ऑपरेशन सिंदूर की जरूरत क्यों पड़ी, सेना-वायुसेना, विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी
ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में इसकी पृष्ठभूमि और कार्रवाई के बारे में विस्तार से बताया।;
Operation Sindoor: भारत ने अपने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल किया। इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि पहलगाम आतंकी हमला के पीछे पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल हुआ। हमने इसका जवाब ऑपरेशन सिंदूर के जरिए दिया। पीओके और पीओजेके में आतंकियों के कुल 9 ठिकानों को ध्वस्त किया। हमने इस कार्रवाई के दौरान अत्यधिक संयम का परिचय दिया। पाकिस्तान के किसी भी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया। इस तरह से विदेश मंत्रा, सेना और रक्षा मंत्रालय ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताया।
विदेश सचिव ने क्या कहा
पहलगाम में हमला अत्यंत बर्बरतापूर्ण था, जिसमें अधिकांश पीड़ितों को नजदीक से सिर में गोली मारकर तथा उनके परिवार के सामने मार दिया गया...परिवार के सदस्यों को जानबूझ कर इस तरह से मारा गया कि उन्हें संदेश वापस ले लेना चाहिए। यह हमला स्पष्ट रूप से कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल होने से रोकने के उद्देश्य से किया गया था..."
द रेजिस्टेंस फ्रंट नामक एक समूह ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली है। यह समूह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है। इस हमले में पाकिस्तान का हाथ होने की बात सामने आई है।"
25 अप्रैल को यूएनएससी की मीडिया विज्ञप्ति से टीआरएफ का संदर्भ हटाने के लिए पाकिस्तान के दबाव को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। पहलगाम आतंकवादी हमले ने आतंकवादियों के साथ पाकिस्तान के संबंधों को उजागर कर दिया है..."
आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने वाली हमारी खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि भारत पर और हमले हो सकते हैं, और उन्हें रोकना तथा उनसे निपटना आवश्यक समझा गया।"
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद भारतीय सेना का पहला त्रि-सेवा मिशन - सीमा पार आतंकवाद का जवाब देने और उसे रोकने के देश के अधिकार का भी प्रतिनिधित्व करता है।
सेना-वायुसेना ने क्या कहा
कर्नल कुरैशी ने कहा कि इनमें से एक शिविर मुरीदके में था, जो लाहौर से 40 किमी उत्तर में है। मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी प्रशिक्षण अड्डा था, जिसने 26/11 के मुंबई हमलों के पीछे के आतंकवादियों अजमल कसाब और डेविड हेडली को प्रशिक्षित किया था, जिसमें 150 से अधिक लोग मारे गए थे।