छात्रों की आत्महत्या में 'खतरनाक वृद्धि', राहुल गांधी की अपील- सरकार उठाए कदम

राहुल गांधी ने युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती दर पर चिंता व्यक्त की और सरकार से अपील की कि वह छात्रों की राह आसान बनाने के प्रयास करे.

Update: 2024-08-31 16:14 GMT

Youth Suicide Rising Rate: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार (31 अगस्त) को युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती दर पर चिंता व्यक्त की और सरकार से अपील की कि वह बाधाओं के बजाय समर्थन सुनिश्चित करके छात्रों की राह आसान बनाने के प्रयास करे. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने व्हाट्सएप चैनल पर एक पोस्ट में कहा कि देश में युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती दर बहुत दुखद और चिंताजनक है.

राहुल ने कहा कि पिछले दशक में 0-24 आयु वर्ग के बच्चों की आबादी 58.2 करोड़ से घटकर 58.1 करोड़ हो गई है. जबकि छात्रों की आत्महत्या की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई. उन्होंने कहा कि आज भारत में सबसे ज्यादा युवा आबादी है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि युवाओं को सुविधाएं मिलने की बजाय मुश्किलों और मजबूरियों का सामना करना पड़ रहा है.

अनगिनत दुख

उन्होंने कहा कि यह सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत गहरी समस्याओं की ओर इशारा करता है. भारी बेरोजगारी, पेपर लीक, शिक्षा में भ्रष्टाचार, महंगी पढ़ाई, सामाजिक उत्पीड़न, आर्थिक असमानता, माता-पिता का दबाव- आज के छात्र ऐसी अनगिनत समस्याओं से जूझते हुए सफलता पाने की कोशिश कर रहे हैं. मैं सरकार से अपेक्षा करता हूं कि वह छात्रों और युवाओं की इस कठिन राह को आसान बनाने के लिए हर संभव योजना बनाएगी, उन्हें सहयोग प्रदान करेगी, न कि उनके मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करेगी.

कांग्रेस नेता ने कहा कि छात्रों के माता-पिता और अभिभावकों से अनुरोध है कि वे उन्हें मानसिक समर्थन और प्रोत्साहन दें. देश के युवाओं से अपील है कि समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाएं, सवाल पूछें, अपने अधिकारों की मांग करें - डरें नहीं. मैं आपके साथ खड़ा हूं और आपको आपके अधिकार दिलाने के लिए सड़क से लेकर संसद तक लड़ता रहूंगा.

आत्महत्या के बढ़ते मामले

राहुल की यह टिप्पणी एक नई रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें कहा गया है कि भारत में छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं प्रतिवर्ष खतरनाक दर से बढ़ रही हैं, जो जनसंख्या वृद्धि दर और समग्र आत्महत्या प्रवृत्तियों से भी अधिक है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट – “छात्र आत्महत्याएं: भारत में फैल रही महामारी” – बुधवार को वार्षिक आईसी3 सम्मेलन और एक्सपो 2024 में लॉन्च की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां कुल आत्महत्या की संख्या में प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं, छात्रों की आत्महत्या के मामलों में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जबकि, ऐसे मामलों की “कम रिपोर्टिंग” होने की आशंका है.

चिंताजनक आंकड़े

पिछले दो दशकों में छात्र आत्महत्याएं 4 प्रतिशत की खतरनाक वार्षिक दर से बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है. 2022 में कुल छात्र आत्महत्याओं में पुरुष छात्रों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत (प्रतिशत) थी. आईसी3 संस्थान द्वारा संकलित रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 और 2022 के बीच पुरुष छात्रों की आत्महत्या में 6 प्रतिशत की कमी आई है. जबकि महिला छात्रों की आत्महत्या में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और समग्र आत्महत्या प्रवृत्तियों दोनों से अधिक हो रही हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक में, जबकि 0-24 वर्ष आयु वर्ग की जनसंख्या 582 मिलियन से घटकर 581 मिलियन हो गई. वहीं छात्रों की आत्महत्या की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई.

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