जल, थल और नभ भारत की है चौकस निगाह, पाकिस्तान नहीं आ रहा बाज

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान धमकी देने से बाज नहीं आ रहा। इन सबके बीच भारत की निगाहें चौकस है ताकि किसी भी कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।;

Update: 2025-05-08 01:40 GMT

"ऑपरेशन अभ्यास" नामक राष्ट्रव्यापी ड्रिल के तहत ब्लैकआउट के दौरान जब राजधानी दिल्ली की सड़कों पर अंधेरा पसरा था, तब सुरक्षा के लिहाज़ से भारत के तीनों क्षेत्रों—जल, थल और वायु—में चौकसी अपने चरम पर थी। पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया को लेकर आशंका जताई जा रही है और इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने अपने रक्षा ढांचे को पूरी तरह से सक्रिय कर दिया है।

भारतीय वायुसेना की लड़ाकू टुकड़ियाँ लगातार कॉम्बैट एयर पेट्रोल कर रही हैं, जबकि मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह से तैनात किया जा चुका है। अरब सागर में अग्रिम पंक्ति के कई युद्धपोत तैनात किए गए हैं और सीमा पर तैनात इंफैंट्री यूनिट्स को भी हर आपात स्थिति से निपटने के लिए पूर्ण रूप से सुसज्जित और सतर्क रखा गया है।

इतना ही नहीं, देश के परमाणु हथियारों की जिम्मेदारी संभालने वाली त्रि-सेवा रणनीतिक बल कमान (Strategic Forces Command) को भी उच्चतम स्तर की सतर्कता पर रखा गया है। यह कदम अत्यधिक एहतियात के तौर पर उठाया गया है।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान हेलिकॉप्टर पायलट विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी, "भारत ने अब तक काफी संयम दिखाया है। लेकिन यदि पाकिस्तान कोई दुस्साहस करता है, तो भारतीय सशस्त्र बल हर प्रकार की प्रतिक्रिया के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं।"

पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई का दबाव

सैन्य और कूटनीतिक हलकों में यह आम धारणा बनती जा रही है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, जिन्होंने कुछ दिन पहले ही किसी भी भारतीय "सैन्य दुस्साहस" का "त्वरित और उन्नत" जवाब देने की धमकी दी थी, अब अपनी देश में गिरती साख को बचाने के लिए सैन्य प्रतिक्रिया देने के लिए बाध्य हो सकते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, "उन पर किसी न किसी रूप में जवाबी कार्रवाई करने का भारी दबाव होगा।"

यह स्थिति 2019 के पुलवामा आतंकी हमले और उसके बाद भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट में की गई कार्रवाई की याद दिलाती है, जिसके एक दिन बाद पाकिस्तान ने "ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट" के तहत जवाबी हमला किया था।

अब हालात पहले जैसे नहीं

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमने उस घटना से सबक लिया है। अब पाकिस्तान के लिए भारत को चौंका देना इतना आसान नहीं होगा। पिछले 15 दिनों से हमारी सेनाएँ तैयारी में लगी हैं और किसी भी स्थिति में सतर्कता नहीं छोड़ी जाएगी।"पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपने सैन्य ढांचे में कई उन्नत हथियार प्रणाली शामिल की हैं। रूस-निर्मित S-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, जो दुश्मन के बमवर्षक विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को 380 किमी की दूरी से नष्ट कर सकती है, अब भारतीय वायुसेना की एकीकृत वायु कमान एवं नियंत्रण प्रणाली (IACCS) का हिस्सा है।

इसके अलावा छोटे स्तर पर Igla-1M और नवीनतम Igla-S कंधे पर रखकर दागे जाने वाले मिसाइल सिस्टम (6 किमी की रेंज) से लेकर, इजराइली Barak-8 (70 किमी), देशी आकाश प्रणाली (25 किमी) और Spyder क्विक-रिएक्शन मिसाइलें (15 किमी) भी वायु रक्षा ढांचे में सक्रिय हैं।

इनमें से कई प्रणालियाँ पूर्णतः स्वचालित IACCS नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं, जो विभिन्न प्रकार के सैन्य और नागरिक रडार को जोड़कर एक एकीकृत निगरानी और प्रतिक्रिया तंत्र बनाती है। ज़मीनी रडारों के अलावा, Netra और Phalcon जैसे एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) विमान भी इस नेटवर्क का हिस्सा हैं।

भारत ने इस बार न केवल सावधानी बरती है, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी कई कदम आगे बढ़ चुका है। सीमाओं पर तैनाती, हवाई सुरक्षा, समुद्री सतर्कता और परमाणु हथियारों के संचालन में शामिल कमान तक हर स्तर पर भारत की तैयारी स्पष्ट रूप से यह संकेत देती है कि वह किसी भी दुस्साहस का ठोस और प्रभावी जवाब देने को पूरी तरह सक्षम है।

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