विरोध के बीच ONOE लोकसभा में पेश,लेकिन मोदी सरकार के सामने परेशानी भी
One Nation One Election Bill को लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार ने पेश कर दिया है। लेकिन पारित कराने के लिए संसद के दोनों सदनों की गणित समझिए।;
One Nation One Election Bill In Lok Sabha: लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल को 129वें संविधान संशोधन के तौर पर पेश किया गया। विपक्ष के तेवर से साफ था कि इस पर विरोध होगा जो लोकसभा में नजर भी आया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई (Gourav Gogoi Congress MP) ने कहा कि मोदी सरकार को जल्दी क्या थी। इसे जेपीसी (Joint Parliamentary Committee) में भेजा जाना चाहिए था। उन्होंने इसे संघवाद की भावना के खिलाफ बताते हुए असंवैधानिक करार दिया। हालांकि गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने कहा बिल को जेपीसी में भेजने पर आपत्ति नहीं है। इन सबके बीच सदन के बाहर भी विरोध के सुर सुनाई पड़े। राष्ट्रीय जनता दल के कद्दावर नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने कहा कि अभी तो ये वन नेशन वन इलेक्शन की बात कर रहे हैं आगे वन नेशन वन लीडर की बात करने लगेंगे। इन सबके बीच बताएंगे कि यह बिल मोदी सरकार(Narendra Modi Government) के लिए पारित करा पाना आसान क्यों नहीं है।
एक देश एक चुनाव के संबंध में दो बिल पेश किया गया है। पहला चुनावी प्रक्रिया से जुड़ा संविधान संशोधन दूसरा संघ शासित प्रदेशों में चुनावी प्रक्रिया इसमें दिल्ली और जम्मू कश्मीर शामिल हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind Committee) की अध्यक्षता में एक कमेटी पिछले साल बनाई गई थी। कमेटी ने इसी साल मार्च के महीने में रिपोर्ट सौंपी जिसे हाल ही में मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। इस रिपोर्ट में लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनावों को एक साथ कराए जाने के सुझाव दिए गए थे।
मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के सामने इस बिल को पारित कराने की बड़ी चुनौती क्या है। दरअसल इसमें एक संविधान संशोधन बिल है। अब संशोधन बिल को पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ती है। अगर आप लोकसभा में एनडीए की संख्या देखें तो वो नहीं है। सामान्य तरीके से ऐसे समझिए। अगर लोकसभा में सभी 543 सांसद वोटिंग प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं तो एनडीए को 362 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। इसी तरह से राज्यसभा में 146 मत की आवश्यकता होगी। अगर लोकसभा में एनडीए (NDA Strength in Lok Sabha) की ताकत देखें तो यह संख्या 292 है और राज्यसभा में 112 है. अगर 6 मनोनीत सांसदों को जोड़ दें तो यह ताकत 118 की होती है। यानी कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगहों पर संख्या बल नहीं है। अगर विपक्ष की बात करें तो लोकसभा में उनकी ताकत 205 और राज्यसभा में 85 है। यानी कि सरकार को इस बिल को पारित कराने के लिए विपक्षी दलों के सहयोग और समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) के संबंध में बनी समिति में 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था। जिनमें 32 ने समर्थन दिया, 15 ने विरोध जताया और 15 दलों ने जवाब नहीं दिया। जेडीयू और एलजेपी आर एक लाख चुनाव कराने के पक्ष में हैं उनका तर्क पैसे और समय को लेकर है। जहां तक बात टीडीपी(TDP) की है तो इस दल से समिति को जवाब नहीं दिया हालांकि लॉ कमीशन के सामने ऐतराज जताया था। हालांकि अब ऐसा माना जा रहा है वो उन्हें आपत्ति नहीं है। हालांकि इस बिल पूरी तरह से अमल में लाने के लिए कई प्रक्रिया से गुजरना होगा। सरकार ने लोकसभा में बिल पेश कर दिया है। व्यापक चर्चा के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाएगा। वहां सहमति बनने के बाद इसे फिर लोकसभा में पेश कर पारित कराया जाएगा। बिल को फिर राज्यसभा (One Nation One Election Bill in Rajya Sabha) भेजा जाएगा। वहां से पारित होने के बाद राष्ट्रपति इसे मंजूरी देंगे और देश में एक साथ चुनाव कराने का रास्ता साफ हो जाएगा।