इतिहास जाने बिना मत बोलिए, सावरकर टिप्पणी पर राहुल गांधी को SC की फटकार
Supreme Court ने राहुल गांधी को कहा कि वे जिम्मेदार नेता हैं, उन्हें बोलने से पहले सोच-समझकर बोलना चाहिए. वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.;
Rahul Gandhi Savarkar controversy: राहुल गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को लेकर एक बयान दिया था, जो विवादों में आ गया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सख्त चेतावनी दी है. अदालत ने साफ कहा कि सावरकर ने देश की आजादी में बड़ी भूमिका निभाई थी और उन पर मजाक उड़ाना बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता.
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने राहुल गांधी के वकील से पूछा कि क्या उन्हें पता है, महात्मा गांधी भी ब्रिटिश सरकार को चिट्ठियां लिखते समय खुद को “आपका वफादार सेवक” लिखा करते थे? उस समय यह चिट्ठी खत्म करने का सिर्फ एक औपचारिक तरीका था, न कि कोई अंग्रेजों की गुलामी का संकेत.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महात्मा गांधी ने 1920 में वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें अंत में लिखा था कि "I have the honour to remain, Your Excellency's obedient servant." जिसका मतलब है: “आपका आज्ञाकारी सेवक बना रहना मेरे लिए सम्मान की बात होगी।” अदालत ने समझाया कि यह उस दौर की चिट्ठियों की भाषा थी. इससे यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि कोई नेता अंग्रेजों का गुलाम था.
राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में एक भाषण के दौरान सावरकर पर टिप्पणी की थी. अदालत ने कहा कि आप एक बड़े नेता हैं और आप महाराष्ट्र जाकर ऐसा बोलते हैं, जहां लोग सावरकर को भगवान की तरह मानते हैं? ऐसा बयान देना ठीक नहीं. कोर्ट ने यह भी कहा कि जब इंदिरा गांधी (राहुल गांधी की दादी) ने सावरकर की तारीफ की थी, तब उनका भी सम्मान किया गया था.
अदालत ने और क्या कहा?
राहुल गांधी को इतिहास और भूगोल की जानकारी नहीं है तो ऐसे बयान नहीं देने चाहिए. अगर आगे भी ऐसा हुआ तो हम स्वतः संज्ञान लेंगे. आपकी बातों से यह खतरा है कि कोई भी कह देगा कि महात्मा गांधी अंग्रेजों के नौकर थे, जो बिल्कुल गलत होगा.