं. इसमें कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं. 33 अपराधों के लिए कारावास की सजा बढ़ाई गई है. 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है तथा 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरू की गई है. छह अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड शुरू किया गया है तथा अधिनियम में 19 धाराओं को निरस्त या हटाया गया है.

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (पहले सीआरपीसी)

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं. सीआरपीसी में कुल 484 धाराएं थीं. संहिता में कुल 177 प्रावधान बदले गए हैं. नौ नई धाराएं तथा 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं. अधिनियम में 44 नए प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं. 35 धाराओं में समय-सीमाएं जोड़ी गई हैं तथा 35 जगहों पर ऑडियो-वीडियो प्रावधान जोड़े गए हैं. संहिता में कुल 14 धाराओं को निरस्त और हटाया गया है. भारतीय सुरक्षा अधिनियम में 170 प्रावधान होंगे (मूल 167 प्रावधानों के स्थान पर, और कुल 24 प्रावधानों में बदलाव किया गया है. अधिनियम में दो नए प्रावधान और छह उप-प्रावधान जोड़े गए हैं तथा छह प्रावधानों को निरस्त या हटाया गया है.

रेप, गैंगरेप पर कड़ा कानून
भारतीय न्याय संहिता ने यौन अपराधों से निपटने के लिए 'महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध' शीर्षक से एक नया अध्याय शुरू किया है, और संहिता 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के बलात्कार से संबंधित प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव कर रही है. नाबालिग महिला के साथ सामूहिक बलात्कार से संबंधित प्रावधान को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) के हिसाब से बनाया गया है. 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के मामले में आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है.
संहिता में सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान है. 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार को अपराध की नई श्रेणी में रखा गया है. संहिता में धोखाधड़ी से यौन संबंध बनाने या बिना शादी करने के वास्तविक इरादे के शादी का वादा करने वाले व्यक्तियों के लिए लक्षित दंड का प्रावधान है. 

पहली बार आतंकवाद की परिभाषा
भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है तथा इसे दण्डनीय अपराध बनाया गया है. भारतीय न्याय संहिता की धारा 113. (1) में साफ लिखा गया है कि जो कोई भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को खतरे में डालने या खतरे में डालने की मंशा से या भारत में या किसी विदेशी देश में जनता या जनता के किसी वर्ग में आतंक फैलाने या फैलाने के इरादे से, किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु करने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या मुद्रा का निर्माण या तस्करी करने आदि के इरादे से बम, डायनामाइट, विस्फोटक पदार्थ, जहरीली गैस, परमाणु का उपयोग करके कोई कार्य करता है, तो वह आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाएगा.

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