3 महीने बाद फिर से 'मन की बात', टीम इंडिया,ओलंपिक और मां की अपील का जिक्र

30 जून को आयोजित हुआ मन की बात का ये 111वां एपिसोड था. जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने जनता को धन्यवाद दिया. बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री ने फरवरी में मन की बात कार्यक्रम में बात की थी

Update: 2024-06-30 06:57 GMT

Man ki Baat: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगभग चार महीने बाद एक बार फिर से मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से जनता के बीच अपनी बात रखी. 30 जून को आयोजित हुआ मन की बात का ये 111वां एपिसोड था. जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने जनता को धन्यवाद दिया. इसके अलावा उन्होंने पेरिस ओलंपिक में जाने वाले भारतीय दल को शुभकामनाएं दी. बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री ने फरवरी में मन की बात कार्यक्रम में बात की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव के चलते राजनितिक मर्यादा का पालन करते हुए आने वाले तीन महीनों तक मन की बात का प्रसारण नहीं होगा.

चार महीने बाद परिवार जनों के बीच हूँ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात की शुरुआत में कहा कि मैं चार महीने बाद एक बार फिर से अपने परिवार जनों के बीच हूँ. उन्होंने कहा कि एक बड़ी प्यारी सी युक्ति है 'इति विदा पुनर्मिलनाय' इसका अर्थ भी उतना ही प्यारा है, मैं विदा लेता हूं, फिर मिलने के लिए. यही भाव मन में रखते हुए मैंने फरवरी माह में आपसे कहा था कि चुनाव नतीजों के बीच एक बार फिर मिलूँगा.



देश वासियों को दिया धन्यवाद

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 'मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है.' उन्होंने कहा कि 2024 में हुआ भारत का लोकसभा चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था. ऐसा कहीं हुआ, जिसमें 65 करोड़ लोगों ने वोट डाले हों. मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को बधाई देता हूं.


हूल दिवस पर दी बधाई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज 30 जून का ये दिन बेहद महत्वपूर्ण है. आज हमारे आदिवासी भाई-बहन 'हूल दिवस' के रूप में मनाते हैं. ये दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था. ये स्वतंत्रता की पहली लड़ाई थी, जो इतिहास में दर्ज 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में दर्ज आन्दोलन से भी दो साल पहले यानी 1855 में हुई थी. इस लडाई में वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया था. तब, झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था.

'एक पेड़ मां के नाम'

पीएम मोदी ने कहा कि इस दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता माँ का है. हम सबके जीवन में 'मां' का दर्जा सबसे ऊंचा होता है. मां, हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है. मां का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है, जिसे कोई चुका नहीं सकता. हम मां को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन, और कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है- 'एक पेड़ मां के नाम'. मैंने एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है. मैं सभी देशवासियों से, दुनिया के सभी लोगों से ये अपील करता हूँ कि अपनी मां के साथ मिलकर, या उनके नाम पर, एक पेड़ जरूर लगाएं और मुझे ये देखकर बहुत खुशी है कि मां की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है.


पेरिस ओलंपिक के लिए दी शुभकामनाएं

पीएम मोदी ने कहा कि अगले महीने इस समय तक पेरिस ओलंपिक शुरू हो चुके होंगे. मैं भारतीय दल को ओलंपिक खेलों के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूँ. हम सबके मन में टोक्यो ओलंपिक की यादें अब भी ताजा हैं. इस बार कुश्ती और घुड़सवारी में हमारे दल के खिलाड़ी उन श्रेणी में भी भाग लेंगे, जिनमें पहले वे कभी शामिल नहीं रहे थे.

कुवैत में हिंदी का दम

पीएम मोदी ने कहा कि कुवैत सरकार ने अपने राष्ट्रीय रेडियो पर एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है, जो हिंदी में है. 'कुवैत रेडियो' पर हर रविवार को इसका प्रसारण आधे घंटे के लिए किया जाता है. इसमें भारतीय संस्कृति के अलग-अलग रंग शामिल होते हैं. कुवैत में रहने वाले भारतवंशियों के बीच हमारी फिल्में और कला जगत से जुड़ी चर्चाएं इस कार्यक्रम के जरिये की जाती हैं, जो वहां भारतीय समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं. मेरी जानकारी के अनुसार सिर्फ भारतियों के बीच ही नहीं बल्कि कुवैत के स्थानीय लोग भी इसमें खूब दिलचस्पी ले रहे हैं.

केरल के छातों के बारे में की बात

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 'मन की बात' में आज मैं आपको एक खास तरह के छातों के बारे में बताना चाहता हूं. ये छाते हमारे केरला में तैयार होते हैं. वैसे तो केरला की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है. केरल के 'कार्थम्बी छाते' काफी विशेष हैं, जो केरला के अट्टापडी में तैयार किये जाते हैं. ये रंग-बिरंगे छाते बहुत शानदार होते हैं. इनकी खासियत ये है कि ये छाते केरला की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं. आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं. इनकी ऑनलाइन बिक्री भी हो रही है. इन छातों को 'वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी' की देखरेख में बनाया जाता है. इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है.

तुर्कमेनिस्तान में लगायी गयी रविन्द्र नाथ टैगोर की प्रतिमा की चर्चा की

पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया भर में भारत और भारतियों की जो प्रतिष्ठा है वो काफी ऊँची हो गयी है. उन्होंने कहा कि तुर्कमेनिस्तान में इस साल मई में वहां के राष्ट्रीय कवि की 300वीं जन्म-जयंती मनाई गई. इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने दुनिया के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया. इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की भी है. ये गुरुदेव का सम्मान है, भारत का सम्मान है.

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