जिन लोगों ने संविधान रौंद दिया वो आज.. कांग्रेस को पीएम ने किया पानी पानी
आपातकाल की 50वीं बरसी पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बेहतर होता है कि जरा ये लोग याद करें कि 1975 में क्या हुआ था.
Narendra Modi on emergency: आपातकाल की आज 50वीं बरसी है. 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी की सरकार ने आंतरिक सुरक्षा का हवाला देकर देश में इमरजेंसी लगा दी थी. इस खास दिन पर पीएम मोदी के साथ साथ गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट के जरिए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.पीएम मोदी ने कहा जो लोग संविधान बचाने की बात कह रहे हैं उन्होंने तो संविधान को रौंदते हुए लोगों की आजादी खत्म की थी. आपातकाल के वे दिन याद दिलाते हैं कि कैसे हजारों लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया था. हकीकत तो यह है कि सत्ता में किसी भी कीमत पर बने रहने के लिए कांग्रेस की सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांतों की धज्जियां उड़ा दीं. देश को जेलखाने में तब्दील किया गया. जो शख्स कांग्रेस की नीतियों से इत्तेफाक नहीं रखता था उसे हर तरह से प्रताणित किया जाता था. कमजोर वर्गों को निशाना बनाने के लिए प्रतिगामी नीतियों को लागू किया गया.
आपातकाल लगाने वालों को हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। ये वही लोग हैं जिन्होंने अनगिनत मौकों पर अनुच्छेद 356 लगाया, प्रेस की आजादी को खत्म करने वाला विधेयक पारित किया, संघवाद को नष्ट किया और संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया।
आपातकाल लगाने वाली मानसिकता उसी पार्टी में बहुत ज्यादा जीवित है जिसने इसे लगाया था। वे अपने दिखावे के जरिए संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं लेकिन भारत की जनता उनकी हरकतों को समझ चुकी है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार नकारा है।
अमित शाह ने क्या कहा
गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि सत्ता सुख के लिए कांग्रेस ने लोगों के अधिकार छीन लिए, लोकतंत्र की हत्या और बार बार आघात करने का इतिहास रहा है. अहंकार में डूबी कांग्रेस ने 21 महीनों तक देश को जेलखाने में बदल दिया. मीडिया पर सेंशरशिप लगी. अदालतों के हाथ बांध दिये गए.
क्या कहते हैं जानकार
गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार अजीत सिंह का कहना है कि संविधान सभा में इमरजेंसी के प्रोविजन के बेजा इस्तेमाल पर चर्चा हुई थी. उस चर्चा में कहा गया कि यह सब असाधारण हालात के लिए है और उम्मीद है कि इसका इस्तेमाल नहीं होगा. हालांकि आजादी के 28 साल बाद ही इसे अमल में लाया गया.कांग्रेस के लोग कहते हैं कि हालात कुछ वैसे ही बन चुके थे कि यही एक रास्ता था लेकिन वो अब बीती बात हो गई. आपने देखा होगा कि आम चुनाव 2024 में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने इसी मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा और उसे कामयाबी भी मिली. अजीत सिंह कहते हैं कि दरअसल लोगों की मेमोरी कम होती है. और आपने पीछे भी देखा होगा. इसमें कोई दो मत नहीं कि कांग्रेस कितनी भी संविधान बचाने की दुहाई दे हकीकत तो यही है कि उसके दामन पर आपातकाल का दाग लगा हुआ है.