सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम की संवैधानिकता पर बड़ी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट आज वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की वैधता पर सुनवाई करेगा, जिसमें संपत्ति, बोर्ड संरचना और कलेक्टर की जांच पर बहस होगी।;

Update: 2025-05-20 04:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट आज वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर महत्वपूर्ण सुनवाई करेगा। यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष होगी, जिसमें कोर्ट द्वारा अंतरिम आदेश जारी किए जाने की भी संभावना है।15 मई को पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि वह तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर दलीलें सुनेगी। इन मुद्दों में शामिल हैं:

 सुनवाई के प्रमुख संवैधानिक मुद्दे

वक्फ संपत्तियों का गैर-अधिसूचन (De-notification):

कोर्ट यह परखेगा कि क्या 'वक्फ बाई यूजर' या 'वक्फ बाई डीड' के तहत घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का प्रावधान संवैधानिक है या नहीं।

वक्फ बोर्ड की संरचना

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में केवल मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों को ही कार्यकारी भूमिकाएँ मिलनी चाहिए, सिवाय कुछ पदेन नियुक्तियों के।

कलेक्टर की जांच का अधिकार

अधिनियम में एक प्रावधान यह कहता है कि यदि कलेक्टर यह तय कर लेता है कि कोई संपत्ति सरकारी भूमि है, तो वह वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी।

कोर्ट की कार्यवाही और पक्षकारों की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों  वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (याचिकाकर्ताओं की ओर से) और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (केंद्र सरकार की ओर से)  को 19 मई तक लिखित दलीलें सौंपने का निर्देश दिया था।केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि नए कानून के तहत जब तक अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक किसी नई नियुक्ति की प्रक्रिया वक्फ परिषद या वक्फ बोर्ड में शुरू नहीं की जाएगी।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह फिलहाल 1995 के मूल वक्फ अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार नहीं करेगा।

 केरल सरकार की आपत्ति

केरल सरकार ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उसके अनुसार 2025 का संशोधन वक्फ अधिनियम 1995 के उद्देश्यों से हट गया है और इससे राज्य की मुस्लिम आबादी के मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।राज्य सरकार की याचिका में कहा गया है कि संशोधन के कई प्रावधान भेदभावपूर्ण और संविधान की दृष्टि से संदिग्ध हैं, जिससे वक्फ संपत्तियों की कानूनी पहचान भी प्रभावित हो सकती है।

संभावित अंतरिम राहत क्या हो सकती है?

सुप्रीम कोर्ट ने पहले संकेत दिए थे कि वह इस मामले में अंतरिम राहत पर विचार कर सकता है। विशेषकर, ‘वक्फ बाई यूजर’ के तहत घोषित संपत्तियों की वर्तमान स्थिति को यथावत रखने और कोई नई नियुक्ति न हो, जैसे मुद्दों पर अस्थायी रोक लगाई जा सकती है।

पृष्ठभूमि और आज की सुनवाई का महत्व

इस मामले की सुनवाई पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी, लेकिन उनके 13 मई को सेवानिवृत्त होने के बाद यह मामला नव-निर्वाचित सीजेआई गवई की पीठ को सौंपा गया।आज की सुनवाई को लेकर कानूनी और धार्मिक दोनों वर्गों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर टिकी हुई हैं। यह सुनवाई न केवल वक्फ संपत्तियों के अधिकारों बल्कि भारत के संवैधानिक मूल्यों और अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर भी दिशा तय कर सकती है।

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