मुस्लिम महिलाओं को देना होगा गुजारा भत्ता, 'शाहबानो' केस की आई याद

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि मुस्लिम महिलाओं पर भी धारा 125 लागू होगी. तलाक के केस में पूर्व पति को गुजारा भत्ता देना होगा. यह फैसला शाहबानो केस की याद दिलाता है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-07-11 07:17 GMT

Muslim women alimony: सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को ऐतिहासिक फैसले में कहा कि जिस तरह से दूसरे धर्मों में तलाकशुदा महिलाएं गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं. ठीक वैसे ही सीआरपीसी की धारा 125 मुस्लिम महिलाओं पर पर लागू होगी. यानी कि मुस्लिम पुरुषों को गुजारा भत्ता देना ही होगा. इस फैसले के बाद करीब 45 साल पुराना सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुर्खियों में है. उस समय भी सुप्रीम कोर्ट ने फैसला मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में दिया था. लेकिन संसद के जरिए संशोधन कर फैसले को पलट दिया गया. उस मामले को शाहबानो केस के नाम से जाना जाता है.

10 जुलाई 2024 को जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने फैसला सुनाया. बेंच ने कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला धारा 125 के तहत पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. अगर 1985 के फैसले को देखें तो उस समय भी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि धारा 125 का चरित्र धर्मनिरपेक्ष है और यह सभी महिलाओं पर समान रूप से लागू है हालांकि 1986 में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने इसे पलट दिया था.

क्या है ताजा केस
10 जुलाई 2024 के फैसले की शुरुआत 15 नवंबर 2012 के एक केस से शुरू होती है. एक मुस्लिम महिला अपने पति का घर छोड़ती है.2017 में वो धारा 498 ए और 406 के तहत केस दर्ज कराती है. नाराज होकर पति तलाक देता है और उसी वर्ष सितंबर के महीने में तलाक का प्रमाणपत्र भी जारी होता है. तलाक के बाद इद्दत की अवधि तक पूर्व पति ने 15 हजार रुपए भत्ता देने की पेशकश करता है हालांकि महिला इनकार कर देती और केस दायर कर धारा 125 के तहत भत्ते की मांग करती है. 9 जुलाई को फैसला महिला के पक्ष में आता है. फैमिली कोर्ट पूर्व पति को 20 हजार रुपए महीना गुजारा भत्ता देने का आदेश सुनाता है. लेकिन फैमिली कोर्ट के खिलाफ पूर्व पति तेलंगाना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाता है. हाईकोर्ट, फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखता है,पूर्व पति सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उसे राहत नहीं मिली.

कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के तलाक पर क्या कहा

  • अदालत ने कहा कि अगर किसी मुस्लिम महिला की शादी स्पेशल प्रावधान में होती है तो भी धारा 125 लागू होगी
  • अगर मुस्लिम महिला की शादी और तलाक दोनों मुस्लिम रीति रिवाज से होता है तो भी धारा 125 और 1986 के कानून लागू होंगे. मुस्लिम महिलाओं को दोनों कानूनों में से एक या दोनों के तहत गुजारा भत्ता पाने का अधिकार होगा.
  • अगर महिला 1986 के कानून के साथ धारा 125 में भी अर्जी लगाती है उस केस में 1986 के प्रोविजन के साथ 127 (3)(b) के तहत विचार किया जा सकता है.

क्या था शाहबानो केस

शाहबानो, मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली थीं. उनका अपने पति से तलाक हो चुका था. उन्होंने गुजारा भत्ता की मांग की लेकिन पति आनाकानी करते रहे. जब कोई रास्ता नहीं निकला तो अदालत का दरवाजा खटखटाया. निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी. सर्वोच्च अदालत ने उनके पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि वो गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं.लेकिन 1986 में संसद ने फैसले को पलट दिया. अब 10 जुलाई के फैसले में सु्प्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि गुजारा भत्ता देना ही होगा. यानी कि 2024 वाला फैसला 1985 के फैसले की तरह है लिहाजा इस फैसले को शाहबानो 2. 0 से भी जाना जाने लगा है.

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