CAA की तरह वक्फ पर क्यों राहुल गांधी ने साधी चुप्पी, मायावती का तीखा हमला
वक्फ कानून अस्तित्व में आ चुका है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वो इसे लागू नहीं करने जा रही हैं। वहीं मायावती ने राहुल गांधी पर तीखे हमले किए।;
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की चुप्पी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जिस तरह नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर विपक्ष ने संविधान उल्लंघन का आरोप लगाया था, उसी प्रकार वक्फ विधेयक को लेकर भी सवाल उठे हैं, लेकिन राहुल गांधी का इस पर कुछ न बोलना मुस्लिम समाज के आक्रोश और इंडिया गठबंधन की बेचैनी का कारण बना है।
सोशल मीडिया पर जताई नाराज़गी
मायावती ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,“वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में हुई लंबी चर्चा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा कुछ नहीं बोलना अर्थात सीएए की तरह संविधान उल्लंघन का मामला होने के विपक्ष के आरोप के बावजूद इनका चुप्पी साधे रहना क्या उचित था? इसे लेकर मुस्लिम समाज में आक्रोश व इनके इंडिया गठबंधन में भी बेचैनी स्वाभाविक है।”
केंद्र पर वक्फ अधिनियम को लेकर पुनर्विचार की मांग
इससे पहले, मायावती ने 10 अप्रैल को केंद्र सरकार से नए वक्फ कानून के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने और इसे फिलहाल स्थगित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि हाल ही में पारित अधिनियम में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान "प्रथम दृष्टया" उचित नहीं प्रतीत होता।
यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में गहन बहस के बाद पारित हुआ था और 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद केंद्र ने 8 अप्रैल को इसे अधिसूचित किया। राज्यसभा में यह विधेयक 128 के मुकाबले 95 मतों से और लोकसभा में 288 के मुकाबले 232 मतों से पारित हुआ।
कांग्रेस और भाजपा दोनों पर साधा निशाना
मायावती ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश में बहुजन वर्गों के हित, सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के अधिकारों को निष्क्रिय बनाने में ये दोनों ही पार्टियां समान रूप से दोषी हैं। उन्होंने लिखा:“धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी इनके छलावे से बचना जरूरी है। इनके ऐसे रवैये के कारण उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज की स्थिति हर मामले में बदहाल और त्रस्त है। जबकि भाजपाइयों को कानून हाथ में लेने की छूट है।”
बढ़ते निजीकरण पर चिंता
बसपा सुप्रीमो ने सरकारी क्षेत्रों में बढ़ते निजीकरण पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने खासतौर पर बिजली और अन्य विभागों का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे आम जनता की समस्याएं बढ़ रही हैं।“सरकार को चाहिए कि वह जनकल्याण के अपने संवैधानिक दायित्व को गंभीरता से निभाए।”
मायावती का यह बयान न सिर्फ विपक्षी खेमे में उथल-पुथल मचा रहा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम समुदाय और बहुजन वर्ग के बीच गहरी चिंता का विषय बन चुका है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि इस मुद्दे पर चुप्पी और निष्क्रियता अब विपक्ष को भी भारी पड़ सकती है।