करोड़ों युवा मांग रहे नौकरी, पर रेलवे फिर से नियुक्त कर रहा रिटायर्ड कर्मचारियों को, ट्रेड यूनियन बिफरे

रेलवे बोर्ड ने एक आदेश जारी कर सभी रेलवे जोन के जनरल मैनेजर, प्रोडक्शन यूनिट्स और RDSA से खाली पड़े पदों पर रिटायर हो चुके कर्मचारियों को फिर से कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त करने का आदेश जारी किया है.;

Update: 2025-06-26 07:37 GMT
रेलवे बोर्ड ने खाली पदों को रिटायर कर्मचारियों की फिर से नियुक्ति कर भरने का फैसला किया है.

देश में पढ़े-लिखे करोड़ों युवाओं के बीच बेरोजगारी की बात किसी से छिपी नहीं है. केंद्र सरकार के सभी विभागों में भारी संख्या में पद खाली भी पड़े हैं जिसपर भर्ती करने की प्रक्रिया सालों से अटका पड़ा है. लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार युवाओं के लिए वेकैंसी नहीं निकाल रही है. बल्कि युवाओं को नौकरी देने की बजाये उसी विभाग से रिटायर हो चुके कर्मचारियों की फिर से हायरिंग करने के आदेश जारी कर रही है.

रेलवे करेगा रिटायर कर्मचारियों की फिर से हायरिंग

ताजा मामला रेल मंत्रालय के अधीन रेलवे बोर्ड से जुड़ा है. रेलवे बोर्ड ने 20 जून 2025 को सभी जोनल रेलवे, भारतीय रेलवे की प्रोडक्शन यूनिट्स और रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (RDSO) के जनरल मैनेजरों को पत्र लिखकर रिटायर्ड रेलवे कमर्चारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर फिर हायरिंग करने को कहा है जिसे लेकर विवाद शुरू हो चुका है. रेलवे बोर्ड की ओर 15 अक्टूबर 2024 और 31 दिसंबर 2024 को लिखे पत्र में सभी जोनल रेलवे, प्रोडक्शन यूनिट्स (Production Units) और आरडीएसओ (RDSO) को पे स्केल -1 से पे स्केल -9 तक के रिटायर्ड नॉन-गजेटेड कर्मचारियों को खाली पड़े पदों पर फिर से नियुक्त करने की इजाजत दी थी बशर्ते कि उनकी नियुक्ति फिर से उसी वेतन स्तर के पद पर की जाए जिस पर वे रिटायर हुए हैं.

रेलवे बोर्ड ने जारी किया आदेश

लेकिन रेलवे बोर्ड ने अब ये फैसला किया है कि पे लेवल -1 से पे लेवल -9 तक खाली पड़े गैर-राजपत्रित पदों (Non-Gazetted Posts) को रिटायर हो चुके कर्मचारियों की फिर से नियुक्ति (Re-Engagement) द्वारा भरा जा सकता है, जो उसी कैटगरी के पद से रिटायर हुए हों, और जिनका पद उस पद से अधिकतम तीन स्तर ऊपर रहा हो जिसके लिए फिर नियुक्ति की जा रही है. हालांकि इसमें शर्त ये है कि वरीयता उन्हीं लोगों को दी जाएगी जो उसी पे-लेवल से रिटायर हों. यानी जिनका पे-लेवल ज्यादा रहा है उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जाएगी.

रेलवे बोर्ड के मुताबिक रिटायर्ड कर्मचारियों को फिर से नियुक्त करना का अधिकार डिविजनल रेलवे मैनेजर के पास होगा. HÍ स्तर (हेडक्वार्टर) पर खाली पदों के लिए रिटायर कर्मचारियों की फिर से नियुक्ति का अधिकार जनरल मैनेजर (General Manager) के पास रहेगा. हालांकि, कुल कितने रिटायर कर्मचारियों की फिर से नियुक्ति की जाएगी, इसका निर्णय लेने का अधिकार जनरल मैनेजर के पास होगा. पत्र में ये बताया गया है कि ये आदेश रेलवे बोर्ड की मंजूरी और रेलवे मंत्रालय के एसोसिएट फाइनेंस की सहमति से जारी किया गया है.

ट्रेड यूनियन रेलवे के फैसले से नाराज

रेल मंत्रालय के आदेश को लेकर मजदूर संगठन खासे नाराज हैं. AITUC की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, "एक ओर देश में जहां करोड़ों बेरोजगार युवा नौकरियों का इंतजार कर रहे हैं, यह अत्यंत गंभीर चिंता का विषय है कि रेल मंत्रालय के अंतर्गत रेलवे बोर्ड ने एक ऐसा नीतिगत दस्तावेज जारी किया है, जिसके तहत रेलवे के जोनल मैनेजरों को केवल रिटायर अधिकारियों की नहीं, बल्कि ग्रुप C और ग्रुप B पोस्ट के यानी Pay Level – 1 से Pay Level – 9 के लिए Non-Gazetted और एवं औद्योगिक कर्मचारियों के भी कॉन्ट्रैक्ट पर रखे जाने की इजाजत दे दी है."

पेंशन-सोशल सिक्योरिटी देने से बचना चाहती है सरकार

अमरजीत कौर ने कहा, बीजेपी सरकार खुद को देश के युवाओं की हितैषी बताती है,लेकिन गलत नीतियों से देश के बेरोजगार युवाओं को नौकरी के अवसरों से वंचित कर रही है. उन्होंने कहा, सरकार नियमित भर्ती नहीं करना चाहती है क्योंकि भर्ती किए गए युवाओं को पेंशन और दूसरे प्रकार के सोशल सिक्योरिटी स्कीम वाली सुविधाएं देनी होगी जो रिटायर हो चुके कर्मचारियों को नहीं देना होगा. जबकि हर साल लाखों युवा परीक्षा की तैयारियां कर रहे हैं और परीक्षाएं दे रहे हैं.

युवाओं को नौकरी नहीं, आरक्षण से लाभ से भी वंचित

उन्होंने बताया कि, रेलवे में इस समय रनिंग लाइनों, संचालन, वर्कशॉप्स और उत्पादन इकाइयों में करीब 3 लाख से अधिक पद खाली पड़े हैं. सेफ्टी से जुड़े कैटगरी वाले पदों का सबसे बुरा हाल है. लोको पायलट 12–14 घंटे प्रतिदिन काम करते हैं जिसे कम करने की मांग कर रहे हैं. अमरजीत कौर के मुताबिक, नई हायरिंग ना कर मौजूदा कर्मचारियों पर अत्यधिक कार्यभार डाला जा रहा है जिससे उनमें मानसिक तनाव, अवसाद और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो रही हैं. सरकारी नौकरियों में संविधान द्वारा मिले आरक्षण की सुविधा को भी आघात पहुंचता है. ऐसे में उन्होंने सरकार और रेलवे से फौरन अपना फैसले को वापस लेने की मांग की है.

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