इंडिगो संकट: एविएशन में मोनोपॉली और यात्रियों की परेशानी

65% मार्केट शेयर के साथ इंडिगो की बढ़ती ताकत ने यात्रियों को फंसा दिया। विशेषज्ञ कहते हैं, नियामक संस्थाओं की कमजोरी भी संकट बढ़ा रही है।

Update: 2025-12-11 17:24 GMT

Talking Sense With Srini : टॉकिंग सेंस विद श्रीनि के आज के एपिसोड में इंडिगो एयरलाइन्स संकट पर द फेडरल के एडिटर-इन-चीफ एस. श्रीनिवासन ने हर पहलू पर गहन चर्चा की। उन्होंने मोनोपॉली, नियामक संस्थाओं की भूमिका, यात्रियों पर असर और छोटे खिलाड़ियों की चुनौतियों को विस्तार से समझाया।


भारतीय विमानन उद्योग में इंडिगो एयरलाइन्स के संकट ने मोनोपॉली और ओलिगोपॉली जैसी संरचनाओं पर नई बहस छेड़ दी है। 2014 में 32% बाजार हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो अब 65% हिस्सेदारी के साथ हावी हो चुकी है। इसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ रहा है। एयर इंडिया के साथ मिलकर ये दोनों एयरलाइन्स भारतीय बाजार में लगभग पूरी पकड़ बना चुकी हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यात्रियों के पास विकल्प कम होने से सेवा और मूल्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
FDTL नियम और पायलट थकान

संकट की शुरुआत हुई फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) से। DGCA ने यह नियम पायलटों के उड़ान घंटे सीमित करने के लिए लागू किया था। इसका उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करना था। हालांकि, इंडिगो ने इस नियम के पालन में देरी मांगी और DGCA ने उसे बढ़ा दिया।

विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे कंपनियां बड़ी होती हैं, उनकी दक्षता घटती है और नवाचार रुकता है। इसी वजह से नियामक संस्थाओं को स्वतंत्र और सख्त होना चाहिए।

भारतीय विमानन बाजार की स्थिति

भारत के एयरलाइन बाजार में अत्यधिक एकाग्रता है। HHI इंडेक्स के अनुसार भारत में यह 4,900 है, जबकि अमेरिका में 1,600। इससे संकट के समय यात्रियों को वैकल्पिक विकल्प नहीं मिल पाते।

दूसरी ओर, अमेरिका में सात-आठ एयरलाइन्स हैं, जिससे किसी एक एयरलाइन में समस्या आने पर यात्री दूसरे विकल्प चुन सकते हैं।

नियामक संस्थाओं की भूमिका

विशेषज्ञों का कहना है कि Competition Commission of India (CCI) और DGCA जैसी संस्थाओं को सक्षम और सक्रिय होना चाहिए। स्वतंत्रता और सख्ती के बिना बड़े खिलाड़ी बाजार को नियंत्रित कर सकते हैं।

वास्तव में, DGCA ने इंडिगो को नियम पालन के लिए बार-बार समय दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नियामक संस्थाओं की ताकत सीमित है।

छोटे खिलाड़ी और स्टार्टअप्स का महत्व

भारतीय बाजार में छोटे खिलाड़ी और स्टार्टअप्स बड़ी एयरलाइन्स के दबाव में आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नियामक संस्थाओं को सुनिश्चित करना चाहिए कि बाजार में प्रतिस्पर्धा बनी रहे और सभी खिलाड़ियों को समान अवसर मिलें।

विकसित देशों की तरह, भारत में भी निगरानी और सक्रिय कदम उठाकर मोनोपॉली को रोका जा सकता है और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।


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