BMW लग्ज़री कारों में चलना चाहते हैं लोकपाल, भ्रष्टाचार विरोधी संस्था के टेंडर पर उठे सवाल
लोकपाल के चेयरपर्सन समेत सात सदस्यों के लिए 7 बीएमडब्ल्यू कारें आएंगी। हर बीएमडब्ल्यू कार की कीमत 70 लाख रुपये बताई7 जा रही है। यानी कि लोकपाल की सातों कारों की खऱीद पर करीब ₹5 करोड़ खर्च होने हैं।
क्या विडंबना है कि देश में जिस लोकपाल नाम की संस्था का गठन ही भारत में सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए किया गया था, साफ़-सुथरी प्रशासनिक व्यवस्था और नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करना, जिसका घोषित उद्देश्य है। वही लोकपाल संस्था शाहखर्ची के आरोपों में घिर गई है और उसकी वजह बना है एक सार्वजनिक टेंडर जोकि लोकपाल की तरफ से जारी किया गया है और जिसमें लोकपाल के लिए 7 लग्ज़री BMW कारें खरीदने के लिए कोटेशन मांगी गई हैं।
मतलब लोकपाल के चेयरपर्सन समेत सात सदस्यों के लिए ये सात बीएमडब्ल्यू कारें आएंगी। हर बीएमडब्ल्यू कार की कीमत 70 लाख रुपये बताई जा रही है। हाई-एंड BMW 330 Li यानी लॉन्ग व्हील बेस हर कार की ऑन-रोड कीमत करीब 70 लाख रुपये है यानी कि लोकपाल की सातों कारों की खऱीद पर करीब ₹5 करोड़ खर्च होने हैं। इसी वजह से बड़ी कंट्रोवर्सी पैदा हो गई है।
लोकपाल की तरफ से 16 अक्टूबर को टेंडर पब्लिश करवाया गया है। लेकिन इसने देश की भ्रष्टाचार-विरोधी संस्था द्वारा लक्ज़री कारें खरीदने के फैसले पर लोगों के बीच नाराज़गी और आलोचना की लहर पैदा कर दी है.. कई नामी-गिरामी लोगों ने भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल पर सवाल उठाए हैं। एक्टिविस्ट और मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने सोशल मीडिया पर लिखा-
“मोदी सरकार ने लोकपाल संस्था को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। पहले इसे कई वर्षों तक खाली रखा गया और बाद में ऐसे सदस्य नियुक्त किए जो भ्रष्टाचार की परवाह नहीं करते और विलासिता में खुश हैं। अब वे अपने लिए 70 लाख की BMW कारें खरीद रहे हैं!”
कांग्रेस की प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने भी लोकपाल पर निशाना साधा। उन्होंने X पर लिखा- "लोकपाल अपने लिए ₹ 5 करोड़ की 7 लग्ज़री BMW कारें खरीदना चाहता है। यही वह संस्था है जिसे तथाकथित ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन के बाद भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए बनाया गया था — वह आंदोलन जिसे RSS का समर्थन प्राप्त था और जिसका असली उद्देश्य केवल कांग्रेस सरकार को गिराना था।"
बीएमडब्ल्यू पर मौजूद वेबसाइट के मुताबिक बीएमडब्ल्यू की नई 3 सीरीज लॉन्ग व्हील बेस मॉडल कार इस साल की शुरुआत में देश में लॉन्च की गई थी। ये अपने सेगमेंट की सबसे बड़ी कार है, जिसमें दूसरी सीट रो में सबसे ज्यादा जगह है। इन कारों की डिलीवरी लोकपाल के दिल्ली के वसंत कुमज इंस्टीट्यूशनल एरिया में स्थित ऑफिस में की जानी । शर्तों के मुताबिक, इनकी डिलीवरी सप्लाई ऑर्डर जारी करने की तारीख से दो हफ्ते के भीतर होनी है। हालांकि अगर देरी भी होती है तो हर हाल में 30 दिनों के भीतर हो जाएगी।
टेंडर के मुताबिक, बोली लगाने की आखिरी तारीख 6 नवंबर दोपहर 3 बजे तय की गई है। उसके बाद बोली की मूल्यांकन प्रक्रिया 7 नवंबर से शुरू होगी। इस टेंडर में एक शर्त ये भी है कि लोकपाल के ड्राइवरों और संबंधित स्टाफ के लिए बीएमडब्ल्यू कारों को चलाने के लिए ट्रेनिंग भी देनी होगी..जिसका खर्चा पूरी तरह विक्रेता को ही वहन करना होगा।
लोकपाल की इस मांग ने सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। आपको पता ही होगा, 2011 में अन्ना आंदोलन की एक प्रमुख मांग लोकपाल का गठन था, जिसके बाद दिसंबर 2013 में संसद में लोकायुक्त विधेयक 2011 पास हुआ था। जनवरी 2014 में इसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिली। 16 जनवरी को इसे लागू कर दिया गया। जस्टिस अजय मानिकराव खानविलकर लोकपाल चेयरपर्सन हैं। वहीं जस्टिस एल नारायण स्वामी, जस्टिस संजय यादव, जस्टिस रितु राज अवस्थी, पंकज कुमार, सुशील चंद्रा और अजय तिरके सदस्य हैं।
अब लोकपाल उन्हीं सवालों में घिर गया है, जिन उद्देश्यों के लिए इसका गठन किया गया था.सवाल ये है कि क्या लोकपाल को भी लोक मर्यादाओं का ख्याल करना चाहिए कि नहीं?