SIR मुद्दे पर संसद में राहुल गांधी और अमित शाह आमने-सामने, शाह बोले- 'SIR पर फैलाया गया झूठ'
संसद में चुनावी सुधारों पर चर्चा के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत विपक्ष ने SIR का मुद्दा उठाया। अमित शाह बोले—यह पूरी तरह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र का मामला
संसद में चुनावी सुधारों पर हुई चर्चा के बीच विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर बड़ा राजनीतिक टकराव देखने को मिला। नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत विपक्ष के दूसरे सांसदों ने SIR के दौरान संभावित रूप से बड़ी संख्या में वोटर नाम हटाने और कथित अनियमितताओं का मुद्दा जोर-शोर से उठाया।
सदन में SIR पर नहीं हो सकती चर्चा- शाह
इसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "मैं दृढ़ मत रखता हूँ कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर इस सदन में चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि यह मामला चुनाव आयोग के अधीन है, और यदि इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए जाते हैं, तो इसका जवाब इस सदन में कौन देगा?"
शाह ने आगे कहा, "यह चर्चा चुनावी सुधारों पर होनी थी, लेकिन अधिकांश विपक्षी सांसदों ने केवल SIR पर बात की, इसलिए अब मुझे इसका जवाब देना पड़ रहा है।"
“चार महीनों से झूठ फैलाया जा रहा है”
गृह मंत्री ने कहा, "SIR को लेकर पिछले चार महीनों में कई तरह की गलत सूचनाएँ फैलाई गईं।" उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने वर्तमान SIR, इससे पहले हुए सभी पुनरीक्षण और इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों का विस्तृत अध्ययन किया है।
अमित शाह ने संसद में बताया, "चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 326 और 327 के तहत वोटर सूची तैयार करने, संशोधन करने और मतदाता पात्रता तय करने का पूर्ण अधिकार है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना EC की जिम्मेदारी है, और इसमें किसी भी सरकार का दखल नहीं होता।"
नई प्रक्रिया नहीं है SIR- अमित शाह
अमित शाह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि SIR कोई पहली बार नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा, "पहला SIR 1952 में हुआ जब नेहरू प्रधानमंत्री थे। दूसरा 1957 में, तब भी नेहरू PM थे। तीसरा 1961 में, और उस समय भी नेहरू ही प्रधानमंत्री थे। इसी तरह SIR सभी कांग्रेस सरकारों में होते रहे और आख़िर में NDA-भाजपा की सरकार में, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब भी हुआ। 2004 में मनमोहन सिंह के PM रहते भी SIR हुआ था। और अब 20 साल बाद हमारे शासन में हो रहा है।"
गृह मंत्री ने कहा कि 2010 में एक चुनाव आयुक्त ने फैसला दिया कि रिटर्निंग ऑफिसर किसी मतदाता का नाम सीधे हट नहीं सकता। इसका परिणाम यह हुआ कि
मृत लोगों के नाम सूची में बने रहे, जो लोग दूसरे शहरों में बस गए, उनका नाम नहीं हट पाया और कई जगहों पर दोहरी एंट्री बनी रही।
SIR क्यों जरूरी है?
अमित शाह ने कहा, "SIR का उद्देश्य साफ़ है- मृत लोगों के नाम हटाना, 18+ नए मतदाताओं को जोड़ना, एक व्यक्ति का नाम एक से अधिक जगह होने पर सुधार करना और विदेशी नागरिकों (घुसपैठियों) के नाम हटाना।ठ
शाह ने सवाल उठाया, “क्या यह देश कभी स्वीकार कर सकता है कि घुसपैठिए भारतीय चुनावों में वोट डालें?"