लंबे समय बाद दिल्ली में सार्वजनिक कार्यक्रम में दिखे केजरीवाल
दिल्ली की चुनावी हार के बाद AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल फरवरी के बाद पंजाब में भले ही दिखे, लेकिन दिल्ली में उनकी सार्वजनिक उपस्थित नदारद थी.;
14 अप्रैल यानी अंबेडकर जयंती के दिन अरविंद केजरीवाल दिल्ली में किसी सार्वजनिक समारोह में दिखाई दिए हैं। वैसे यह तो कोई ख़बर नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन इसी साल 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से केजरीवाल को दिल्ली में सार्वजनिक मंचों पर नहीं देखा गया।
केजरीवाल इस बीच विपश्यना करने गए। वहां से फारिग होकर आए तो सीधे पंजाब पहुंच गए, जहां उनकी पार्टी की इकलौती सरकार चल रही है। केजरीवाल के पंजाब पहुंचने से हालांकि तब मुख्यमंत्री भगवंत मान को लेकर राजनीतिक अटकलें भी जोर पकड़ने लगी थीं। लेकिन केजरीवाल अहम बात थी केजरीवाल का दिल्ली की जगह पंजाब में दिखना।
जिस दिल्ली में आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ। जिस दिल्ली में आम आदमी पार्टी पहली बार सरकार में आई। जिस दिल्ली में केजरीवाल ने एक दशक से भी कुछ ज्यादा समय तक सरकार चलाई। जिस दिल्ली ने उन्हें बड़ा नेता बनाया, फरवरी महीने में मिली चुनावी हार के बाद केजरीवाल इतने सदमे में चले गए कि उसी दिल्ली से केजरीवाल ने लगभग दो महीने से भी ज्यादा समय तक कन्नी काटे रखी।
और जब दिल्ली में किसी सार्वजनिक मंच पर दिखे भी तो इसके लिए उन्होंने एक खास मौका चुना और वो मौका था संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती का। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली स्थित अपनी पार्टी के मुख्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने अंबेडकर जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान केजरीवाल ने सभा को भी संबोधित किया। कहा कि कुछ पार्टियां सिर्फ श्रद्धांजलि का दिखावा कर रही हैं, बाबा साहब के विचारों को अपनाने से कतराती हैं। केजरीवाल बोले कि हमारी पार्टी ने बाबा साहब और शहीद-ए-आजम भगत सिंह को अपना आदर्श माना है। हमने यह तय किया है कि उनके जीवन के संघर्ष से प्रेरणा लेंगे और उनके बताए हुए रास्ते पर चलेंगे।
केजरीवाल बाबा साहब के बताए रास्ते पर कितना चले हैं, यह मापने का कोई पैमाना तो है नहीं। लेकिन कभी उन्होंने रामलीला मैदान के सार्वजनिक मंच से यह भी कहा था कि मैं कभी दिल्ली छोड़कर नहीं जाऊंगा।
लेकिन दिल्ली में मिली चुनावी हार के बाद केजरीवाल का अब पूरा ध्यान पंजाब पर है। इसके लिए उन्होंने अपने लेफ्टिनेंंट मनीष सिसोदिया को वहां का इंचार्ज बनाया है। सत्येंद्र जैन को उनके साथ जिम्मेदारी दी गई है। यही नहीं, अपने विवादास्पद सलाहकार विभव कुमार को भी उन्होंने पंजाब में लगाया हुआ है। तो क्या अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को सिर्फ सौरभ भारद्वाज या आतिशी के भरोसे छोड़ दिया है?