बजट बहस के दौरान खड़गे ने निर्मला सीतारमण पर की टिप्पणी, कहा-माताजी बोलने में एक्सपर्ट हैं

राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर बजट में केवल दो राज्यों, बिहार और आंध्र प्रदेश को प्राथमिकता देने और बाकी की उपेक्षा करने का आरोप लगाया.

Update: 2024-07-24 12:32 GMT

Rajya Sabha Budget Debate: राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर 2024-25 के केंद्रीय बजट में केवल दो राज्यों, बिहार और आंध्र प्रदेश को प्राथमिकता देने और बाकी की उपेक्षा करने का आरोप लगाया. खड़गे ने बजट को 'कुर्सी-बचाओ' दस्तावेज बताया और इस कथित पक्षपात के खिलाफ कांग्रेस और अन्य एनडीए दलों की आलोचना की.

खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि मोदी सरकार के बजट में किसी भी राज्य को कुछ नहीं मिला. जिन राज्यों की जनता ने भाजपा को नकार दिया है, उन राज्यों को इस बजट से कुछ नहीं मिला. सबकी थाली खाली है और दो राज्यों की थाली में पकौड़े और जलेबी हैं. यह बजट केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए लाया गया है.

वहीं, जब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने खड़गे से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जवाब देने का आग्रह किया तो खड़गे ने टिप्पणी की कि मैं बोल देता हूं. माताजी बोलने में तो एक्सपर्ट हैं मुझे मालूम है. उन्होंने आगे तर्क दिया कि राज्यों के बीच संतुलन के बिना कोई विकास नहीं हो सकता है. वहीं, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जवाब देने का मौका दिया गया तो खड़गे विरोध में विपक्षी गुट के साथ सदन से बाहर चले गए.

वहीं, सीतारमण ने कहा कि उन्होंने फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट या मंगलवार को पेश किए गए पूर्ण बजट में कई राज्यों का नाम नहीं लिया था. इसका मतलब यह नहीं है कि सरकारी योजनाएं उन राज्यों को लाभ नहीं पहुंचा रही हैं. उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण दिया, जिसका किसी भी बजट में उल्लेख नहीं किया गया था. लेकिन फिर भी पिछले महीने दहानू में 76,000 करोड़ रुपये की वधावन बंदरगाह परियोजना के लिए मंजूरी मिल गई.

उन्होंने कहा कि अगर भाषण में किसी खास राज्य का नाम नहीं लिया जाता है तो क्या इसका मतलब यह है कि भारत सरकार की योजनाएं, भारत सरकार के कार्यक्रम, विश्व बैंक, एडीबी, एआईआईबी और इस तरह की संस्थाओं से मिलने वाली बाहरी सहायता इन राज्यों को नहीं मिलती? ये एक रूटीन के अनुसार ही मिलती हैं.

वित्त मंत्री ने कांग्रेस पार्टी को अपने बजट भाषणों की समीक्षा करने और यह निर्धारित करने की चुनौती दी कि क्या उन्होंने देश के हर राज्य का नाम लिया है. उन्होंने विपक्ष के आरोपों को "अपमानजनक" और "स्वीकार्य नहीं" बताया.

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