वक्फ कानून क्यों पहुंचा SC, सुनवाई से पहले 10 प्वाइंट्स में जानकारी
नया वक्फ कानून के खिलाफ दायर की गई याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। अर्जी दायर करने वालों का कहना है कि यह मुस्लिम समाज के हित में नहीं है।;
Waqf Law: संशोधित वक़्फ़ कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। यह कानून मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित है। छह बीजेपी शासित राज्य, जो इस कानून का समर्थन कर रहे हैं, अदालत में पक्षकार बनने की अनुमति मांग रहे हैं।
वक्फ मुद्दे से जुड़ी 10 बड़ी बातें
पहले, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि वह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करेगा। लेकिन संविधान से जुड़ी अहम बातों का अंतिम निर्णयकर्ता होने के नाते, कोर्ट ने याचिकाओं की सुनवाई के लिए हामी भर दी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह संशोधित कानून कई मौलिक अधिकारों, जैसे समानता का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, का उल्लंघन करता है।
इस कानून को कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, आम आदमी पार्टी, डीएमके और सीपीआई के नेताओं ने चुनौती दी है। इसके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे धार्मिक संगठन और एनजीओ भी याचिकाकर्ता हैं।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे बीजेपी शासित राज्यों ने इस कानून के समर्थन में आवेदन दायर कर सुनवाई में शामिल होने की मांग की है।
कुछ याचिकाओं में इस कानून को असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की गई है, जबकि अन्य ने इसकी कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून मनमाना और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी याचिका में कहा है कि नया कानून वक़्फ़ को दी गई सुरक्षा को समाप्त कर देता है। अन्य धर्मों की धार्मिक संपत्तियों को सुरक्षा देना और वक़्फ़ संपत्तियों से वह छीन लेना भेदभावपूर्ण है।
आप नेता अमानतुल्ला खान ने अपनी याचिका में कहा है कि वक़्फ़ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है और यह धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन से कोई तार्किक संबंध नहीं रखता।
सरकार का कहना है कि यह विधेयक धर्म नहीं बल्कि संपत्ति और उसके प्रबंधन से जुड़ा है। वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हैं और उनकी आय से गरीब मुसलमानों, महिलाओं और बच्चों को कोई लाभ नहीं मिल रहा, जिसे यह नया कानून ठीक करेगा।
सरकार ने कहा है कि यह विधेयक कई लोगों से सलाह-मशविरा करके तैयार किया गया है और इसे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भी समर्थन प्राप्त है। इसे संसदीय संयुक्त समिति द्वारा जांचा गया और कई सुझाए गए संशोधनों को शामिल किया गया है।
देश के कई हिस्सों में इस संशोधित कानून और उससे पहले विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सबसे हिंसक प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में हुआ, जहां तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग बेघर हो गए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार इस संशोधित वक़्फ़ कानून को लागू नहीं करेगी