हाथियों की कथित कैद पर सुप्रीम कोर्ट का संज्ञान, वंतारा के खिलाफ SIT जांच
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस चेलमेश्वर के नेतृत्व वाली एसआईटी कानूनों का पालन न करने और अवैध रूप से जानवरों को खरीदने जैसे आरोपों की जांच करेगी।;
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के स्वामित्व वाले वंतारा ग्रीन जूलॉजिकल रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर में कानूनों के उल्लंघन और जानवरों (विशेषकर हाथियों) की भारत और विदेश से अवैध रूप से खरीद को लेकर फैक्ट-फाइंडिंग जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया है।
आरोपों की बैकग्राउंड
यह आदेश अधिवक्ता सीआर जया सुकिन और देव शर्मा द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें मीडिया और सोशल मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर वंतारा में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग की गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये याचिकाएं केवल तथ्यों की जांच के उद्देश्य से स्वीकार की गई हैं, न कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए।
SIT की संरचना
जस्टिस पंकज मिथल और पीबी वराले की पीठ ने चार सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलमेश्वर करेंगे। अन्य सदस्यों में जस्टिस (सेवानिवृत्त) राघवेंद्र चौहान – उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, हेमंत नगराले – मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर और अनीश गुप्ता – पूर्व IRS अधिकारी शामिल होंगे।
जांच के दायरे में ये मुद्दे
⦁ भारत और विदेशों से जानवरों (विशेषकर हाथियों) की खरीद
⦁ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 और उससे जुड़े ज़ू नियमों का पालन
⦁ पशु व्यापार, पशु उत्पादों से संबंधित कानूनी प्रावधानों का पालन
⦁ पशुपालन, पशु चिकित्सा देखभाल और पशु कल्याण के मानकों का निरीक्षण
⦁ वॉटर और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग की शिकायतें
⦁ वित्तीय पारदर्शिता और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित आरोप
⦁ औद्योगिक क्षेत्र के समीप स्थित होने के कारण पर्यावरणीय प्रभाव
⦁ पशुओं की मृत्यु दर और कारण
⦁ प्रजनन, संरक्षण योजनाएं, जैव विविधता संसाधनों का उपयोग
⦁ निजी संग्रह या “शोपीस” बनाने के आरोप
सुप्रीम कोर्ट का रुख
कोर्ट ने कहा कि यह आदेश किसी भी पक्ष, संस्था या अथॉरिटी के खिलाफ निष्कर्ष नहीं है। SIT का गठन केवल तथ्यों की पुष्टि के लिए किया गया है, ताकि अदालत आगे कोई उचित आदेश पारित कर सके। पीठ ने कहा कि आमतौर पर ऐसे आरोपों पर बिना सबूत याचिका खारिज कर दी जाती है, लेकिन यहां न्याय के हित में यह कदम उठाया गया है।
वंतारा की प्रतिक्रिया
वंतारा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए बयान जारी किया कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। वंतारा कानून के पूर्ण पालन, पारदर्शिता और करुणा के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मिशन जानवरों का बचाव, पुनर्वास और देखभाल करना है। हम SIT को पूरा सहयोग देंगे। वंतारा ने यह भी अपील की कि जांच प्रक्रिया को बिना अटकलों के पूरा होने दिया जाए, जिससे जानवरों के सर्वोत्तम हितों की रक्षा हो सके।
रिपोर्ट की समय-सीमा और अगली सुनवाई
अदालत ने कहा कि SIT को अपनी रिपोर्ट 12 सितंबर 2025 तक सौंपनी होगी और याचिकाओं पर अगली सुनवाई 15 सितंबर 2025 को होगी। अगर आगे कोई आदेश देने की आवश्यकता न पड़ी तो याचिकाएं उसी दिन समाप्त मानी जाएंगी।
पूर्व में क्या हुआ था?
14 अगस्त को कोर्ट ने याचिकाकर्ता जया सुकिन की याचिका को “अत्यंत अस्पष्ट” बताया था और उनसे आरोपों पर सवाल किए थे। उन्होंने मांग की थी कि वंतारा में रखे गए सभी हाथियों को उनके मालिकों को लौटाया जाए और वहां मौजूद सभी वन्य जीवों को जंगल में वापस छोड़ा जाए।