संसद के शीतकालीन सत्र में टकराव के आसार, सरकार का फोकस गुटखा-सेस और कॉर्पोरेट बिल
एसआईआर के मुद्दे को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव की आशंका है। विपक्ष ने संसद में सभी सांसदों से अपने-अपने क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रदूषण, महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की स्थिति जैसे विषय भी उठाने को कहा है।
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार, 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र के दौरान हंगामा होने की आशंका जताई जा रही है। कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नई एफआईआर को लेकर नाराजगी जताई है। इसके अलावा देश के 12 राज्यों में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया भी सत्र में चर्चा का मुख्य मुद्दा बन सकती है।
विपक्ष ने संसद में सरकार को घेरने की योजना बना ली है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP), टीएमसी और DMK समेत अन्य दल एसआईआर प्रक्रिया को लेकर सत्तापक्ष पर दबाव डालने के लिए तैयार हैं। विपक्ष का आरोप है कि पिछड़े, दलित और वंचित वोटरों को हटाकर बीजेपी अपनी मनमाफिक वोटर लिस्ट तैयार कर रही है। साथ ही विपक्ष दिल्ली में हुए आतंकी हमले और बढ़ते वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों पर भी चर्चा कराने पर जोर देगा। राहुल गांधी ने इसे गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का मसला बताया।
सरकार का एजेंडा
सरकार ने इस सत्र में कुल 14 विधेयक पास कराने का लक्ष्य रखा है। इसमें दिवाला कानून, बीमा कानून, कॉर्पोरेट कानून, सिक्योरिटीज मार्केट, राष्ट्रीय राजमार्ग, उच्च शिक्षा आयोग, एटॉमिक एनर्जी, जीएसटी और नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े सेस बिल शामिल हैं। इसके अलावा सरकार ने संसद में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर विशेष चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा है। सरकार का कहना है कि SIR के मुद्दे पर संसद में बहस नहीं हो सकती। क्योंकि यह वोटर लिस्ट में बदलाव चुनाव आयोग की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार हो रही है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार विपक्ष की बात सुनने के लिए तैयार है और संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने के लिए सभी कोशिशें की जाएंगी।
वहीं, एसआईआर के मुद्दे को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव की आशंका है। विपक्ष ने संसद में सभी सांसदों से अपने-अपने क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रदूषण, महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की स्थिति जैसे विषय भी उठाने को कहा है। सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी और इन बैठकों में अनुदानों की मांगों, विधेयकों और अन्य मसलों पर चर्चा होगी।