देश की सेवा के लिए समर्पित है आरएसएस : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर 'मां भारती' के प्रति उसके समर्पण की सराहना की और कहा कि इसका संकल्प 'विकसित भारत' के निर्माण के लिए पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी है।

Update: 2024-10-12 12:30 GMT

PM On RSS : लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से बीजेपी और आरएसएस के बीच दूरियां और मतभेद उभर कर आये थे वो अब कम होते नज़र आ रहे हैं. ख़ास तौर से हरियाणा चुनाव के परिणाम के बाद, जहाँ इस बात को लेकर दावा किया जा रहा है कि बीजेपी की जीत के पीछे आरएसएस की भी अहम भूमिका रही है.

इस बीच शनिवार ( 12 अक्टूबर ) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राष्ट्र सेवा के प्रति समर्पण की प्रशंसा की तथा संगठन के 100वें वर्ष में प्रवेश करने के ऐतिहासिक अवसर पर इसके स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं दीं.

प्रधानमंत्री मोदी ने 'X' पर किया पोस्ट
एक्स पर एक पोस्ट में मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के वार्षिक विजयादशमी संबोधन का लिंक साझा करते हुए लिखा कि इसे अवश्य सुनना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा ''राष्ट्र सेवा में समर्पित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस आज अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। अविरल यात्रा के इस ऐतिहासिक पड़ाव पर समस्त स्वयंसेवकों को मेरी हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं। मां भारती के लिए यह संकल्प और समर्पण देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करने के साथ ही ‘विकसित भारत’ को साकार करने में भी नई ऊर्जा भरने वाला है। आज विजयादशमी के शुभ अवसर पर माननीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी का उद्बोधन जरूर सुनना चाहिए.''


मोदी ने आरएसएस की प्रशंसा की
आरएसएस की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि 'मां भारती' के प्रति इसका संकल्प और समर्पण हर पीढ़ी को प्रेरित करता है और 'विकसित भारत' के लक्ष्य को साकार करने में नई ऊर्जा का संचार करेगा. 1925 में स्थापित आरएसएस को भाजपा का वैचारिक मार्गदर्शक माना जाता है और इसके स्वयंसेवकों ने दशकों से इसके संगठनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
आरएसएस के पदाधिकारी अनिवार्य रूप से भाजपा की राष्ट्रीय और राज्य इकाइयों में महासचिव (संगठन) के पद पर होते हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि पार्टी संगठन वैचारिक सामंजस्य और अनुशासन के साथ काम करे.
ज्ञात रहे कि दशहरा पर्व पर आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत ने कहा कि सभी हिन्दुओं को एकजुट होकर रहना चाहिए. उन्होंने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां जिस तरह से हिन्दुओं पर अत्याचार हुआ और फिर वहां के हिदुओं ने एकजुट हुए तो अत्याचार कम हो गया. मोहन भागवत ने ये भी कहा कि हिन्दुओं के बंटने से ही भारत के हिस्से पाकिस्तान और बांग्लादेश के रूप में हुए.


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