पीएम मोदी से कांग्रेस का सीधा सवाल, जम्मू-कश्मीर को राज्य कब बनाएंगे?

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर संसद के मानसून सत्र में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने लिए विधेयक लाने की मांग की।;

Update: 2025-07-16 09:06 GMT

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आगामी मानसून सत्र में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए विधेयक लाने की मांग की है।

स्वतंत्र भारत में बेमिसाल है यह घटना

नेताओं ने अपने पत्र में कहा कि अतीत में कई केंद्रशासित प्रदेशों को राज्य का दर्जा दिया गया है, लेकिन जम्मू-कश्मीर का मामला स्वतंत्र भारत में बिना किसी उदाहरण" के है। उन्होंने लिखा,यह पहली बार है जब एक संपूर्ण राज्य को विभाजन के बाद केंद्रशासित प्रदेश में बदला गया। यह ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व है।

प्रधानमंत्री के वादों की याद दिलाई

खड़गे और राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को उनके पहले के बयानों की भी याद दिलाई, जिनमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया था।उन्होंने उल्लेख किया कि 19 मई 2024 को भुवनेश्वर में एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा था राज्य का दर्जा बहाल करना एक गंभीर वादा है जो हमने किया है और हम इसके प्रति प्रतिबद्ध हैं। इसके अलावा, 19 सितंबर 2024 को श्रीनगर में एक रैली में प्रधानमंत्री ने दोहराया था हमने संसद में कहा है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देंगे।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का रुख

पत्र में यह भी लिखा गया है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा "जल्द से जल्द" बहाल किया जाएगा। इसी आधार पर विपक्षी नेताओं ने आग्रह किया है कि मानसून सत्र में इस संबंध में विधेयक लाया जाए।

लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग

खड़गे और राहुल गांधी ने अपने पत्र में लद्दाख को भी लेकर चिंता जताई। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने हेतु विधेयक लाए।यह कदम लद्दाख की सांस्कृतिक, विकासात्मक और राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करेगा, साथ ही उनके अधिकारों, भूमि और पहचान की रक्षा भी करेगा।

विपक्ष का यह पत्र केंद्र सरकार पर राजनीतिक और संवैधानिक दबाव बढ़ाने की एक कोशिश मानी जा रही है, जिससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के मुद्दों पर बहस संसद के मानसून सत्र में मुख्य एजेंडा बन सके।

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