पुतिन का भारत दौरा: दोनों देशों के रिश्तों पर क्या होगा असर?

पुतिन का यह दौरा 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए है, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, संस्कृति और शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में समझौतों की उम्मीद है।

By :  Neelu Vyas
Update: 2025-12-04 16:57 GMT
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज शाम 6:30 बजे नई दिल्ली पहुंचे। उनकी यह यात्रा रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत की पहली यात्रा है। पुतिन का यह दौरा 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए है, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, संस्कृति और शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में समझौतों की उम्मीद है।

यात्रा का महत्व

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. आफताब कमाल पाशा के अनुसार, यह शिखर सम्मेलन पिछले महीनों में दोनों सरकारों के स्तर पर हुई गहन बातचीत का नतीजा है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष ने द्विपक्षीय संबंधों पर दबाव डाला है। पाशा ने बताया कि रूस ने यूरोपीय संघ और अमेरिका की कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना किया, लेकिन इसके बावजूद उसने अपनी आर्थिक और सैन्य स्थिति को मजबूत किया। वहीं भारत ने भी रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिका के दबाव का सामना किया।


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अमेरिका के दबाव में भारत?

विशेषज्ञ संजय कपूर ने बताया कि अमेरिका ने रूस से तेल आयात के कारण भारत पर 50% शुल्क बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि भारत को दोनों देशों रूस और अमेरिका के साथ संबंधों को संतुलित रखना चुनौतीपूर्ण है। रूस भारत की ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा आपूर्ति में अहम भूमिका निभाता है, जिसे आसानी से किसी और से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता।

वैश्विक कूटनीतिक संदर्भ

डॉ. पाशा ने कहा कि यूक्रेन युद्ध का परिणाम भारत के लिए रूस से तेल आपूर्ति को स्थिर करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। उन्होंने चेतावनी दी कि युद्ध लंबे समय तक चलता रहा तो यह भारत-रूस, भारत-अमेरिका और भारत-यूरोप संबंधों पर दबाव बढ़ाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अमेरिका, यूरोपीय देशों, रूस और चीन के साथ अपनी विदेश नीति में संवेदनशीलता बनाए रखनी होगी।

शीत युद्ध की तुलना नहीं

पैनल ने पुतिन की यात्रा को शीत युद्ध से जोड़कर देखे जाने के विचारों पर चर्चा की। डॉ. पाशा ने कहा कि आज का रूस सोवियत संघ जैसा नहीं है। रूस अब अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण से भारत, चीन और ब्रिक्स देशों के साथ संबंध बनाने में सक्षम है।

घरेलू राजनीतिक विवाद

पैनल ने विपक्षी नेता राहुल गांधी के उस बयान पर भी चर्चा की, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें पुतिन से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। कपूर ने इसे लोकतंत्र के लिए “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया और कहा कि पहले यह प्रथा रहती थी।

भारत और रूस के लिए क्या है महत्व

डॉ. पाशा ने कहा कि यूक्रेन युद्ध, ब्रिक्स विस्तार और अमेरिकी दबाव से उत्पन्न गलतफहमियों के बावजूद भारत-रूस संबंधों को मजबूत बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को रूस को भरोसा दिलाना चाहिए कि द्विपक्षीय साझेदारी रणनीतिक विश्वास और निरंतरता पर आधारित है।

आगे की तैयारियां

पुतिन की आने के बाद शुक्रवार को दोनों देशों के बीच कई कूटनीतिक और व्यावसायिक बैठकें निर्धारित हैं। यह शिखर सम्मेलन भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने का अवसर साबित हो सकता है।

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