पीएम मोदी : कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की तर्ज पर वंदे मातरम के छंदों को बांटा

पीएम मोदी ने लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान नेहरू के रुख और 1937 के मुस्लिम लीग अभियान का हवाला देते हुए कांग्रेस पर वंदे मातरम पर समझौता करने का आरोप लगाया।

Update: 2025-12-08 08:53 GMT
Click the Play button to listen to article

Debate On Vande Mataram : वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर सोमवार को लोकसभा में हुई विशेष चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद तीखा राजनीतिक हमला बोला। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जिस गीत ने करोड़ों भारतीयों को एकजुट किया, उसी वंदे मातरम के साथ “कांग्रेस ने अन्याय किया, उसे तोड़ा और राजनीतिक लाभ के लिए उसकी मूल भावना के साथ समझौता किया।”

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 1937 के घटनाक्रम का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम लीग द्वारा वंदे मातरम के खिलाफ चलाए गए अभियान के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने दृढ़ता दिखाने के बजाय “घुटने टेक दिए”। मोदी ने कहा कि उस समय के कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने इस मुद्दे को लीग के संदर्भ में एक राजनीतिक खतरे के रूप में देखा और कठोर रुख लेने के बजाय वंदे मातरम की पंक्तियों पर आपत्ति जताने लगे।


“नेहरू ने गीत का विच्छेदन किया”

प्रधानमंत्री ने दावा किया कि नेहरू ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को लिखे पत्र में लिखा था कि वंदे मातरम के कुछ हिस्से मुसलमानों को “इरीटेट” कर सकते हैं और इसमें जिन्ना की दलीलों से सहमति झलकती है।

मोदी ने कहा, “लीग के अभियान का मुकाबला करने के बजाय, कांग्रेस ने 26 अक्टूबर को बंगाल में CWC की बैठक बुलाकर वंदे मातरम की समीक्षा का निर्णय लिया। यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण था कि कांग्रेस ने उस समय गीत को तोड़ दिया। लीग के सामने झुकना उस समझौते की शुरुआत थी जिसका अंत 1947 के विभाजन में हुआ।”


गांधी, टैगोर और क्रांतिकारियों की भूमिका का स्मरण

मोदी ने अपने भाषण में महात्मा गांधी का भी हवाला दिया और बताया कि दक्षिण अफ्रीका से प्रकाशित उनके अख़बार Indian Opinion में गांधी ने वंदे मातरम को “हमारा राष्ट्रगान” कहा था— “क्योंकि उसमें अन्य राष्ट्रगीतों से अधिक माधुर्य और अधिक आत्मा थी।”

उन्होंने सवाल उठाया कि यदि गांधी इसे इतना महान मानते थे, तो कांग्रेस ने ऐसे सशक्त गीत के साथ अन्याय क्यों किया, और कौन-सी ताकतें गांधी के विचार को हाशिये पर डालने में सफल रहीं?


मोदी ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने भी वंदे मातरम को एकता का प्रतीक बताया था

उन्होंने आगे कहा कि वीर सावरकर के ‘इंडिया हाउस’ लंदन में, यह गीत लगातार बजता था। बिपिन चंद्र पाल ने ‘वंदे मातरम’ नाम से अख़बार शुरू किया था, जिसे जब भारत में बंद कर दिया गया, तो मैडम भीकाजी कामा ने पेरिस से उसी नाम से अख़बार प्रकाशित किया।

तमिल कवि सुबरमण्यम भारती द्वारा वंदे मातरम का तमिल अनुवाद भी प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से उल्लेख किया।


स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक युद्ध घोष था वंदे मातरम

प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम केवल गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम का एक संग्राम-नाद था। एक ऐसा भाव जिसने उस दौर के युवा, किसान, विद्यार्थी, मजदूर सबको एकजुट किया।

उन्होंने कहा, “वेदों से लेकर आधुनिक युग तक भारत को ‘मां’ के रूप में देखने की परंपरा रही है। वंदे मातरम इसी भावना का समकालीन रूप था।”

मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया में शायद ही कोई ऐसा गीत रहा हो जिसने लाखों लोगों को एकजुट होकर संघर्ष करने की प्रेरणा दी हो, जितनी प्रेरणा वंदे मातरम ने दी।


Tags:    

Similar News