राहुल गांधी के गुजरात दौरे ने प्रदेश कांग्रेस में भरा जोश, कार्यकर्ताओं का मनोबल हुआ ऊंचा

गुजरात कांग्रेस के सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हालिया दौरे से गुजरात कांग्रेस के लिए बहुत कुछ बदल गया है. इससे पहले वह केवल चुनाव के समय ही इस पश्चिमी राज्य का दौरा करते थे.

Update: 2024-07-16 15:58 GMT

Rahul Gandhi Gujarat Visit: गुजरात कांग्रेस के सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हालिया दौरे से गुजरात कांग्रेस के लिए बहुत कुछ बदल गया है. गुजरात में पार्टी कार्यकर्ताओं ने राहुल का जोरदार स्वागत किया. हालांकि, वह उनके दौरे से काफी आश्चर्यचकित थे.

बजरंग दल पर हमला

रायबरेली के सांसद अब तक केवल चुनाव के समय ही इस पश्चिमी राज्य का दौरा करते थे. उन्होंने अहमदाबाद में पार्टी कार्यालय में भाजपा और बजरंग दल के सदस्यों के साथ झड़प में गिरफ्तार कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए अपनी 'बारी से पहले' यात्रा करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया. यह दौरा 2 जुलाई को अहमदाबाद कांग्रेस कार्यालय पर बजरंग दल के सदस्यों द्वारा किए गए हमले के बाद हुआ, जिसके कुछ ही घंटों बाद राहुल ने संसद में एक उग्र भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने भारत के हिंदुओं के लिए बोलने के भाजपा के दावे की आलोचना की थी. राहुल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं, वे चौबीसों घंटे नफरत और हिंसा में लिप्त रहते हैं. अगले दिन बजरंग दल, विहिप और भाजपा कार्यकर्ताओं ने अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यालय पर पथराव किया और कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ झड़प की.

लड़ने की भावना

लगभग दो सप्ताह बाद राहुल के अचानक दौरे से राज्य कांग्रेस में एक प्रकार का आत्मविश्वास भर गया है, जो पिछले कुछ समय से पार्टी कार्यकर्ताओं में गायब था. गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जीपीसीसी) के अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने द फेडरल से कहा कि लड़ने का जज्बा फिर से जाग उठा है. भले ही हम चारों विधानसभा क्षेत्रों में हार गए, जहां उपचुनाव लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हुए थे. हालांकि, गेनीबेन की हालिया लोकसभा जीत और राहुल गांधी के दौरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में गुजरात में लड़ने और पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए जरूरी उत्साह भर दिया है. गोहिल ने कहा कि स्थानीय नेताओं की कई शिकायतों में से एक यह है कि केंद्रीय नेतृत्व गुजरात की उपेक्षा कर रहा है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि हम यहां एक भी सीट नहीं जीत सकते. लेकिन गेनीबेन की जीत के साथ कहानी बदल गई है और यह केंद्रीय नेतृत्व के बीच भी चर्चा का विषय बन गई है.

कांग्रेस का मनोबल

समाजशास्त्री और राजनीतिक विश्लेषक गौतम साह ने भी इस बात पर सहमति जताई कि राहुल का दौरा गुजरात कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए काफी महत्व रखता है. द फेडरल से बात करते हुए साह ने कहा कि साल 2017 के राज्य चुनावों के बाद से कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बहुत कम हो गया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस साल 2017 से लगातार एक के बाद एक चुनाव हार रही है, जिसमें स्थानीय, नागरिक और डेयरी सहकारी चुनावों में उसके गढ़ शामिल हैं. साल 2022 के राज्य चुनाव में हार बहुत बड़ी थी. क्योंकि पार्टी ने 182 सीटों में से केवल 17 सीटें जीतीं, जो गुजरात में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन था. बाद में, कांग्रेस को विधानसभा में विपक्ष की आधिकारिक स्थिति से वंचित कर दिया गया. यह शायद गुजरात की चुनावी राजनीति के इतिहास में पार्टी का सबसे निचला स्तर था.

इसके अलावा साह ने कहा कि राज्य इकाई में मनोबल उस समय सबसे निचले स्तर पर था, जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने 2022 के राज्य चुनावों से पहले गुजरात से न गुजरने का फैसला किया. राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि ऐसे समय में जब कार्यकर्ताओं को मनोबल बढ़ाने की जरूरत थी, वे नेतृत्व के बिना मुश्किल में फंस गए. इसी समय, विधायक और वरिष्ठ नेता भाजपा में शामिल होते रहे. कांग्रेस अपने ही दलबदलू नेताओं के कारण चारों विधानसभा उपचुनाव हार गई. दलबदल ने पार्टी में मध्यम श्रेणी के महत्वाकांक्षी नेतृत्व के लिए अंदरूनी कलह पैदा करने का रास्ता खोल दिया है. जबकि निचले स्तर के कार्यकर्ता दिशाहीन बने हुए हैं.

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि, लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर हुआ है. एकमात्र बनासकांठा निर्वाचन क्षेत्र में जीत ने भाजपा के सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत के दशक पुराने चलन को तोड़ दिया. हालांकि, भाजपा राज्य में 160 विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही. लेकिन 40 से अधिक क्षेत्रों में उसका वोट शेयर कम हुआ है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जो साल 2022 तक कांग्रेस का गढ़ रहे हैं.

दलबदल से निपटना

गोहिल ने यह भी कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में माहौल अलग है. इसके अलावा गोहिल ने बताया कि राहुल गांधी, जो न केवल पार्टी के प्रमुख नेता हैं. बल्कि लोकसभा में विपक्ष के नेता भी हैं. उन्होंने पहली बार भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं के मुद्दे को संबोधित किया. उन्होंने नेताओं से कहा कि प्रियंका गांधी और वह उन नेताओं के साथ खड़े रहेंगे, जिन्होंने पार्टी के प्रति वफादार रहने का फैसला किया है. अहमदाबाद के जमालपुर खाड़िया से विधायक इमरान खेड़ावाला का भी मानना है कि राहुल के अचानक गुजरात दौरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं पर एक अमिट छाप छोड़ी है, जो चुनाव से पहले ही इस तरह के हाई-प्रोफाइल दौरे के आदी हैं.

इसके साथ ही खेड़ावाला ने कहा कि हम 12 कांग्रेस विधायक कड़ी लड़ाई के लिए तैयार हैं और कोई भी छोड़कर नहीं जाने वाला है. राहुल गांधी ने हमसे मुलाकात की और सुनिश्चित किया कि हम खुद को मजबूत करें और कोई भी छोड़कर नहीं जाएगा. हालांकि, विधायक का मानना है कि राहुल को गुजरात के मामलों पर नियमित ध्यान देने की जरूरत है. सौराष्ट्र के एक कांग्रेस नेता ने बताया कि एक अचानक दौरा पर्याप्त नहीं होगा. बल्कि वरिष्ठ नेतृत्व को ट्रैक पर रखने के लिए नियमित बातचीत की आवश्यकता है. कांग्रेस नेता ने कहा कि गुजरात में कांग्रेस को भाजपा का विश्वसनीय विकल्प बनने के लिए खुद को तैयार करना होगा.

उत्साहवर्धक भाषण

गौरतलब है कि राहुल गांधी अहमदाबाद में झड़पों के बाद तनावपूर्ण माहौल में पहुंचे. लेकिन उनका जोरदार स्वागत हुआ. अप्रत्याशित दृश्य में, कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक पार्टी मुख्यालय की ओर जाने वाली सड़क पर उमड़ पड़े. जबकि राहुल गांधी राजीव गांधी भवन की पहली मंजिल पर जीपीसीसी अध्यक्ष के कार्यालय की खिड़की से भीड़ को संबोधित कर रहे थे. राहुल ने उत्साहित भीड़ से कहा कि 'डरो मत, डराओ मत'. राहुल ने अपने जोशीले भाषण में कहा कि कांग्रेस उनकी सरकार को वैसे ही तोड़ देगी. जैसे उन्होंने हमारा कार्यालय तोड़ा है.

राज्य के अपने दो दिवसीय दौरे पर राहुल ने गुजरात में तीन त्रासदियों के पीड़ितों से भी मुलाकात की, जो प्रशासनिक खामियों का नतीजा थीं. अक्टूबर 2022 में मोरबी नदी पुल ढहने की घटना, जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे; जनवरी 2024 में वडोदरा में हरनी झील में नाव पलटने की घटना, जिसमें 12 बच्चों सहित 14 लोगों की मौत हो गई और मई 2024 में राजकोट टीआरपी गेमिंग जोन में आग लगने की घटना, जिसमें 30 से अधिक बच्चे और युवा जलकर मर गए.

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