राहुल गांधी पेश करेंगे ‘फर्जी वोटिंग’ के सबूत, कर्नाटक की लोकसभा सीट का उदाहरण देंगे
राहुल गांधी ने लोकसभा की एक सीट पर गहन अध्ययन के बाद अनियमितताओं का दावा किया, कहा- जनता और चुनाव आयोग के सामने रखेंगे ‘सच्चाई’;
राहुल गांधी ने दावा किया है कि वह देश की जनता और चुनाव आयोग के सामने यह सिद्ध करेंगे कि वोट चोरी किस तरह से की जा सकती है, और इसके लिए वह कर्नाटक की एक विशेष लोकसभा सीट का उदाहरण पेश करेंगे। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, “भारत में चुनावों के दौरान वोट चोरी हो रही है।” यह आरोप उन्होंने उस सीट पर हुए एक "अध्ययन" के आधार पर लगाए और जल्द ही उस सीट का नाम सार्वजनिक करने की बात कही।
फर्जी वोटिंग का आरोप
राहुल गांधी ने बुधवार (23 जुलाई) को दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए लोकसभा चुनाव में हुई अनियमितताओं को लेकर गंभीर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हमने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट पर मतदान प्रक्रिया का गहन अध्ययन किया है। हमारे पास फर्जी वोटिंग की जानकारी है। हम यह दिखाएंगे कि इस सीट के माध्यम से वोट चोरी कैसे संभव है, और यह सब देश की जनता और चुनाव आयोग के सामने रखेंगे। हम इन सभी मुद्दों की **सच्चाई जल्द उजागर करेंगे।"
महाराष्ट्र का उदाहरण भी दिया
राहुल गांधी ने याद दिलाया कि उन्होंने महाराष्ट्र में भी चुनावी अनियमितताओं को लेकर पहले आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा, “हमने महाराष्ट्र में मतदाता सूची सार्वजनिक करने की मांग की थी, लेकिन चुनाव आयोग ने हमारी बात नहीं मानी।”
उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसी ही अनियमितताएँ देशभर में हो रही हैं, और कर्नाटक की लोकसभा सीट इसका एक प्रमाण है।
बिहार में SIR प्रक्रिया का दुरुपयोग
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बिहार में चल रही SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके ज़रिए एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के वोट को मैनेज किया जा रहा है, ताकि इन वर्गों को मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सके।
“बीजेपी चुनाव नहीं जीत रही, बल्कि सत्ता में बने रहने के लिए उसे मैनेज करने की कोशिश कर रही है।”
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र पर इस हमले को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सड़क से संसद तक संघर्ष का ऐलान
राहुल गांधी ने ऐलान किया, “मतदान के अधिकार की रक्षा के लिए INDIA गठबंधन संसद से लेकर सड़क तक संघर्ष करेगा। हम जनता के वोट के अधिकार की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”
(यह रिपोर्ट मूल रूप से The Federal Karnataka में प्रकाशित हुई है)