अप्रैल-मई से पहले ही क्यों झुलसने लगा है देश, हीटवेव या वजह कुछ और

जून छोड़िए अभी अप्रैल-मई का महीना भी नहीं आया है। हालात ये हैं कि देश के अलग अलग हिस्सों में गर्मी बढ़ गई है। ऐसी सूरत में क्या हम सब अभी से लू के भी गवाह बनेंगे।;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-03-17 08:03 GMT

Weather News: अप्रैल और मई के महीने में लू जैसे हालात का निर्माण होता था। पारा बेधड़क चढ़ता चला जाता था। लेकिन अब तो मार्च के महीने में तस्वीर परेशान करने वाली है। बढ़ते तापमान से राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। भारत के कई हिस्सों में गर्मी का प्रकोप जारी है। 13 मार्च से लेकर 16 मार्च के बीच ओडिशा के कुछ इलाकों में, झारखंड और पश्चिम बंगाल में लू (Heatwave) वाली स्थिति बनी थी। वहीं  भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 21-27 मार्च के दौरान ओडिशा के आंतरिक भागों, दक्षिण राजस्थान और उत्तर गुजरात में भी लू चलने की आशंका है। आखिर हीटवेव क्या होता है, समय से पहले यह अपने थपेड़ों से क्यों परेशान कर रहे हैं। 

हीटवेव अलर्ट 

ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और महाराष्ट्र के कई जिलों के लिए हीटवेव की चेतावनी जारी की गई है। झारखंड में सात जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच गया। 

हीटवेव क्या है और इसे कैसे मापा जाता है?

अगर आपके क्षेत्र में तापमान अधिक है, तो जरूरी नहीं कि वहां हीटवेव घोषित की जाए। IMD के अनुसार, हीटवेव घोषित करने के लिए यह देखा जाता है कि किसी क्षेत्र में उस समय के सामान्य तापमान से कितना अधिक तापमान दर्ज किया गया है। उदाहरण के लिए, केरल में जो तापमान हीटवेव नहीं मानी जाएगी, वह ओडिशा में हीटवेव मानी जा सकती है।

हीटवेव घोषित करने के नियम

मैदानी इलाकों में जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो जाए और

पहाड़ी इलाकों में जब अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो जाए।

तापमान वृद्धि के आधार पर

यदि सामान्य तापमान से 4.5°C से 6.4°C अधिक तापमान हो, तो हीटवेव मानी जाती है।

यदि सामान्य से 6.4°C से अधिक तापमान हो, तो गंभीर हीटवेव घोषित की जाती है।

वास्तविक अधिकतम तापमान के आधार पर

जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो, तो हीटवेव मानी जाती है।

जब तापमान 47 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो, तो गंभीर हीटवेव घोषित की जाती है।

यदि किसी मौसम संबंधी उपखंड में कम से कम दो स्टेशनों पर लगातार दो दिन तक उपरोक्त मानदंड पूरे होते हैं, तो दूसरे दिन हीटवेव घोषित की जाती है।

तटीय क्षेत्र

यदि अधिकतम तापमान 37°C या अधिक हो और सामान्य से 4.5°C अधिक हो, तो हीटवेव घोषित की जा सकती है।

क्या है एक्सपर्ट कमेंट

द फेडरल देश से बातचीत में स्काई मेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत कहते हैं '' कहा, इस साल अगर देखा जाए तो मार्च के महीने में गर्मी बढ़ने लगी है। लेकिन जनवरी और फरवरी में गर्मी कम नहीं रही। अब क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग के असर अब साफ तौर पर नजर आ रहा है। अगर इस साल मार्च के महीने में गर्मी की बात करें तो बर्फबारी कम हुई, बारिश भी कम हुई। एक के बाद एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आते रहे। लेकिन उससे कोई खास फायदा नहीं हुआ।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि जनवरी-फरवरी में बर्फबारी कम हुई, हां फरवरी के आखिरी दिनों में बर्फबारी हुई। लेकिन यही बर्फबारी दिसंबर या जनवरी के महीने में हुई होती तो तस्वीर अलग होती। इसके साथ ही अगर उत्तर भारत में साइक्लोनिक स्थिति का निर्माण होता तो भी औसत तापमान में गिरावट आती और मार्च का महीना इतना गर्म नहीं होता। अगर सर्दी के महीनों में बारिश हुई होती तो घने कोहरे का निर्माण हुआ होता और उससे जमीन में नमी और मौसम ठंडा बना रहा होता।

न्यूनतम- अधिकतम तापमान की वजह

स्काई मेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत ने बताया कि  पश्चिमी विक्षोभ से कम बारिश और साइक्लोनिक डिस्टर्बेंस ना होने की वजह से बारिश नहीं हुई। लेकिन इन्होंने उत्तर से आने वाली ठंडी हवाओं को रोके रखा। बीच बीच में हवाओं दिशा बदलती रही। दक्षिण पूर्व और दक्षिण पश्चिम से चलने वाली शुष्क हवाओं से न्यूनतम तापमान बढ़ गया। बारिश ना होने की वजह से कोहरा नहीं बना, ह्यूमिडिटी कम हुई, ब्राइट सनसाइन की वजह से अधिकतम तापमान बढ़ा। इसका अर्थ यह हुआ कि मार्च के महीने में तापमान बढ़ गया।

मार्च के दूसरे हफ्ते में कोंकण-गोवा और गुजरात में हीटवेव आ गई। गुजरात में तापमान 43 डिग्री तक पहुंच गया जो सामान्य से सात डिग्री अधिक है। अगर इस समय की बात करें तो ओडिशा और कर्नाटक के आंतरिक हिस्से में हीटवेट की स्थिति बनी हुई है। इसके साथ ही तेलंगाना, विदर्भा झारखंड और गैंगेटिक पश्चिम बंगाल हीटवेव की चपेट में हैं। इसका अर्थ ये कि मार्च में इस तरह की स्थिति बनी रहेगी। सिर्फ दक्षिण भारत में बारिश की वजह से तापमान से थोड़ी राहत मिलेगी। 

भारत में हीटवेव का समय और प्रभाव

भारत में हीटवेव मुख्य रूप से मार्च से जून के बीच होती है, और कुछ मामलों में जुलाई तक जारी रहती है। यदि उच्च तापमान के साथ आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) भी अधिक होती है, तो गर्मी का असर अधिक घातक हो सकता है क्योंकि पसीना ठीक से नहीं सूखता, जिससे शरीर की ठंडा होने की क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा, यदि रात में भी तापमान अधिक रहता है, तो शरीर को दिन की गर्मी से उबरने में कठिनाई होती है।

आईएमडी हीटवेव को कैसे मापता है?

IMD के पास पूरे भारत में विस्तृत सतही वेधशालाओं (Surface Observatories) का नेटवर्क है, जो तापमान, आर्द्रता, वायु दबाव, हवा की गति और दिशा जैसे विभिन्न मौसम संबंधी मापदंडों को रिकॉर्ड करता है। 1991-2020 की अवधि के अधिकतम तापमान डेटा के आधार पर प्रत्येक स्थान के लिए सामान्य अधिकतम तापमान निर्धारित किया जाता है। इसके बाद, IMD अपनी परिभाषा के अनुसार हीटवेव घोषित करता है।

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