राजकोट गेम जोन अग्निकांड में एक मालिक की भी मौत, डीएनए सैंपल से हुई पुष्टि

राजकोट टीआरपी गेम जोन अग्निकांड में अब जानकारी सामने आई है कि इसके एक मालिक प्रकाश हिरन की भी जलने से मौत हो चुकी है. डीएनए सैंपल भी उसकी मां से मैच हुआ है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-29 01:37 GMT

गुजरात के राजकोट में टीआरपी गेमजोन के मालिकों में से एक प्रकाश हिरन की भी आग की वजह से ही मौत हुई है. आग लगने के समय से कैद सीसीटीवी फुटेज में हिरन को घटनास्थल पर देखा गया था जिससे यह पता चलता है कि वो मौके पर मौजूद था. प्रकाश की कार भी आग लगने वाली जगह पर ही पायी गई थी. बता दें कि हिरन के भाई ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में दावा किया गया था कि जब गेमिंग जोन में आग लगी उसका भाई वहीं था. फोरेंसिक विभाग ने उसकी मां के डीएनए नमूने लिए और  पुष्टि की कि प्रकाश की भी आग में मौत हो चुकी है. कई शव इतनी बुरी तरह जले हुए थे कि उनकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की मदद लेनी पड़ी.

कुल 6 लोग आरोपी

पुलिस की दर्ज की गई एफआईआर में कुल छह लोगों को आरोपी बनाया गया है, धवल एंटरप्राइजेज के मालिक,रेसवे एंटरप्राइजेज के साझेदार जिन्होंने मिलकर गेम जोन चलाया था. मामले में मुख्य आरोपी ठक्कर घटना के बाद से फरार था और उसे राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस को जानकारी मिली थी कि वह राजस्थान में अपने रिश्तेदार के घर छिपा हुआ था. इस केस में  युवराजसिंह सोलंकी, नितिन जैन और राहुल राठौड़ को दो सप्ताह की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.  उन पर आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 337 (किसी व्यक्ति के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से चोट पहुंचाना), 338 (किसी व्यक्ति के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से उसे गंभीर चोट पहुंचाना) और 114 (अपराध किए जाने के समय वहां मौजूद कोई व्यक्ति) के तहत मामला दर्ज है. 

25 मई को लगी थी आग
25 मई को मनोरंजन केंद्र में लगी भीषण आग में बच्चों समेत 27 लोगों की मौत हो गई थी.
गुजरात उच्च न्यायालय को बताया गया कि गेमिंग जोन ने इस साल तक फॉयर सेफ्टी के लिए आवेदन नहीं किया था.यह घटना आंखें खोलने वाली है. मासूम बच्चों की मौत के बाद सिस्टम की आंखें खुल गई हैं. छोटे बच्चों की मौत की कीमत पर ऐसा गेम जोन नहीं चलाया जा सकता. अदालत ने सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार को हलफनामे के तौर पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा, जिसे विशेष जांच दल को सौंपा जाना है. गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि क्या आप अंधे हो गए हैं? क्या आप सो गए हैं? अब हमें स्थानीय सिस्टम और राज्य पर भरोसा नहीं है. अदालत ने यह कहते हुए नाराजगी जताई कि चार साल से अग्नि सुरक्षा प्रमाणन सुनवाई का समाधान नहीं हुआ है.

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