ईरान के कतर पर हमले से भारतीय प्रवासी समुदाय सहमा; उड़ानें रद्द होने से बढ़ी बेचैनी

कतर में प्रवासी समुदाय, विशेष रूप से केरल से आने वाले लोग, अचानक हुए हवाई क्षेत्र बंद होने, उड़ानों में रुकावट और नए सैन्य संघर्ष की आशंका से गहरे सदमे में हैं।;

Update: 2025-06-24 04:01 GMT
पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष के बीच कई भारतीयों ने स्वदेश वापसी की राह पकड़ी है। फोटो: पीटीआई

हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि ईरान और इज़राइल के बीच युद्धविराम हो गया है जिसे दोनों देशों ने अभी तक पुष्टि नहीं की है लेकिन सोमवार (23 जून) को कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर ईरान द्वारा किए गए जवाबी मिसाइल हमले ने वहां रह रहे भारतीय प्रवासियों को भयभीत कर दिया है।

दोहा में एक मलयाली मीडिया पेशेवर अनिल आनंद ने बताया, "हमने मिसाइलों को उड़ते हुए और अमेरिकी वायु रक्षा प्रणाली को उन्हें हवा में ही रोकते देखा। हमारा फ्लैट उस जगह से ज़्यादा दूर नहीं है। हमें बताया गया है कि हम सुरक्षित हैं, लेकिन डर तो बना हुआ है। हमें तेहरान से पहले ही सूचना मिली थी कि हमला संभावित है और नागरिकों को निशाना नहीं बनाया जाएगा लेकिन क्या हम इस पर यकीन कर सकते हैं? आज मेरा छुट्टी का दिन था, लेकिन ज़रूरत पड़ी तो ऑफिस जाना पड़ सकता है, और बताया गया है कि सशस्त्र बल साथ में रहेंगे।"

डरे-सहमे प्रवासी

केरल के नौशाद एम, जो दोहा में रहते हैं, ने बताया, "हमारी बिल्डिंग ऐसे हिली जैसे ज़मीन कांप रही हो। बाहर विस्फोट जैसी आवाज़ आई। मैं भागकर नीचे आंगन में पहुंचा, तो देखा सब लोग पहले से वहां मौजूद थे। ऊपर आसमान में एयरफोर्स के विमान इधर-उधर उड़ रहे थे। कमरे में लौटकर जब टीवी देखा तो पता चला कि ईरान ने अमेरिकी अड्डे पर मिसाइल हमला किया है।"

"मैं हिंसा से नफ़रत करता हूँ। मैंने तो कभी PUBG भी नहीं खेला, लेकिन यह अनुभव मुझे झकझोर गया। काश, दुनिया से सारे युद्ध खत्म हो जाएं। अगर मिसाइल किसी रिहायशी इलाके में गिरती, तो शायद कोई गरीब प्रवासी मारा जाता जो सिर्फ अपने परिवार का पेट पालने के लिए विदेश आया है।"

हवाई क्षेत्र बंद, उड़ानों में भारी व्यवधान

ईरान के मिसाइल हमले की गूंज न केवल राजनयिक चैनलों और सैन्य राडारों तक सीमित रही, बल्कि यह खाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लाखों भारतीयों के जीवन में भी महसूस की गई विशेषकर केरल के प्रवासी समुदाय, जो दशकों से कतर में जड़ें जमाए हुए है।

ईरान द्वारा इसे अपने परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के जवाब में की गई कार्रवाई बताया गया। इसके बाद कतर ने एहतियातन अपना वायु क्षेत्र बंद कर दिया, और उसके बाद बहरीन ने भी यही कदम उठाया। इससे भारत-कतर के बीच अत्यधिक व्यस्त हवाई मार्ग ठप हो गया, खासतौर पर केरल और दोहा के बीच की उड़ानें प्रभावित हुईं।

एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी

कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सोमवार देर रात से भ्रम की स्थिति शुरू हो गई। रात 10 बजे के आसपास एयरपोर्ट अधिकारियों ने पुष्टि की कि कतर और उसके नियंत्रण वाले हवाई क्षेत्र में जाने वाली उड़ानों पर असर पड़ा है।

"कोचीन से 18:53 बजे रवाना हुई एयर इंडिया एक्सप्रेस की एक फ्लाइट को मस्कट की ओर मोड़ दिया गया क्योंकि वह कतर के हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकी।

रात 00:53 बजे दोहा जाने वाली एक निर्धारित एयर इंडिया उड़ान रद्द कर दी गई।

दोहा से आने वाली कतर एयरवेज की फ्लाइट, जो 02:53 बजे आने वाली थी, विलंबित हुई जिससे वापसी की उड़ान भी प्रभावित हुई।

एयर अरेबिया की कोचीन-अबूधाबी उड़ान भी देरी का शिकार हुई,” — ऐसा एयरपोर्ट की ओर से जारी बयान में कहा गया।

फ्लाइट रडार के अनुसार, त्रिवेंद्रम से बहरीन जा रही एक फ्लाइट भी रात 10:10 बजे टेकऑफ के बाद वापस लौट आई।

घंटों इंतज़ार में फंसे यात्री

केरल के कोचीन और कोझिकोड एयरपोर्ट्स पर और दोहा में हज़ारों यात्री घंटों इंतज़ार में बैठे रहे। बहुत से यात्री चेक-इन और इमिग्रेशन की प्रक्रिया पूरी कर चुके थे, लेकिन अचानक उन्हें बताया गया कि उड़ानें रद्द हो गई हैं या अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई हैं।

डॉ. सुरेश कुमार, कोझिकोड के एक पेलिएटिव केयर विशेषज्ञ, जो दोहा से घर लौट रहे थे, ने हमाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से फेसबुक पर लिखा, "कोझिकोड की फ्लाइट जो एक घंटे पहले रवाना होनी थी, अब सूचना बोर्ड पर भी नहीं दिख रही। कोई उड़ान नहीं उड़ रही। कोई नहीं बता सकता कि वे कब दोबारा शुरू होंगी।"

बोर्ड पर खाली स्लॉट, यात्री मोबाइल ऐप्स खंगालते हुए, और परिजनों को कॉल करके स्थिति समझाते, यही तस्वीर एयरपोर्ट में दिख रही थी।

ईरान की सफाई से डर नहीं मिटा

ईरान सरकार ने कहा कि उसके मिसाइलों का लक्ष्य केवल अल उदीद एयर बेस था जो पश्चिम एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है और यह हमला किसी भी नागरिक या कतर के बुनियादी ढांचे के खिलाफ नहीं था। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि "कतर एक भाईचारा देश है" और यह हमला सीमित सैन्य प्रतिक्रिया के रूप में था।

लेकिन ज़मीन पर रह रहे आम नागरिकों, खासकर प्रवासियों की चिंता इससे दूर नहीं हुई।

कतर में किसी भी नागरिक के हताहत होने या वाणिज्यिक क्षेत्र में नुकसान की रिपोर्ट नहीं है, लेकिन सुरक्षा कारणों से सभी नागरिक उड़ानों को रोक दिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दोहा के ऊपर उड़ते सैन्य विमान और आकाश में चमकती रोशनी देखी गई, जो इंटरसेप्शन सिस्टम की कार्रवाई मानी जा रही है।

कतर में केरलवासियों की गहरी उपस्थिति

कतर में लगभग 7 लाख भारतीय रहते हैं, जिनमें से केरल के लोग सबसे बड़ी संख्या में हैं। वर्षों से कतर, केरल के लोगों के लिए नौकरी, व्यवसाय और पैसा भेजने का मुख्य केंद्र बना हुआ है।

दोहा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यात्रियों को या तो रोक दिया गया या उन्हें अन्य स्थानों पर भेजा गया। भारतीय दूतावास ने बयान जारी कर शांति बनाए रखने और सिर्फ आधिकारिक सूचना पर भरोसा करने की अपील की। सोमवार रात तक कोई निकासी सलाह नहीं जारी की गई थी, लेकिन भारतीय मिशन दोहा और मनामा से स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।

केरला मुस्लिम कल्चरल सेंटर (KMCC) और दोहा मलयाली समाजम जैसी समुदायिक संस्थाएं सतर्क हैं और फंसे यात्रियों व कामगारों की मदद कर रही हैं — खासकर उन्हें जो ऑनलाइन टिकट बुकिंग या नियोक्ता संपर्क से वंचित हैं।

सकारात्मक सोच लेकिन असमंजस बरकरार

केरल सरकार के NORKA विभाग ने बताया कि वे भारतीय मिशनों से संपर्क में हैं और हवाई मार्ग व यात्रा अपडेट पर नजर बनाए हुए हैं। विदेश नीति विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना फिलहाल सीमित रह सकती है, यह अमेरिका और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।

हालांकि, इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि ऐसे क्षेत्रों में सामान्य नागरिक आवाजाही कितनी असुरक्षित है और इसका प्रवासी समुदायों पर कैसा प्रभाव पड़ता है।

दोहा में रहने वाले त्रिशूर निवासी शिवप्रसाद ने कहा, “मिसाइल हमला केवल 15-20 मिनट का था, और अब सब कुछ सामान्य लग रहा है। चूंकि दोनों देशों के बीच कोई सीधी दुश्मनी नहीं है, इसलिए घबराने की ज़रूरत नहीं है। डर तो टीवी चैनलों ने फैलाया है। हमें लगता है कि हवाई क्षेत्र जल्द ही फिर से खुल जाएगा।”

हालांकि, बहुत से मलयाली अब भी दुविधा में फंसे हुए हैं, कोई भारत लौटने को तैयार था, तो कोई काम पर लौटने। लेकिन उड़ानों का शेड्यूल सीमित होने और भविष्य स्पष्ट न होने की वजह से, यात्रियों और अधिकारियों, दोनों के लिए आगे की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।

जैसा कि दोहा में काम कर रहे त्रिशूर के ही एक निवासी ने वॉट्सऐप वॉइस नोट में कहा, “हमने पहले भी युद्ध देखे हैं, लेकिन जब विमान उड़ना बंद हो जाएं  तभी असल में लगता है कि हम घर से कितनी दूर हैं।”

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